30/11/2017

गज़ल



एक निर्णय ले लिए फिर क्या फ़रक पड़ता खुदा
या तो जन्नत राह होगी या तो दोजख का सफर

जिन्दगी को आग की दरिया पे है रखना मुझे
या तो मेरी मौत होगी या रहूँगा मैं अमर

हर कदम पे ले रहे हैं वो परीक्षाएँ मेरी
तुम कहो ! मैं इश्क़ कह दूँ या कहूँ इसको समर

चाँद देखो छिप गया है सूर्य दीवाना सा है
मेरा क्या होगा बताओ आज तुम आई अगर

जो हमेशा दिल की बातें सोंचता, सुनता रहा
आ गया जाने कहाँ से बुद्धिमानों के शहर

चाँद से ऊपर पहुँच कर सूर्य पर रख दूँ कदम
मेरे सारे ख़्वाब जो सजकर बिखर जाएँ इधर

अपनी भी कुछ ख्वाहिशें हैं अपने भी कुछ स्वप्न हैं
छोड़कर इनको बताओ आप ही जाऊँ किधर 

14/11/2017

ज़िक्र होता है तेरा हर बात में

मैं तुम्हारे प्यार की बरसात में
भीग जाऊँगा तुम्हारी याद में

जन्नतें मेरे लिए शायद नही
तू मेरी जन्नत तु ही फ़रियाद में

तुम नदी सी आ मिलो उस छोर पे
मैं समुन्दर सा मिलूँ आजाद मैं

इस दिलो - दीमाग में क्या कर गई
ज़िक्र होता है तेरा हर बात में

हुश्न शोला , होंठ शबनम , आँख हैं दरिया कोई
चाहता हूँ डूब के मरना , जियूँगा बाद में 

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...