09/02/2019

का हो दादा रामबचन

Goolge

का हो दादा रामबचन 

मूँछ तोहारौ फरिकै लाग 
देखा हम पानी मा आग 
जब से बेटवा अफ़सर होइगा 
भाव तोहारौ अब सर होइगा 
पैसा, गाड़ी, गहना माँग्या 
खाना, पीना , रहना माँग्या 
समधी के इक बाल न पूछ्या 
का बीतत है हाल न पूछ्या 
तोहका सब स्टंडर चाही 
तोहरेव बिटिया का बर चाही 
सुना ध्यान से जउन कहा सब 
बेटवा बेंचै जात अहा अब 

बिटिया से तू लइके धन 

तोहका एक सिकन्दर चाही 
खुला गगन ई अम्बर चाही 
कला, संस्कृति सीख्या नाही 
तोहका केवल नम्बर चाही 
काहे हरदम हड़कावत ह्या 
काहे ओहके गरियावत ह्या 
थोर से ओहके अबै जियै द्या 
घूमै,टहरै, खाय पियै द्या 
ज्यादा गरम करा न पारा 
माना तीर बहुत तू मार् या 
वहू के कुछ अभिलाषा होई 
कुछू बनै के आशा होई 

बेटवव के अब पढ़ ल्या मन

घर - दुवार के पता नहीं बा
बहुत फकीरी छाइ बाटै
जब आई बाबा के पेन्सन
बुवौ घरे पै धाई बाटै
जीवन नाही नरक होइ गवा
बाबौ का अब स्वरग होइ गवा
नहीं देखातै अब घर केहू
कपड़ा का अब धोवै रेहू
आँसू नाही खून चुवत है
बहुत गरीबी है, रोवत है
होली अउर दिवाली नाही
बिन पैसा घरवाली नाही

ओहके खातिर कउन चमन

पुलिस गाँव मा घुसी अहै अब
कउनो शायद चक्कर होइगा
जर - जोरू के बात करिन
दूनौ भाई मा टक्कर होइगा
मूड़ फुरौव्वल कइके राजू
दुइनौ अस्पताल मा बाटें
एक दिना मा करें लड़ाई
दुसरे दिन घर पतरी चाटें
होतै ठीक पुलिस घर धमकी
पइसा लइके ठोंकेस सोटा
बप्पा सर पै हाँथ रखे सोचैं
ई सिक्का खोंटा होइगा

नहीं बतावा ढ़ेर जतन

लागत है सठियात अहा तू
दिन पै दिन बौरात अहा तू
लरिकन के दौड़ावत बाट्या
मतलब बिना, थकावत बाट्या
ई लै आवा, ऊ लै आवा
कुछ ना कुछ तौ अबै खियावा
छिनभर मा तोहका सब चाही
नहीं बना अब एतना हाही
राम नाम तौ लिहा नही तू
दान - पुन्न कुछ किहा नहीं तू
गुस्सा नाक पै रखा नाही
बाट्या तू अब बच्चा नाही

जब देखा तानत थ्या गन










तेरे ना होने से होना मेरा कहाँ



तेरे ना होने से होना मेरा कहाँ 
तेरे ना होने से होना मेरा कहाँ 

लेकर चलना मुझे भी तू जाए जहाँ 
तेरे ना होने से होना मेरा कहाँ 

तुमको पलकों पे रखा हूँ शाम ओ सहर 
दिल में उठती तरंगें हैं , उठती लहर 
नीदें मेरी चुराने की क्या दूँ सज़ा 

दिल की धड़कन बढ़ाती है तू आजकल 
संग - संग रहना मेरे साथी तू साथ चल 
रखना मुझको भी हमदम, रहना जहाँ 


मैं गुज़रा हुआ ज़माना हूँ

Google 

तुम मुझे भुला ना पाओगी 
मैं किस्सा बहुत सुहाना हूँ 

मैं सदा तुम्हें याद आऊँगा 
मैं गुज़रा हुआ ज़माना हूँ  

फिर से आओ संसार - जियें 
फिर से आओ इक साथ चलें 
फिर नदियों में कलकल हो 
फिर से मन में कुछ हलचल हो 
मुझपे थोड़ा विश्वास करो 
फिर से आओ आगाज़ करो 

कल तक जो साथ तुम्हारे था 
देखो तो वही खज़ाना हूँ 

जब तक हम दोनों संग - संग हैं 
तब तक ये चाँद सितारे हैं 
जब तक संगम हम दोनों का 
बस तब तक ही ये प्यारे हैं 
अब पास महज़ कुछ यादें हैं 
जीवन की यही मुरादें हैं 

फुर्सत हो तो, आ जाना तुम 
मैं बन्दा वही पुराना हूँ 


08/02/2019

मेरी माँ का हाँथ मेरे सर रहता है

From Google

सबके सर पर इक - इक छप्पर रहता है 
वो दुखिया है शायद बेघर रहता है 

मैं बढ़ता हूँ इसमें नहीं अजूबा कुछ 
मेरी माँ का हाँथ मेरे सर रहता है 

एड़ी से चोटी तक ज़ोर लगाओ तुम 
हर पंक्षी के पास सुनो पर रहता है 

बाहर का माहौल बहुत ही बत्तर है 
जब तक बहन नहीं आये, डर रहता है 

मत घबराओ प्रिये ! तुम्हारी यादों का 
 इस दिल में मदमस्त - समन्दर रहता है 

06/02/2019

सुना लरिकवा करिया रहि गा

Me With My One Of Best Brother Manu Bhai 

सुना लरिकवा करिया रहि गा

सेन्ट मार के जाए ऑफिस 
फेरन - हन्डसम खूब चपोतिस 
रगरेस पूरा चेहरा आपन 
रोजै गरल - फ्रेंड के ख्वाहिस 
तनिकौ नहीं बदल पाएस ई 
जइसे रहल हौ, वइसे रहि गा   

सुना लरिकवा करिया रहि गा

हीरो बनबै कहत रहा ऊ 
घूमत,नाचत फिरत रहा ऊ 
चक्कर मारै गली - गली के 
प्यार मुहब्बत करत रहा ऊ 
पप्पा बोलेन माई से के, देख 
बेटवना तोहर बहि गा 

सुना लरिकवा करिया रहि गा

दारू, हुक्का, चिलम लगावै 
ऐय्यासी मा खूब लुटावै 
कहनी - करनी मा अंतर हौ 
रात - रात भर घरे न आवे 
कइसे लाई वापस ओहके 
नाही कउनो जरिया रहि गा 

