13/01/2018

हमारे पास रखती हो बड़े एहसास रखती है

Performance At Chinmaya University

हमारे पास रखती हो बड़े एहसास रखती हो
मुझे तुम साँस देने के तज़ुर्बे - खास रखती हो

बगावत से मुहब्बत तक तुम्हारा फलसफ़ा इतना
जुबाँ खामोश रहती हैं नज़र से बात रखती हो

सदा फूलो फलो यूँ ही कि हर मन्जिल नई चूमों
बहुत है सादगी तुममे अधिक परवाज़ रखती हो

मुक़म्मल है तुम्हारा इश्क़ फिर इतनी ख़फ़ा क्यों हो
मुझे जब देखती हो क्यों दिल - ए - नासाज़ रखती हो

मेरा मन घूमता रहता है अक्सर स्वप्न में मेरे 
खिंचा जाता हूँ फिर भी मैं गज़ब अन्दाज़ रखती हो 

नहीं दौलत, नहीं सोहरत, नहीं विख्यात हूँ इतना 
तुम्हारी सोंच सुन्दर है मुझे सरताज़ रखती हो 



फलसफ़ा - दर्शन 
परवाज़ - उड़ान
दिल - ए - नासाज़ - हृदय प्रतिकूल 

हार कर मत बैठना तुम ज़िन्दगी की दौड़ में


नीलेन्द्र शुक्ल " नील "

हार कर मत बैठना तुम ज़िन्दगी की दौड़ में
युद्ध का परिणाम आता है सदा लड़ने के बाद

बोलना कैसे हमें है और उठना, बैठना
सीख पाओगे सही वृद्धों के संग रहने के बाद

फेंकना नंगा मुझे बीहड़ से रेगिस्तान में
भर सकेगें पेट अपना वो मेरे मरने के बाद

जिन्दगी संग काटने की बात करके आए थे
वो मुझे पहचान बैठे चार पल रहने के बाद

रक्त उनके हाँथ हैं है रक्त ही सारा बदन
हैं अभी खामोश वो जुल्मों - सितम सहने के बाद

देख लेना, सोंच लेना, पूछ लेना, जाँच लेना
यूँ नही ठुकराना तुम औरों के मुँह सुनने के बाद

आशियाने में गज़ब की भीड़ रहती है सदा
ऐसे मत मुँह फेरना अपनों के आ जाने के बाद 

ये सब भ्रम है सब माया है


हर हर महादेव!

ये सब भ्रम है सब माया है 
जग में जो खोया पाया है 
कुछ यहाँ नही अपना प्यारे
यूँ देख नही सपना प्यारे 
जो भी कुछ है सब नस्वर है 
क्या गाड़ी, क्या ऊँचा घर है 
जीवन के पन्ने पलट जरा 
आँखों से मिट्टी धूल हटा 
हों सारे रिस्तेदार सही 
तुम रख लो पहरेदार सही 
यदि मौत तुम्हें आनी है तो 
देता न साथ फिर साया है 

ये सब भ्रम है सब माया है 
जग में जो खोया पाया है ।2 

क्या भाई बन्धु यार यहाँ 
क्या बन्धन का संसार यहाँ 
सब मायाजाल मोह भ्रम है 
इनमें कर रहा व्यर्थ श्रम है 
ये कोई तेरे साथ नही 
लगने वाला कुछ हाथ नही 
मुँह मोड़ नही सच्चाई से 
मत दौड़ युँ ही अच्छाई से 
तुम मानो मुझे नही मानो 
वो गया है ,जो भी आया है 

ये सब भ्रम है सब माया है 
जग में जो खोया - पाया है । 2

ईश्वर अनादि अविनाशी है 
सुन मोक्षद्वार इक काशी है 
बस उनमें ध्यान लगाओ तुम 
बम - बम हर - हर को पाओ तुम 
कर आत्ममुक्ति न देहमुक्ति 
ब्रह्मन् को सोच लगा ले युक्ति 
सबकुछ अनित्य अभिमानी है 
जिसे आत्मज्ञान वो ज्ञानी है 

ये सोच सदा पाले रखना 
अपना न कोई पराया है । 2 

ये सब भ्रम है सब माया है 
जग में जो खोया पाया है ।

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...