08/04/2019

कविता, पुस्तक और तुम


यादें कितनी खूबसूरत 
होती हैं, मालूम है तुम्हें  

तुम्हारी यादें कल बीजरूप में 
पनपी और कविताएँ बनी 

धीरे धीरे बढ़ी, बढ़ती गई 
और इतना बढ़ गई 
कि आज फसलरूपी पुस्तक 
तुम्हारे सामने है 

इसे उठाओ, पढ़ो 
और देखो 
मेरी नजरों से कितनी खूबसूरत दिखती हो 

शायद वो खूबसूरती नहीं 
दिखा पाए कोई भी दर्पण तुम्हें 

तुम्हारी दी हुई कला 
 नहीं मालूम 
मुझे कहाँ तक लेके जाएगी 
लेकिन हाँ अभी तक जो भी पाया हूँ
जहाँ भी हूँ सच बहुत खुश हूँ  





तुमसे जो लागी दिल की प्रीत रे

Arjit Singh
तुमसे जो लागी दिल की प्रीत रे 
दिल से निकल आया गीत रे 

मैं हूँ तुम्हारा और तुम मेरे 
हो सुरमयी सी संगीत रे 


जीने लगा दिल आजकल तुम्हें 
दिल की हुई है मुझपे जीत रे 



है ये मुहब्बत और कुछ नहीं 
लगता जहाँ है मनमीत रे 

वेदों का मैं गुणगान करूँ


जीवन का दर्शन मैं गाऊँ 
वेदों का मैं गुणगान करूँ 

जिसमें है सारतत्त्व सारा 
उस गीता का मैं ध्यान करूँ 

व्याकरण कल्प ज्योतिष शिक्षा 
नैरुक्त छ्न्द वेदांग जहाँ 
तुम ही बोलो वो कौन देश 
इतना पवित्र है ज्ञान कहाँ 

इसलिए गर्व है भारत पर 
इसका दिल से सम्मान करूँ 

किसी को तोलना अच्छा नहीं है

भाई - भाई 

                                                          विषय सब खोलना अच्छा नहीं है 
किसी को तोलना अच्छा नहीं है 

कोई गलती हुई हो तो बताओ 
युँ ही ना बोलना अच्छा नहीं है 

खुदा को बोलते हो साफ बोलो 
खुदा को घोलना अच्छा नहीं है 

मुहब्बत हो गई हो तो सही है 
मुहब्बत खोजना अच्छा नहीं है 


रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...