सुना लरिकवा करिया रहि गा

मारै - पीटै महतारी के 
झरी लगावै ऊ गारी के 
उल्टा - सीधा बकत रहत है 
खात पियत है परा रहत है 
तनिकौ नहीं चलै पावै अब 
लरिका नाहीं लढ़िया रहि गा 

सुना लरिकवा करिया रहि गा

दादी जब - जब काम बतावें 
गुर्रावे ,संग आँख दिखावे 
दादा ओहके देख जरत हैं 
बोलें, काहे नहीं मरत है 
पूरा गाँव मोहल्ला बोले 
पेट गइल अब हड़िया रहि गा 

सुना लरिकवा करिया रहि गा



05/02/2019

मैं लिखता हूँ शब के साये में बैठा

BHU - Ruiya ( Sanskrit Blok )

वो कहता है उसको जहाँ झुकाना है 
मैं कहता हूँ मुझे दिलों तक जाना है 

सबका अपना - अपना यहाँ सफ़र यारों 
सबको अपनी - अपनी मंज़िल जाना 

मैं लिखता हूँ शब के साये में बैठा 
उनको अब्भी भी महफ़िल तक जाना है 

बच्चों को खुश रखते हैं पापा मेरे 
ज्ञानी हैं, फिर भी ज़ाहिल तक जाना है 

मैंनें  भी कुछ सोच रखा है जीवन में 
इस साहिल से उस साहिल तक जाना है 

भूखों की नज़र हर घड़ी रोटी पे रही है



आशिक की नज़र हर घड़ी चोटी पे रही है 
गिद्धों की नज़र हर घड़ी बोटी पे रही है 

मानो नहीं मानो मगर ये सत्य है साहब 
भूखों की नज़र हर घड़ी रोटी पे रही है 


04/02/2019

दिल की बात निकलकर बाहर आ जाए



बातें बोलो आँख सजल कर आ जाएँ 
झूमें नाचें और सम्हलकर आ जाएँ 

इतना प्यार करो, इतनी बेचैनी दो 
दिल की बात निकलकर बाहर आ जाए 

मौका दो  उसको, पूरी आज़ादी दो 
क्या मालूम संसार बदलकर आ जाए

इतना उन्हें खिलाओ, इतनी सेवा दो
बाबा सौ वर्षों तक चलकर आ जाएँ 


मेरी माँ सामने जब हो उदासी दूर रहती है

कन्हैय्या यशोदा और देवकी के साथ 

दवा लेता हूँ अक्सर और खाँसी दूर रहती है 
मुहब्बत गर हकीकत हो तो राशी दूर रहती है 

बहुत ही याद आती है तुम्हारी अब अकेले में 
 मेरी माँ सामने हो तो उदासी दूर रहती है 

जिसे मैं चाहता हूँ हे प्रिये! मैं नाम दे बैठा
 है इस दिल में, मग़र कॉलेज से थोड़ा दूर रहती है 

