29/01/2018

पी जाओ पानी जैसे इस गीले बदन को तुम

A Good Lyrics According To Me ........

पी जाओ पानी जैसे इस गीले बदन को तुम ,
मिल जाऊँ नदियों सी मैं सागर हो जाओ तुम

पास हमारे आओ भी न यूँ शरमाओ तुम
पी जाओ पानी जैसे इस गीले - बदन को तुम

कपड़े - सपड़े छोड़ो थोड़ा हुश्न दिखाओ तुम
पी जाऊँगा मैं तुमको जरा पास तो आओ तुम

बारिश की इन बूंदों को मुझपे बरसाओ तुम
पी जाऊँगा मैं तुमको ज़रा पास तो आओ तुम

जो भी करना है कर ले आजा तू मेरे घर
कहीं और मत जाना बेबी आके मुझपे मर
जैसा मैं सोची थी बिल्कुल वैसे निकले तुम
जी जाओ पानी जैसे इस गीले बदन को तुम

आग लगी है तन - मन में आ अगन बुझाओ तुम
पी जाओ पानी जैसे इस गीले बदन को तुम

हुश्न तुम्हारा यूँ जादू कर जाएगा
शर्म - हया सब छोड़ आग - भड़काएगा
चल फिर थोड़ा मूड बना ह्विश्की दे थोड़ा रम
पी जाऊँगा मैं तुमको ज़रा पास तो आओ तुम

जो भी होगा आगे पीछे सब सह लेना तुम
पी जाऊँगा मैं तुमको ज़रा पास तो आओ तुम

पी जाओ पानी जैसे इस गीले बदन को तुम
मिल जाऊँ नदियों सी मैं सागर हो जाओ तुम

कपड़े - सपड़े छोड़ो थोड़ा हुश्न - दिखाओ तुम
पी जाऊँगा मैं तुमको ज़रा पास तो आओ तुम

Please Don't Think wrong About This Lyrics Because I'm Trying to Describe Many Types of Lyrics in Different types of Situation According To Bollywood. So See This As A Lyrics  I hope you will Understand Me in Right & Proper Way.
If You Have Any Doubt so You Can Ask Me ....
THANK YOU ........



25/01/2018

कुछ - कुछ उड़ने लगा सा हूँ


नीलेन्द्र शुक्ल " नील "

कुछ - कुछ उड़ने लगा सा हूँ
कुछ - कुछ बढ़ने लगा सा हूँ
जब से आए हो जीवन में ,
कुछ - कुछ जुड़ने लगा सा हूँ ।

कुछ -  कुछ  उड़ने लगा सा हूँ ।।

बातें तेरी जुबाँ पे हैं
सपने तेरे सुबह से हैं
यूँ ही देखा करो मुझको
आँखें पढ़ने लगा सा हूँ ।

कुछ - कुछ उड़ने लगा सा हूँ ।।

अल्ला,ईश्वर खुदा सब हैं
जो तू है तो जहाँ सच है
अब तक जाना नही था जो
अब प्यार करने लगा सा हूँ ।

कुछ - कुछ उड़ने लगा सा हूँ ।।

दूरी यूँ हो गई है जो
खो न दूँ कहीं मैं तुमको
आ जाओ एक होते हैं
कुछ - कुछ डरने लगा सा हूँ ।

कुछ - कुछ उड़ने लगा सा हूँ ।।

यादें दिन - रात आती हैं
अक्सर मुझको सताती हैं
क्या जादू कर गई हो तुम
तुमपे मरने लगा सा हूँ ।।

कुछ - कुछ उड़ने लगा सा हूँ ।।




23/01/2018

लेखनी तू शान्त मत होना , लड़ाई और भी है ।

लेखनी तू शान्त मत होना लड़ाई और भी है  .........
लेखनी तू शान्त मत होना , लड़ाई और भी है ।

तू युँ ही चलती चली चल
हार कर मत बैठ पल भर
आ गई है पास तो इक राह दे दे
स्वप्न कर साकार मेरी चाह दे दे

ऐ मेरे मन यूँ मचल मत हौंसला रख, कर पढ़ाई और भी है ।
लेखनी तू शान्त मत होना , लड़ाई और भी है ।।

बाज जैसे लक्ष्य पे बस ध्यान हो
तू नही यूँ सोच के सम्मान हो
जो तुझे करना है अपना कर्म कर
लोग पागल कह रहे , न शर्म कर

खुद को तू मजबूत करके कूद जा न देख, खाई और भी हैं
लेखनी तू शान्त मत होना लड़ाई और भी हैं

गिर, सम्हल, उठ जागती रह
स्वप्न तू पहचानती रह
यूँ नही खुद से मुकर तू
जा ज़रा सा सज - सँवर तू

हारना मत जिन्दगी से और सीढ़ी हैं चढ़ाई और भी हैं
लेखनी तू शान्त मत होना , लड़ाई और भी हैं ।।

तू सदा ये सोच रख उड़ना है तुझको
खुद के जीवन से अभी जुड़ना है तुझको
जाओ , ढूँढों , खोज लो मन्जिल तुम्हारी
है प्रतीक्षित लग रही सदियों से प्यारी

यूँ नही खुश हो अभी शुरुआत है बाकी , बधाई और भी हैं
लेखनी तू शान्त मत होना , लड़ाई और भी हैं ।।

