18/05/2018

मुझे दर्शन पढ़ाने लग गये हैं



वही अब दूर जाने लग गये हैं 
हमें अनहद रुलाने लग गये हैं 

जवानी भी अभी देखा नही मैं 
मुझे दर्शन पढ़ाने लग गये हैं 

बहुत दिन बाद आया गाँव अपने 
कि शायद इक ज़माने लग गये हैं 

मैं जिनके संग अक्सर खेलता था अँख - मिचौली 
वही आँखें चुराने लग गये हैं 

बहुत ज्ञानी हैं वो, ध्यानी हैं वो हर शास्त्र पढ़कर 
मुझे पागल बुलाने लग गये हैं 

जियेंगे साथ हम ये जिंदगी वादे किये थे 
मेरी मय्यत सजाने लग गये हैं 

हमारी जिन्दगी पावन हुई इन दोस्तों से 
मुझे अपना बनाने लग गये हैं 

बहुत ही क्रोध आता था उन्हें तब देखकर मुझको 
वही अब गीत गाने लग गये हैं 


जो आया है उसका जाना स्वाभाविक है

Farewell Pictures Of Varun Sir 
जीवन में सुख - दुःख का आना स्वाभाविक है 
जीवन को हर पल समझाना स्वाभाविक है 

जीवन के हर पहलू पर सब साथ न होंगे
जो आया है उसका जाना स्वाभाविक है 

गुरु ईश्वर हैं, मात - पिता हैं, भाई - बन्धु 
इन सबमें भी खुद को पाना स्वाभाविक है 

भावुक - हृदय हमेशा बस रोना ही सीखा 
आँखों में आँसू का आना स्वाभाविक है 

जीवन में टकराते हैं कुछ प्यार भरे पल 
उन सब में इस पल का आना स्वाभाविक है 

हम संसार बदलने वाले बच्चे सारे 
हम सबका यूँ उड़ते जाना स्वाभाविक है 

इक प्यारे शिक्षक से यारों दूरी होना 
ऐसे में मन का घबराना स्वाभाविक है 


जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएँ वरुन सर आप यूँ ऊँचाइयाँ छूते रहें 
और जीवन को एक प्रोफेसर की भाँति नही अपितु एक शिक्षक की तरह जीते रहें जैसे हम सभी के लिए यहाँ थे आप ईश्वर से यही प्रार्थना है मेरी 
आपके असंख्य शिष्य हों जो आपको हम सभी से भी ज्यादा प्यार दे सकें और आपका जीवन खुशियों से भरा रहे ।

04/05/2018

आदमी ही थे वो ऐसे खुदा नही होते




मौज़ में गालियाँ दो - चार निकल जाती हैं
हमारे यार हैं अच्छे खफ़ा नही होते

रोंकना था उन्हें, बाँधा था पैर में उसके
इश्क फरियाद है " दो दिल " जुदा नही होते

वो जो करते रहे दिन - रात हुकूमत तुम पर
आदमी ही थे वो ऐसे खुदा नही होते

मौज़ - प्यार 

01/05/2018

कविताएँ


कविताएँ जब तक हैं तब तक हम तुम हैं
कविताओं के बाद घना अंधेरा है
कविताएँ ही शाम हृदय के आँगन की
कविताएँ ही खिलता हुआ सवेरा हैं

कविताओं में जीवन है अपनापन है
कविताएँ ही होने का एहसास तेरे
कविताओं को देखो गहन समंदर हैं
कविताएँ हैं तो तुम अक्सर पास मेरे

कविताओं में एक गज़ब की खुश्बू है
कविताएँ हैं जीवन की महबूब मेरी
कविताओं के बिन जीवन है व्यर्थ मेरा
कविताएँ हैं सर्द माह में धूप मेरी

कविताएँ हैं सपना इक , इक ख्वाब मेरा
कविताओं में रहना जीवन जीना है
कविताएँ ही उन्नति का संदेश यहाँ
कविताएँ ही जीवनभँवर सफीना हैं

कविताओं में प्यार सदा देखा मैंने
कविताएँ हैं सम्बल, हैं जज़्बात मेरे
कविताएँ मेरे जीवन की दुल्हन हैं
कविताएँ ही सुख दुःख में हैं साथ मेरे

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...