15/09/2018

तुमको आगे आना होगा


जहाँ कहीं मन रोंके तुमको
तुमको उसे मनाना होगा

जीवन की हर कठिनाई में
तुमको आगे आना होगा

जहाँ शराबों और शबाबों में
मदमस्त युवा हो जाएँ
जहाँ गली ,चौराहे नुक्क्ड़ का
हर खेल जुआ हो जाए

ऐसे वर्तमान को स्वामी
दिशा दिखाने आना होगा

जहाँ कहीं मन ........

बढ़ो अकेले ,साथ न हो जब
रुको मनन , चिन्तन के ख़ातिर
अंधेरों में दीप जलाओ
मिटते अन्धकार हैं आख़िर

उठो , बढ़ो इन लोगों से अब
तुमको देश बचाना होगा

जहाँ कहीं मन.........

होगा ये जग रौशन तुमसे
ऐसी सोंच बनाकर रखो
धीरे - धीरे तजो बुराई
अच्छाई अपनाकर रखो

ऐसे ही इस जीवन को कुछ
आत्मबोध सिखलाना होगा

जहाँ कहीं मन रोंके तुमको
तुमको उसे मनाना होगा

जीवन की हर कठिनाई में
तुमको आगे आना होगा

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