नीलेन्द्र शुक्ल " नील " |
सपनें सच होते देर नहीं लगते
बस आपको खुद पर भरोसा
और अपनें कर्मों में श्रद्धा होनी चाहिए
ये सारी धरती, ये खुला सारा आसमान
तुम्हारा है ,
और तुम्हीं हो इसके सही हक़दार
तुम्हारा सही किरदार जब तक
तुम्हें नहीं मिल जाता
जीवन के इस रंगमंच पे
लड़ते रहो , संघर्ष करते रहो
उसे हासिल करने के लिए
नहीं बनो तुम " गीता के अर्जुन "
जिसे किसी कृष्ण की जरुरत पड़े
मत रखो अपने मन के भीतर
किसी प्रकार का द्वंद्व
उखाड़ फेंको वो सारी वासनाएँ
जो तुम्हारे लक्ष्य में रोड़ा बनें
प्रयास करो इन्द्रियों को संयमित
करने का
ये मन का द्वंद्व , ये वासनाएँ
और इन इन्द्रियों पर संयम खुद - ब - खुद
हो जाएगा
मैं सच कहता हूँ ,
सपनें सच होते देर नहीं लगते
बस आपको खुद पर भरोसा
और अपनें कर्मों में श्रद्धा होनी चाहिए