सोच मत वीवाह की मत कैद हो
ताकि तेरे लक्ष्य न दुर्बेध हों
प्यार कर, वातावरण को देख तू
दे जहाँ को इक नया सन्देश तू

इक नये इतिहास का निर्माण कर प्यारे, सगाई और भी हैं
लेखनी तू शान्त मत होना लड़ाई और भी हैं ।।


13/01/2018

हमारे पास रखती हो बड़े एहसास रखती है

Performance At Chinmaya University

हमारे पास रखती हो बड़े एहसास रखती हो
मुझे तुम साँस देने के तज़ुर्बे - खास रखती हो

बगावत से मुहब्बत तक तुम्हारा फलसफ़ा इतना
जुबाँ खामोश रहती हैं नज़र से बात रखती हो

सदा फूलो फलो यूँ ही कि हर मन्जिल नई चूमों
बहुत है सादगी तुममे अधिक परवाज़ रखती हो

मुक़म्मल है तुम्हारा इश्क़ फिर इतनी ख़फ़ा क्यों हो
मुझे जब देखती हो क्यों दिल - ए - नासाज़ रखती हो

मेरा मन घूमता रहता है अक्सर स्वप्न में मेरे 
खिंचा जाता हूँ फिर भी मैं गज़ब अन्दाज़ रखती हो 

नहीं दौलत, नहीं सोहरत, नहीं विख्यात हूँ इतना 
तुम्हारी सोंच सुन्दर है मुझे सरताज़ रखती हो 



फलसफ़ा - दर्शन 
परवाज़ - उड़ान
दिल - ए - नासाज़ - हृदय प्रतिकूल 

हार कर मत बैठना तुम ज़िन्दगी की दौड़ में


नीलेन्द्र शुक्ल " नील "

हार कर मत बैठना तुम ज़िन्दगी की दौड़ में
युद्ध का परिणाम आता है सदा लड़ने के बाद

बोलना कैसे हमें है और उठना, बैठना
सीख पाओगे सही वृद्धों के संग रहने के बाद

फेंकना नंगा मुझे बीहड़ से रेगिस्तान में
भर सकेगें पेट अपना वो मेरे मरने के बाद

जिन्दगी संग काटने की बात करके आए थे
वो मुझे पहचान बैठे चार पल रहने के बाद

रक्त उनके हाँथ हैं है रक्त ही सारा बदन
हैं अभी खामोश वो जुल्मों - सितम सहने के बाद

देख लेना, सोंच लेना, पूछ लेना, जाँच लेना
यूँ नही ठुकराना तुम औरों के मुँह सुनने के बाद

आशियाने में गज़ब की भीड़ रहती है सदा
ऐसे मत मुँह फेरना अपनों के आ जाने के बाद 

ये सब भ्रम है सब माया है


हर हर महादेव!

ये सब भ्रम है सब माया है 
जग में जो खोया पाया है 
कुछ यहाँ नही अपना प्यारे
यूँ देख नही सपना प्यारे 
जो भी कुछ है सब नस्वर है 
क्या गाड़ी, क्या ऊँचा घर है 
जीवन के पन्ने पलट जरा 
आँखों से मिट्टी धूल हटा 
हों सारे रिस्तेदार सही 
तुम रख लो पहरेदार सही 
यदि मौत तुम्हें आनी है तो 
देता न साथ फिर साया है 

ये सब भ्रम है सब माया है 
जग में जो खोया पाया है ।2 

क्या भाई बन्धु यार यहाँ 
क्या बन्धन का संसार यहाँ 
सब मायाजाल मोह भ्रम है 
इनमें कर रहा व्यर्थ श्रम है 
ये कोई तेरे साथ नही 
लगने वाला कुछ हाथ नही 
मुँह मोड़ नही सच्चाई से 
मत दौड़ युँ ही अच्छाई से 
तुम मानो मुझे नही मानो 
वो गया है ,जो भी आया है 

ये सब भ्रम है सब माया है 
जग में जो खोया - पाया है । 2

ईश्वर अनादि अविनाशी है 
सुन मोक्षद्वार इक काशी है 
बस उनमें ध्यान लगाओ तुम 
बम - बम हर - हर को पाओ तुम 
कर आत्ममुक्ति न देहमुक्ति 
ब्रह्मन् को सोच लगा ले युक्ति 
सबकुछ अनित्य अभिमानी है 
जिसे आत्मज्ञान वो ज्ञानी है 

ये सोच सदा पाले रखना 
अपना न कोई पराया है । 2 

ये सब भ्रम है सब माया है 
जग में जो खोया पाया है ।

06/01/2018

मुहब्बत है मुकम्मल अब अधूरापन नही दिखता

भरे आकाश के नीचे पतड़्गे सा नही दिखता
मैं वो खुश्बू हूँ जो महसूस होता हूँ नही दिखता

अधूरी साँस थी, थे हम, अधूरी ज़िन्दगी मेरी
मुहब्बत है मुकम्मल अब अधूरापन नही दिखता

बहुत खामोश हैं लफ्ज़ - ए - बयाँ उनकी अदाएँ पर
उतरती यूँ दिल - ओ - दरिया में हैं शाहिल नही दिखता

न जाने क्यों बहुत रूठे हुए मगरूर बैठे हैं
मैं जितना इश्क करता हूँ उधर उतना नही दिखता 

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...