05/04/2020

तुम्हारा जाना

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तुम्हारा जाना इतना आसान
नहीं था मेरे लिए,
तुम्हारा जाना कुछ यूँ रहा
जैसे -

ज्ञानेन्द्रियों के चले जाने पर
कर्मेन्द्रियाँ स्वतः खो देती होंअपना अस्तित्व
और विलीन हो जाती हों अनन्त में ।

नीलेन्द्र शुक्ल " नील "

बच्चे

Smriti Shukla
हर बच्चा अपने माता पिता की तपस्या का
सुखद परिणाम है - मैंने कहा

तुम असभ्यों की तरह हंस दिये एक बेतुकी - हंसी

मैंने फिर कहा -
हर बच्चा अपने माता पिता
की तपस्या का सुखद - परिणाम है

ये उनसे पूँछो जिनके बच्चे नहीं हैं ।

नीलेन्द्र शुक्ल " नील "

समय का पलड़ा

अवसादों से ग्रसित हो जाता हूँ कभी कभी

और सोचता हूँ -

" जिस कार्य की परिणति जब हो जानी चाहिए,
तब क्यों नहीं होती "

मैंने अक्सर महसूस किया
समय का पलड़ा भारी रहता है
मन के संकल्प विकल्प पर ...

नीलेन्द्र शुक्ल " नील "

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...