02/02/2019

कविता, नज़्मों, गज़लों सी बन जाती है



वो हँसती है मेरा दिल बहलाती है 
दिल की सारी बातें मुझे बताती है 

उससे बातें कर के मेरा दिन गुज़रे 
उसके फोटो संग रातें कट जाती हैं 

ज़िक्र हमारा करती बातों - बातों में 
बातों - बातों में परिचय दे जाती है 

Fb, Whats app, Insta ,Twitter सब पे है 
सबसे मुझको इश्क बहुत समझाती  है 

दिल की बातें वो भी कहना चाहे पर 
ना जाने क्यों कहने में शर्माती है 

दिन, तारीख़ महीना सबकुछ याद उसे 
इक मुद्दत से मुझको पढ़ती जाती है

छोटी - छोटी बातों पर लड़ती रहती
वो मेरी जीवन - साथी बन जाती है 

जब भी उसको लिखने बैठा सिद्दत से 
कविता, नज़्मों, गज़लों सी बन जाती है 


तुम्हें नसीब सोचता हूँ मैं




बहुत अजीब सोचता हूँ मैं 
उसे रक़ीब सोचता हूँ मैं

आज इज़हार करूँगा तुमको 
रोज़ तरक़ीब सोचता हूँ मैं 

बाँह में तुम बिखर गई मेरे 
तुम्हें हबीब सोचता हूँ मैं

एक तुम हो, हसीन जीवन है 
मुझे, अमीर सोचता हूँ मैं 

सीखता हूँ मैं बारहाँ तुमसे 
तुम्हें अदीब सोचता हूँ मैं

आज सबकुछ मेरे तुम्हीं तुम हो
तुम्हें नसीब सोचता हूँ मैं 








29/01/2019

बातों - बातों में गज़ले बन जाती हैं

Neel

बातों - बातों में घर तक आ जाती है 
बातों - बातों में दुनिया बन जाती है 

बातों - बातों में निकले हैं शे'र कई 
बातों - बातों में गज़ले बन जाती हैं 

बातों - बातों से दुश्मन बढ़ते जाते 
बातों - बातों में संधि हो जाती है 

बातों - बातों में बहनों से प्यार हुआ 
बातों - बातों में मुझको पा जाती हैं 

बातों - बातों में वर्षा की बात चली 
बातों - बातों में बारिश हो जाती है 

बातों - बातों में माँ नें थप्पड़ मारा 
बातों - बातों में ही खुद रो जाती है 

बातों - बातों में सपनों नें रुख़ बदला 
बातों - बातों में किस्मत बन जाती है 

बातों - बातों में मेरी जाने - जाना 
बातों - बातों में मुझको बहलाती है 

बातों - बातों में जीवन कट जाता है 
बातों - बातों में यादें रह जाती हैं 

28/01/2019

" नील " तमाशेबाज़ नहीं है, दर्पण है



Akanksha Joshi

ना जाने क्यों आज बहुत वो बेमन हैं 
उनको कोई छोड़ गया है, उलझन है 

मेरा अब तक दुश्मन नहीं बना कोई 
उनकी ख़ातिर पूरी दुनिया दुश्मन है 

जितनी माँग हुई थी, वो न दे पाए 
शादी में उखड़ी - उखड़ी सी समधन है 

सबकुछ छोड़ सकूँ तुझको कैसे छोड़ू 
तू ही तो मेरी बहना! जीवन - धन है 

इक अर्शे के बाद सही उस तट जाओ 
मुक्ति मिल जायेगी प्यारे! संगम है 

पूरी दुनिया मुझको सुन्दर दिखती है 
इस पल मेरे साथ, हमारी हमदम हैं 

तुमको हँसना है मुझपे, हँसते रहना 
" नील " तमाशेबाज़ नहीं है, दर्पण है 

22/01/2019

किसी पे आ गया जो दिल तो मुहब्बत कीजे

Neel At Chinmaya Vishwavidyapeeth

तमाशाई बहुत हैं लोग मगर क्या कीजे
किसी पे आ गया जो दिल तो मुहब्बत कीजे 

हौंसलों में उड़ान भर के आसमाँ चूमूँ 
मेरे हिस्से की आज फिर से इबादत कीजे 

छोड़ देते हैं सब, हमराज़ नहीं है कोई 
खुद ही, खुद को सदा ख़ुश रखने की आदत कीजे 

मुझे जो बोलना है बोल, मग़र प्यारे सुन 
नहीं परिवार को कुछ कहने की जुरअत कीजे 

पाक - ए -हिज्राँ की नज़र है जो बढ़ रहा हूँ मैं 
छोड़ भी दीजिये अब यूँ नहीं कुर्बत कीजे 

काम करना है अगर देख कभी सड़कों पर 
अपने इस मुल्क के बच्चों की हिफ़ाजत कीजे 

छोड़कर द्वेष, भेदभाव सभी आज यहाँ 
सारा संसार मिलाकर इसे भारत कीजे 


पाक - ए -हिज्राँ - विरह का पवित्र दुःख 
कुर्बत - निकटता , सामीप्य 

21/01/2019

मैं तुम्हारा था ,तुम्हारा हूँ , तुम्हारा ही रहूँगा

Neel At Panjabi Dhaba In Kerala.

जिन्दगी की कश्मक़श में उलझनें 
आती हैं लेकिन 
उलझनों से भागना सीख़ा नहीं मैंने 
कभी भी 
जब तलक हैं प्राण, हैं साँसें 
मुक़म्मल जिन्दगी है 
तब तलक मैं भी तुम्हारा साथ 
देता ही रहूँगा 

मैं तुम्हारा था ,तुम्हारा हूँ , तुम्हारा ही रहूँगा 

तुम हजारों क्या करोड़ों लो 
परीक्षाएँ हमारी 
या मुझे दे दो अभी से आप 
अपनी ज़िम्मेदारी 
मैं तुम्हें उन चाँद - तारों तक नहीं ले 
जाऊँगा पर 
मैं तुम्हें नज़्मों में अपने घोलकर
ऐसे कहूँगा 

मैं तुम्हारा था ,तुम्हारा हूँ , तुम्हारा ही रहूँगा 

इश्क क्या है क्या मुहब्बत और ये 
नफ़रत भला क्या 
तुम हमारे पास हो जब तो कहो 
सोहरत भला क्या 
मानता हूँ मैं मुकम्मल इश्क का 
लम्बा - सफ़र है 
तुम जिधर बहती रहोगी मैं उधर 
बहता रहूँगा 

मैं तुम्हारा था ,तुम्हारा हूँ , तुम्हारा ही रहूँगा

तुम नहीं चिन्ता करो बस साथ
यूँ देती रहो तुम
हाँथ से अपने सदा ये हाँथ
भर देती रहो तुम
ये भरा संसार दुःख देता रहा
सदियों तलक
मैं भरे संसार का दुःख छोड़कर
आगे बढूँगा

मैं तुम्हारा था ,तुम्हारा हूँ , तुम्हारा ही रहूँगा

चाहतें इतनी हमारी संग तुम्हारे
घूम लूँ मैं
तुम मुझे यूँ देखती जाओ तुम्हें
अब चूम लूँ मैं
और फिर इन मुट्ठियों में हो भरा
संसार अपना
खूबसूरत ज़िन्दगी संग खूब मैं
सपनें गढ़ूँगा

मैं तुम्हारा था ,तुम्हारा हूँ , तुम्हारा ही रहूँगा

09/01/2019

मेरी धड़कन में तेरी धड़कन है

Pic from google " Vivah Movie "

मेरी धड़कन में तेरी धड़कन है 
मेरी आँखों में तेरा चेहरा है 
मेरे लफ्जों में तेरी बातें हैं 
मुझे लगता है प्यार गहरा है 

जिस्म क्या रूह तक मेरी छू लो 
मुझमें खो जाओ ये जहाँ भूलो 
इश्क़ में है खुदा खुदाई भी 
इश्क़ में प्यार है जुदाई भी 

तुम न आ पाये आज फिर मिलने 
मुझे लगता है घर पे पहरा है 

मेरी धड़कन में ...... 


ये है चिन्मया परिवार

Chinmaya Family 


ये है चिन्मया परिवार, ये है चिन्मया परिवार 
जिनके उच्च - विचारों से तर जाता है सारा संसार।।

ये है चिन्मया परिवार ..... 

जीवन का दर्शन सिखलाए, मन के सारे द्वंद्व मिटाये 
गीता, वेद और उपनिषदों का जो सारतत्व समझाये 

मानों जीवन की गहराई पर फलते हों शुद्ध - विचार 

ये है चिन्मया परिवार ..... 

प्राचीन - अर्वाचीन मिलाकर, प्राची और प्रतीची पाकर 
गुरुजन ज्ञान बाँटते प्रायः, हम सब शिष्यों को समझाकर 

जैसी उत्तम - प्रकृति यहाँ कि वैसे ही शिक्षक का प्यार 

ये है चिन्मया परिवार ..... 

जीवन क्या है वही बतायें, स्वामी जी शुभ - राह दिखाएँ 
चिड़िया चहकें, कोकिल कूँकें, मद्धम धीमी बारिश आये 

ऐसा दिव्य, मनोहर, पावन है ये शंकर का घर - द्वार 

ये है चिन्मया परिवार ..... 

हिल - मिलकर रहते हैं सारे, प्यारे बच्चे सभी यहाँ रे   
जैसे उपवन में हों फूल, कई तरह के न्यारे - न्यारे 

सुन्दर - धरती पर ये स्वर्गरूप है ईश्वर का उपहार 

ये है चिन्मया परिवार, ये है चिन्मया परिवार 
जिनके उच्च - विचारों से तर जाता है सारा संसार।।

ये है चिन्मया परिवार .....


