04/05/2018

आदमी ही थे वो ऐसे खुदा नही होते




मौज़ में गालियाँ दो - चार निकल जाती हैं
हमारे यार हैं अच्छे खफ़ा नही होते

रोंकना था उन्हें, बाँधा था पैर में उसके
इश्क फरियाद है " दो दिल " जुदा नही होते

वो जो करते रहे दिन - रात हुकूमत तुम पर
आदमी ही थे वो ऐसे खुदा नही होते

मौज़ - प्यार 

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