कविताएँ लिख - लिख मर जाओ नेक नहीं हो पाएँगे
ये हिन्दू - मुस्लिम के बच्चे एक नहीं हो पाएँगे
संस्कारों की चादर तानों वादों के फरमान गढ़ो
ईश्वर - अल्लाह रोज मनाओ गीता और कुरान पढ़ो
कितना भी कुछ कर ले यारा! देख, नहीं हो पाएँगे
पुनर्नवा करते करते ही अभिज्ञान हो जाएगा
दोनों में फिर युद्ध छिड़ेगा सब श्मशान हो जाएगा
रक्ताप्लावित होगा कुछ अवशेष नहीं हो पाएँगे
संविधान कठपुतली होगा शोकगीत बन जाएगा
हम हिन्दू हैं, हम मुस्लिम हैं यही महज़ हो पाएगा
इसी देश में ईद और अभिषेक नहीं हो पाएँगे
मुखिया हैं दोनों पक्षों में दोनों का खूँ खौल रहा
धरती भी कम्पन करती है काल आग जब बोल रहा
एक म्यान में दो तलवारें फेंक, नहीं हो पाएँगे