Chinmaya Vishwavidyapeeth


04/01/2019

इश्क का भी कोई ठिकाना ना

Serial & Film Writer at Bollywood - Prabhat Bandhulya  Bhaiya 


इश्क काफ़िर है, मेरे जैसा है 
इश्क का भी कोई ठिकाना ना 

आँख में प्यार नहीं है उसके 
आँख में है महज़ फ़साना ना 

गलतियाँ उसने मेरे सर रख दी 
और कुछ था नहीं बहाना ना 

इश्क के बाद हूँ मैं दर्शन में 
यार अब फ़िर करीब आना ना 

चलो कुछ तो बचा है जीने को 
और अब आग तुम लगाना ना 

प्यार कर गीत, ग़ज़ल, कविता लिख 
प्यार में है बहुत ख़ज़ाना ना 

बोलता है तो लोग सुनते हैं 
शे'र ही बोल, ग़ज़ल गाना ना 

"नील"आखिर कहाँ तू जाएगा 
क्रूर हैं लोग, ये ज़माना ना   

02/01/2019

समुद्री - लहरों सी तुम

नील 

तुम बिल्कुल समुद्री - लहरों सी हो
जितनी तेज करीब आती हो 
उतनी ही तेज वापस जाती हो, मुझे अकेला छोड़ 
तुम्हारा समुद्र सा ठहराव जरूर है मुझमें 
पर समुद्री - लहरों सी तुम मुझमें नहीं ठहर पाती बहुत देर तक 

26/12/2018

Kerala to Mumbai

 यह एक यात्रा की घटना है इसमें जो भी पात्र हैं वो वास्तविक हैं और कुछ को मैं जानता हूँ कुछ अन्जान।



कल्यान रेलवे स्टेशन -  (23/12/2018 - Sunday)

रिक्सा वाले भाई साहब - कहाँ जाना भाई बोलो, बताओ तो सही मैं छोड़ देता हूँ।
नील - सर वो तो सही है पर मुझे खुद को नहीं पता मुझे कहाँ जाना है ?
हाँ अगर आपके पास मोबाइल हो तो एक कॉल करके बता सकता हूँ कहाँ जाना और क्या करना है।

( तब तक दूसरा ग्राहक पाकर निकल लिया वो, दूसरे रिक्सा वाले से  )

नील - हेल्लो, हेल्लो भाई साहब ! आपके पास मोबाइल है क्या ?
रिक्सा वाले भाई साहब - हाँ है, क्यों ?
नील - भइया एक कॉल करना है
रिक्सावाले भाई साहब - क्यों तुम्हारे पास मोबाइल नहीं है क्या ?
नील - है ना सर ! पर स्विच ऑफ़ है और मुझे एक बहुत जरुरी बात करनी है।

( ऊपर से नीचे तक देखते हुए )

रिक्सावाले - क्या नाम है ?
नील - नीलेन्द्र है भैया
रिक्सावाले - नहीं, नहीं पूरा नाम बताओ
नील - नीलेन्द्र शुक्ल " नील "
रिक्सावाले - ब्राह्मण हो ?
नील - जी हाँ।
रिक्सावाले - लगते नहीं हो यार Identity Card है क्या कोई ?
नील - इन्सान लग रहा हूँ या नहीं सर !
रिक्सावाले - भाई बुरा मत मानना लेकिन देखने में आतंकवादी भी इंसान ही लगते हैं।
नील - हाँ वो तो है सर, पर अभी आप मेरी सहायता कर रहें हैं या नहीं
रिक्सावाले - बेटा माफ़ करना पर इस मामले में मैं थोड़ा सचेत रहता हूँ, इसलिए मैं आपकी मदद नहीं कर सकता।
नील - Okay Okay Sir! No Problem Thank You ..

( ये सब सुनते हुए दूसरे भाई साहब ने कहा )

भाई साहब - किससे बात करनी है भाई?
नील - जिनके पास जाना है उन्हीं भाई साहब के पास।
भाई साहब - भाई लफड़े वाला नं. तो नहीं है ना
नील - नहीं सर !मैं आपके सामने ही बात करूँगा, नहीं तो एक काम करिये पहले आप बात करिये मैं बाद में कर लूँगा।
भाई साहब - लो भाई अब इतना भी शर्मिंदा न करो।

Second Scene -

नील - Hello, Hello हाँ सुरेन्द्र भाई
सुरेन्द्र - हाँ भाई, कौन ?
नील - मैं नीलेन्द्र, वो विवेक भाई ने आपसे बात की थी न मेरे बारे में
सुरेन्द्र - हाँ, हाँ नीलेन्द्र भाई नमस्कार, कहाँ हो आप ?
नील - मैं कल्यान स्टेशन पे खड़ा हूँ सर।
सुरेन्द्र - अच्छा ! पर यार अभी तो 4 ही बजे हैं और मेरी छुट्टी 8 बजे तक होगी
नील - कोई नहीं भाई तब तक मैं इधर - उधर घूमता हूँ, और हाँ ये नं. मेरा नहीं है। मेरा मोबाइल  स्विच ऑफ है So I'll call you ..
सुरेन्द्र - ठीक है भाई! Okay .

Third Scene -

( Mobile भाई को देकर धन्यवाद भाई, घूमते - घूमते एक खाली मोबाइल की दुकान पर )

नील - Hello कैसे हैं सर ?
दुकानवाले - ठीक हूँ भाई।
नील - मुझे आपसे एक जानकारी चाहिये थी
दुकान - जी पूछिए
नील - Actually मेरे No. की Incoming Call बंद हो गई है तो अभी क्या करूँ ?
दुकान - कितने दिन हुए ?
नील - बस यहीं  कुछ 2 - 4 दिन ही हुए हैं।
दुकान - कौन सी सिम है ?
नील - Idea की है भाई
दुकान - एक काम करो 35 वाला Recharge कराओ चालू हो जायेगी
नील - ( सशंकित मन से ) 35 वाले में चालू हो जाएगा ना भाई, उससे अधिक तो नहीं कराना पड़ेगा, और एक बात इस 35 वाले में मुझे पैसे भी मिलेंगे या सिर्फ Incoming ही Start होगी।
दुकान - नहीं नहीं पैसे भी मिलेंगे
नील - तो एक बात बताना Full Talk Time कितने पे है ?
दुकान - 95 सर !
नील - Okay sir कर दीजिये, और ये Mobile Charging पे लगा देते तो अच्छा होता भइया।
दूकान - हाँ हाँ क्यों नहीं, लाओ इधर दो।


