भरे आकाश के नीचे पतड़्गे सा नही दिखता
मैं वो खुश्बू हूँ जो महसूस होता हूँ नही दिखता
अधूरी साँस थी, थे हम, अधूरी ज़िन्दगी मेरी
मुहब्बत है मुकम्मल अब अधूरापन नही दिखता
बहुत खामोश हैं लफ्ज़ - ए - बयाँ उनकी अदाएँ पर
उतरती यूँ दिल - ओ - दरिया में हैं शाहिल नही दिखता
न जाने क्यों बहुत रूठे हुए मगरूर बैठे हैं
मैं जितना इश्क करता हूँ उधर उतना नही दिखता
मैं वो खुश्बू हूँ जो महसूस होता हूँ नही दिखता
अधूरी साँस थी, थे हम, अधूरी ज़िन्दगी मेरी
मुहब्बत है मुकम्मल अब अधूरापन नही दिखता
बहुत खामोश हैं लफ्ज़ - ए - बयाँ उनकी अदाएँ पर
उतरती यूँ दिल - ओ - दरिया में हैं शाहिल नही दिखता
न जाने क्यों बहुत रूठे हुए मगरूर बैठे हैं
मैं जितना इश्क करता हूँ उधर उतना नही दिखता