06/01/2018

मुहब्बत है मुकम्मल अब अधूरापन नही दिखता

भरे आकाश के नीचे पतड़्गे सा नही दिखता
मैं वो खुश्बू हूँ जो महसूस होता हूँ नही दिखता

अधूरी साँस थी, थे हम, अधूरी ज़िन्दगी मेरी
मुहब्बत है मुकम्मल अब अधूरापन नही दिखता

बहुत खामोश हैं लफ्ज़ - ए - बयाँ उनकी अदाएँ पर
उतरती यूँ दिल - ओ - दरिया में हैं शाहिल नही दिखता

न जाने क्यों बहुत रूठे हुए मगरूर बैठे हैं
मैं जितना इश्क करता हूँ उधर उतना नही दिखता 

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...