 ( Mobil Shop के Just बगल शुध्द शाकाहारी होटल, में चाय पीने के लिए पहुँच कर )

नील - दद्दू  एक चाय मिलेगी !
दादा - हाँ जरूर बेटा क्यों नहीं, हे देखो बाबू को चाय दो।
( बाबू सुनते ही )
नील - कहाँ के हैं आप दद्दू मुम्बई के ही या बाहर के ?
दादा - बेटा हम तो बनारस के हैं, क्यों ?
नील - नहीं वो आपने बाबू कहा ना मुझे, इसलिए मुझे लगा की आप उसी तरफ के होंगे।
दद्दू हमहूँ बनारस 6 साल रहली ह, टूटल - फूटल भोजपुरी हमहूँ के आवेला।
                                   ( चाय पीते हुए )
अच्छा दद्दू एक बात पूछीं
दादा - हाँ हाँ बेटा पूँछो
नील - केतना साल हो गइल मुंबई रहत
दादा - यही 22 - 25 साल भइल होइ बेटा
नील - एक बात बतावा कहाँ ज्यादा सुकून हौ, बम्बई म, की बनारस म।
दादा - अब का कहीं बेटा आपन घर अपनै होला, घरा तौ खैर इहौ अपने हौ, लेकिन रजा बनारस के मजा कुछ औरे हौ।
नील - सही कहला दद्दू जौन स्वाद बनारस के चाय में हौ, ऊ केहरियो देखे के नाही मिलेला।
बहुत दिन बाद " चौचक चाय " पीली ह, मजा आ गएल
केरला में तौ अइसन चाय भेंटाते नइखे।
दादा - केरला में रहा ला का बचवा ?
नील - हाँ दद्दू! केरले में पढ़ी ला
  - कौन दर्जा म हउआ ?
नील - दद्दू, संस्कृत से M.A करत हई





दिल की बातें दिल तक हों तो बेहतर है

Neel With Grand Pa


इस घर से उस घर की बातें बेहतर हैं 
इसकी उसकी सबकी बातें बेहतर है 

इससे - उससे कह के न पछताना तुम 
दिल की बातें दिल तक हों तो बेहतर है 

काल चक्र की सुइयाँ जैसे बढ़ती हैं 
वैसे ही तुम भी बढ़ते तो बेहतर है 

लोगों में परिवर्तन लाकर क्या होगा 
जीने दो, जो जैसा है वो बेहतर है 

उसके अन्दर सही - गलत क्या देखे है 
खुद के अन्दर झाँक वही अब बेहतर है 

खोज - बीन के बाद जहाँ से जो पाया 
वही मुहब्बत मेरे खातिर बेहतर है 

एसी, कूलर, महल , भवन सब फीके हैं 
माँ का गन्दा आँचल मुझको बेहतर है 

बाबा के चेहरे पर शिकन नहीं अब तक 
बाबा अब भी हम लोगों से बेहतर हैं 

06/12/2018

आज के दौर को पहचानने की जुर्रत है

My love My Dear Daughter 
आज के दौर में लोगों को कहाँ फुर्सत है 
आज के दौर में, सबकुछ जो बनी दौलत है 

आज के दौर में, रख ले जहाँ को कदमों में 
आज के दौर को पहचानने की जुर्रत है 

आज के दौर में, कुछ भी नही है पहले सा 
आज के दौर में चहुँओर बनी दहशत है 

आज के दौर में भक्ति हुई है दंगाई 
आज के दौर में जो कटघरे में कुदरत है 

आज के दौर में, सबकुछ सड़ा - गला मिलता 
आज के दौर में, आखिर वो कहाँ  लज्जत है 

आज के दौर में भी यूज़ नेट नही करते 
आज के दौर में, ईश्वर की बड़ी रहमत है 

आज के दौर में भी प्रेमिका नहीं इक भी 
आज के दौर में सबकुछ बनी मुहब्बत है  

05/12/2018

Dear Jindagi

With Nandy Sis Neel
जिन्दगी ख़ामोश इक पतवार है 
जिन्दगी में हर घड़ी त्यौहार है 

जिन्दगी की बात पुस्तक में नहीं 
जिन्दगी हर पल नई फ़नकार है 

जिन्दगी सबकी नहीं है एक सी 
जिन्दगी में राह भी दो - चार हैं 

जिन्दगी भर इश्क जो समझे नहीं 
जिन्दगी भर के लिए बीमार हैं 

जिन्दगी को मनमुताबिक रूप दूँ 
जिन्दगी है,ये नहीं बाजार है 

जिन्दगी हरदम दिखाती आइना 
जिन्दगी सबसे बड़ी सरकार है 

जिन्दगी का इक सलीका है सुनो 
जिन्दगी को जिन्दगी से प्यार है 



इस कदर मुझपे भरोसा मत करो

नील 
इस कदर मुझपे भरोसा मत करो 
मैं तुम्हारे प्यार के लायक नही 

जिन्दगी भर प्यार की बातें करूँ 
गीत गाऊँ मैं कोई गायक नहीं 

मैं तुम्हारा साथ दूँगा क्या पता 
किस अहद हो जाऊँगा मैं गुमशुदा 
तुम जहाँ जाओ, वहाँ मैं भी रहूँ 
सुन ज़रा फिल्मों का मैं नायक नहीं 

जिंदगी में है फ़कीरी क्या करूँ 
जो दिया ईश्वर नें हंसकर ले लिया 
माँगता हूँ, मैं तुम्हें हर रोज़ पर 
क्या कहूँ, वैसा रहा साधक नहीं 

दुःख के आँसू नहीं निकालो

नील 
दुःख के आँसू नहीं निकालो 
सुख की साँस भरो यारा 

अब जब सबकुछ ठीक हो गया 
न एहसास भरो यारा 

तुम भी रूठी, हम भी रूठे 
तुम भी टूटी, हम भी टूटे 
पतझड़ का मौसम करके 
अब न हमराज़ बनो यारा 

कुछ नादानी तुमने भी की 
कुछ नादानी मैंने भी 
कुछ शैतानी तुमने भी की 
कुछ शैतानी मैंने भी 

मंजिल तुमको खोज रही 
अब उसकी तरफ बढ़ो यारा 

कहाँ गई थी बोलो आखिर 
जब मैं टूटा, बिखरा था 
जीवन की गति उल्टी थी तब 
सबकुछ उल्टा दिख रहा था 

जो पढ़ना है वही पढ़ो तुम 
मुझको नही पढ़ो यारा 

ना ही तुझसे हुई मुहब्बत, ना ही और किसी से होगी

नील 
ना ही तुझसे हुई मुहब्बत 
ना ही और किसी से होगी 

इतना पहले बदल चुकी है 
और बता कितना बदलेगी 

वक्त - वक्त की बात नहीं ये 
इस दिल की गहरी बातें हैं 
दिन तो चलो गुज़रते हैं पर 
करवट बहुत बदलती रातें 

तेरी दशा, तुझे अर्पण है 
और भला तू क्या बोलेगी  

पहले दिया उजाला तूने 
अंधकार अब क्यों देती है 
"भूल सको जितना, भूलो तुम "
ये विचार अब क्यों देती है 

इतनी गहरी चोट मुझे दी 
और अभी क्या - क्या तू देगी 

भूल गया मैं सारी बातें 
फिर - फिर नहीं कुरेदो तुम 
जो तुमसे, जो कुछ भी माँगे 
उसको वो सब दे दो तुम 

तुझको मेरी फ़िकर नहीं फिर 
मेरी ख़ातिर क्यों रोयेगी। 

24/11/2018

मेरा ईश्वर, ईश्वर नहीं रहा



मेरा ईश्वर, ईश्वर नहीं रहा
मेरा ईश्वर पिशाच हो गया है

उसे अब अच्छा - बुरा, सही - गलत का ज्ञान
नहीं रहा ,
अब वह तनिक - विचार नहीं करता कुछ
करने से पहले
उन्मत्त है वो, किसी जहरीले - नशे की धुत्त में,
नफरत सी हो गई है ईश्वर के नाम से
उसके नाम से भी अब " बू "आती है मुझे

उसके अंदर किसी
किसी बुरी - आत्मा का प्रवेश हो गया है शायद

वह अब वही देखता है
जो उसे नहीं देखना चाहिए ,
वही करता है
जो उसे नहीं करना चाहिए,
वही सोचता है
जो उसे नहीं सोचना चाहिए
मेरे ईश्वर के दिमाग को दीमक चाट गये हैं शायद
किसी लकड़ी की तरह
जिसका प्रयोग हम कहीं नहीं कर सकते
जो निष्प्रयोजन हमारे बीच सत्ता बनाए हुए है
किसी बेलगाम राजा की भाँति

वो मारते जा रहा है एक - एककर
अच्छे लोगों को,
चबाए जा रहा उनके बच्चों की जिंदगी
किसी दरिन्दे - राक्षस के जैसे

वह विधवा बनाते जा रहा है औरतों को
उसे सुहागन औरतें पसंद नहीं शायद

उसके पास अब कुछ करने को नहीं रहा
सिर्फ इसके कि,
बच्चों को अनाथ बनाना, औरतों को विधवा बनाना
माँ - पिता के सहारे की लाठी तोड़ देना
किसी का बेटा, किसी की बेटी, किसी का भाई
किसी का नाना, चाचा, पापा मौसा और
न जाने कितने लोगों को निगल जाने के अलावा

वो कायर! निहत्थों पे वार करता है
उसे हथियार वालों से डर लगता है

उसे दूसरों की खुशियाँ देखी नहीं जाती
वो सब नष्ट - भ्रष्ट कर देना चाहता है
अपनी बेहूदा - हरकतों से

उसके पास इतना कुछ है
करने को,
कि उसे फुर्सत नहीं मिलनी चाहिए
सृष्टि को सजाने के क्रम में

उसे फूल बचाने चाहिए
काँटे हटाने चाहिए दुनिया को खूबसूरत बनाने के
क्रम में ,
मगर उसे फूल की अपेक्षा काँटे शायद
कुछ अधिक ही पसन्द हैं, इस धरती के लिये

मुझे बस इस बात का दुख है कि
जिसे जहाँ होना चाहिए, वो वहाँ नही है

सच कहूँ तो कभी - कभी ईश्वर के मरने की
आहट सी आती है,
क्योंकि ईश्वर ऐसा नहीं कर सकता
वो तो दयालु हैं, कृपालु हैं और दया के सागर हैं

वो तो बुरे लोगों का भी अहित नहीं चाहते
फिर अच्छे - लोगों भला कैसे चाहेंगे

पर ईश्वर तो नित्य है, अविनाशी है,अखण्ड है
और न जाने किन - किन कृत्रिम - विशेषणों
से नवाजा जा चुका है, किसी अयोग्य - प्रधानमंत्री
की भाँति
बात और कोई नही है
इसीलिए मैं कहता हूँ

मेरा ईश्वर, ईश्वर नहीं रहा
मेरा ईश्वर पिशाच हो गया है


19/11/2018

प्यार मुहब्बत दिल की बातें झूठी हैं

P.C - Isha Sharma

जो भी की सारी फरियादें झूठी हैं 
इसकी, उसकी, सबकी बातें झूठी हैं

देवदास बन जाएंगे, फिर बोलेंगें 
प्यार मुहब्बत दिल की बातें झूठी हैं

12/11/2018

हे सखे! राजा रहो तुम मैं विदूषक ही भला हूँ

Neel

हे सखे! राजा रहो तुम मैं विदूषक ही भला हूँ 
खुद हँसू, जग को हँसाऊँ एक अद्भुद सी कला हूँ

तुम रहो जाकर भवन में मैं यहाँ पर ठीक हूँ 
तुम हँसी हो दिव्यजन की मैं किसी की छींक हूँ 
आसमाँ में , उन सितारों में चमकते चाँद तुम 
मैं हमेशा ही दिखूँगा हो कहाँ गुमनाम तुम 

फिर हँसे हैं लोग मुझपे चाल कुछ ऐसी चला हूँ 

दिन तुम्हारे काट रहे होंगे बहुत ही खूब अब 
पास परियों के रहो , बनते रहो महबूब अब 
रेत की बंजर ज़मीं मुझमें तुम्हे मिल जायेगी 
वो नहीं आई जिसे कहते रहे तुम आएगी 

मैं किसी बेकार,बदबूदार फल जैसे गला हूँ  

तुम सुनाते दण्ड प्यारे, मैं हँसी का मीत हूँ 
तुम निकालो गालियाँ बस मैं सुनाता गीत हूँ 
तुम इन्हें देते रहो दुःख , मैं हँसाऊँगा इन्हें 
जो कहे दुत्कार कर ,वो सब भुलाउँगा इन्हें 

क्या करूँ ऐसी प्रकृति में जन्म से ही मैं पला हूँ 

कष्ट से लड़ता रहा रोना नहीं आया मुझे 
क्या सुनोगे बात न, अब तक समझ पाया मुझे 
इस कदर मदहोश हो, पैसों में खोये हो सदा 
जिन्दगी में त्याग की तालीम सीखो सर्वदा 

क्या करूँ आँसू नहीं आते मुझे ऐसे ढला हूँ 

ये मुझे जीवन मिला हंसने - हंसाने के लिए 
उन गरीबों के यहाँ महफ़िल सजाने के लिए 
जिनके चहरे की शिकन हटती नहीं है उम्रभर 
मैं उन्हीं लोगों का बच्चा हूँ ,यहाँ हूँ बेफ़िकर 

हूँ बहुत निर्धन मगर अब तक नहीं तुमको छला हूँ 

मैं हजारों दुःख लिए सबको हँसाता ही रहा 
हर कदम पे मैं तुम्हें अपना बनाता ही रहा 
चाहने वाले बहुत पर प्यार न देता कोई 
मुझको वो ख़ुशियों भरा संसार न देता कोई 

मैं किसी को कष्ट में छोड़ूँ , नहीं कोई बला हूँ  

हे सखे! राजा रहो तुम मैं विदूषक ही भला हूँ 
खुद हँसू, जग को हँसाऊँ एक अद्भुद सी कला हूँ

08/11/2018

बाकी है

Neel

कुछ कर चुका हूँ , कुछ काम अभी बाकी है
अभी तो आगाज़ है , अंजाम अभी बाकी है

बहुत कहते रहे के क्या है तेरे आँगन में
ये सुबह-ए-बनारस है अवध की शाम अभी बाकी है

मानता हूँ कि नही दूध का धुला मैं , पर
बचाए रख तेरा भी नाम अभी बाकी है

दोस्ती को बना रहा जो आजकल दिलकश
वही है दोस्तों ये जाम अभी बाकी है

रोज़ गीता पे हाँथ रख के कसम खाता है
और कहता है कि ईमान अभी बाकी है

30/10/2018

मैं अपने अंतिम समय में

Pic Credit - Rahul Sharma 

मैं तुमसे ठीक वैसे ही 
प्यार करता हूँ, जैसे
एक माता - पिता अपने बच्चे से 
एक रिसर्चर अपने रिसर्च से

जैसे एक कुम्हार अपने 
बनाए हुए मिट्टी के पात्रों से 
एक पाठक अपनी किताब से 
लेखक विचारों के साथ पेन और कागज से 
समुद्र साहिल से 
और
एक प्रेमी अपनी प्रेमिका से ....

ठीक वैसे ही मैं भी तुम्हें
प्यार करता हूँ

मैंनें तुमसे बेइन्तिहाँ
मुहब्बत की
तुमसे इस बात का जिक्र किये बिन


मैं अपने अन्तिम समय में
किसी पागल की तरह
समुद्र के किनारे बैठ
उतनी बार लिखूँगा तुम्हारा नाम

जितनी बार समुद्र की लहरें उसे मिटाएंगी
जितनी बार लोग मुझे पागल कह के सम्बोधित करेंगे
जितनी बार तुम्हारा नाम मेरी आँखों से ओझल होगा

लिखते - मिटते लिखते - मिटते
एक दिन मैं खुद
तुम्हारे नाम के साथ
उसी समुद्र में लिख - मिट जाऊँगा

पर तुम रोना नहीं
न ही मेरे न होने का शोक मनाना
तुम मुझे खुद में महसूस करना
मैं वहीं कहीं तुम्हें मिलूँगा
तुम्हारी आत्मा की अनन्त गहराइयों में
तुम्हारे साथ ।

मैं किसी का कुछ उधार
नहीं रखना चाहता,
बहुत अधिक दिनों तक

मैंने वादा किया है
मिटृटी से, हवा से ,पानी से ,आकाश से और
अग्नि से
सभी अपना - अपना हिस्सा ले जाएँँगें मुझसे
जब मैं यहाँ से विदा लूँगा

हाँ ,मेरे पास
तुम सभी की यादें हैं , प्यार है ,मुहब्बत है
जो इस धरती की
सबसे - खूबसूरत चीजें हैं मेरे हिसाब से

आप मुझसे वो मत माँगिएगा
माफ़ कीजिएगा, उसे मैं नहीं दे पाउँगा 


मैं अपने अन्तिम समय में 
जैसे लोगों के द्वारा देव ईश्वर अल्लाह 
महसूस किये जाते हैं 
वैसे ही मैं तुम्हें महसूस करूँगा 
तुम्हारे प्यार को पूजात्मक - क्रिया मानकर 











माफ कीजिए, उसे मैं नहीं दे पाऊँगा

माँ ये उमर तुम्हें लग जाए

माँ 
मेरी उमर तुम्हें लग जाए 
माँ ये उमर तुम्हें लग जाए 

लोरी गाती, थपकी देती 
आँचल में माँ मुझे सुलाए

जन्म दिया, धरती पे लाई 
छाती से माँ मुझे लगाई 
सदा हंसाए, सदा दुलारे 
कान्हा जैसे मुझे सँवारे 

जिसकी प्यारी मीठी - मीठी 
बातों से ही मन भर जाए

थम जाती हैं साँसें जिसकी 
मुझको गिरता देखकर 
खिल जाता है चेहरा जिसका 
मुझको उठता देखकर 

गिरना उठना और सम्हलना 
माँ मुझको चलना सिखलाए 

लड़ जाती है मेरी खातिर 
जो बेदर्द - जमाने से 
अब तक फ़िक्र करे माँ मेरी 
इक बच्चे - अन्जाने से 

मुझको थोड़ी चोट लगे जो 
आँखों में आँसू आ जाए 

मेरी उमर तुम्हें लग जाए 
माँ ये उमर तुम्हें लग जाए 

लोरी गाती, थपकी देती 
आँचल में माँ मुझे सुलाए

27/10/2018

नील गए जब से तुम दिल से गीत गया



ऐसे धीरे - धीरे जीवन बीत गया 
जैसे कोई अपना हमदम मीत गया  

बचपन माँ की गोद में गुजरा 
और जवानी प्यार में 
पत्नी संग फिर उम्र बिताया 
और बुढ़ापा याद में 
जीवन का बस लक्ष्य था इतना 
जितना मैंने पाया है 
खुश हूँ अपने इस जीवन से 
जिसमें रंग समाया है 

ऐसे ही इस जीवन को मैं लम्हा - लम्हा जीत गया 

फिर से पा लूँ तुमको 
ये जी करता है 
गोद में ले लूँ तुमको 
पर दिल डरता है 
संग सदा तेरे मैं भी 
रहना चाहूँ 
तुमसे दिल की बातें सब 
कहना चाहूँ 

जब - जब मेरे साथ रहा तू भीत गया 

तेरी भोली बातों का मैं दीवाना 
पागल था थोड़ा , थोड़ा सा बेगाना 
बातें दिल की सुनता 
और सुनाता था 
अब तक मैं छुप - छुप के 
तुमको गाता था 

नील गए जब से तुम दिल से गीत गया 


ऐसे धीरे - धीरे जीवन बीत गया 
जैसे कोई अपना हमदम मीत गया  


24/10/2018

प्रेम



चलो अब शान्त होते हैं 
उन कहकशाओं में कि 
जहाँ से न तुम इस बेसुर्ख़ धरती पे आओ 
और न ही मैं 
उड़ चलते हैं 
अंतरिक्ष में। 

19/10/2018

सपनें सच होते देर नहीं लगते

नीलेन्द्र शुक्ल " नील "

सपनें सच होते देर नहीं लगते
बस आपको खुद पर भरोसा
और अपनें कर्मों में श्रद्धा होनी चाहिए

ये सारी धरती, ये खुला सारा आसमान
तुम्हारा है ,
और तुम्हीं हो इसके सही हक़दार

तुम्हारा सही किरदार जब तक
तुम्हें नहीं मिल जाता
जीवन के इस रंगमंच पे
लड़ते रहो , संघर्ष करते रहो
उसे हासिल करने के लिए

नहीं बनो तुम " गीता के अर्जुन "
जिसे किसी कृष्ण की जरुरत पड़े

मत रखो अपने मन के भीतर
किसी प्रकार का द्वंद्व

उखाड़ फेंको वो सारी वासनाएँ
जो तुम्हारे लक्ष्य में रोड़ा बनें

प्रयास करो इन्द्रियों को संयमित
करने का

ये मन का द्वंद्व , ये वासनाएँ
और इन इन्द्रियों पर संयम खुद - ब - खुद
हो जाएगा

मैं सच कहता हूँ ,
सपनें सच होते देर नहीं लगते
बस आपको खुद पर भरोसा 
और अपनें कर्मों में श्रद्धा होनी चाहिए


देश में हैं दो बन्दर



का बतियाएँ काका तुमसे
देश में हैं दो बन्दर

एक शहर का नाम बदलता
दूजा घूमे जमकर

जितना वो कहते हैं ,जितना
बोलें उतना लिखो
कान, आँख, मुँह बन्द करो
जों बोलें उसको सीखो
सुनो सदा अनुकूल रहो और
चलना ज़रा सम्हलकर

प्यार , मुहब्बत किये नही वो
और नही कुछ समझें
बदल रहे वो दुनिया यारों
खुद को कभी न बदलें
दोनों कृत्रिम - बातें करते
फेंक रहे हैं छककर

मानवीयता तनिक नही है
सदा काटने दौड़ें
छप्पन इंच की छाती दिखलाकर
होते हैं चौड़े
दोनों की मति भ्रष्ट हुई है
दोनों हैं घनचक्कर

का बतियाएँ काका तुमसे
देश में हैं दो बन्दर

एक शहर का नाम बदलता
दूजा घूमे जमकर

12/10/2018

मोदी जी

Modi Ji 

खेलें खाएँ घूमें नाचें धूम मचाएँ मोदी जी
भाषण देते गला फाड़ के खुब चिल्लाएँ मोदी जी

काशी को दिखला कर सपना क्योटो का फिर निकल लिए
प्लेन में बैठें , आसमान से हाँथ हिलाएँ मोदी जी

क्या बदलाव हुआ है आखिर अच्छे - दिन के आने पर
नन्हें मुन्हें बच्चों से अब भीख मगाएँ मोदी जी

राजनीति हो मानवीयता को लेकर इस भारत में
जाति धर्म मजहब को लेकर नहीं लड़ाएँ मोदी जी

हम गुमराह नहीं होंगें इन लोगों की मौतें लेकर
सबकी खातिर सीमा पे जो जान गवाएँ मोदी जी

गाँवों में घुसकर देखो , बोलो बतियाओ तो समझो
दूर - दूर से " मन की बातें " नहीं सुनाएँ मोदी जी

संस्कृत की क्या दशा हुई है विद्यालय जा - जा देखें
बाहर जाकर ऐसे न भौकाल बनाएँ मोदी जी

लोकतंत्र को लोकतंत्र के जैसे ही रहने देना
लोकतंत्र का लिए पताका न फहराएँ मोदी जी

परेशान हैं अगर बुढ़ापे से सुनिए !इक काम करें
किसी योग्य का राजतिलक करके बैठाएँ मोदी जी

मैंने भी सोचा था कुछ अच्छा होगा इस शासन में
अच्छे - खासे प्यारे - प्यारे ख्वाब दिखाए मोदी जी


10/10/2018

कइसन - कइसन खेल देखावेला ईश्वर

Neel

कइसन - कइसन खेल देखावेला ईश्वर
खुद ही जन्मे , खुदै मुआवेला ईश्वर

का तोहके बतियाई कुछ तुहूँ समझा
ईश्वर के ही नाच नचावेला ईश्वर

देखनी करम करत जेनहन के बचपन से
ओनहन के न बड़ा बनावेला ईश्वर

सुन ला " मँगरू " हाँथ नही हौ कुछ तोहरे
खुदै रोवावे , खुदै हँसावेला ईश्वर

का हो ईश्वर आँधर हौ कि बहिरा हौ
लइकन के हर घड़ी सतावेला ईश्वर 

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...