वही अब दूर जाने लग गये हैं
हमें अनहद रुलाने लग गये हैं
जवानी भी अभी देखा नही मैं
मुझे दर्शन पढ़ाने लग गये हैं
बहुत दिन बाद आया गाँव अपने
कि शायद इक ज़माने लग गये हैं
मैं जिनके संग अक्सर खेलता था अँख - मिचौली
वही आँखें चुराने लग गये हैं
बहुत ज्ञानी हैं वो, ध्यानी हैं वो हर शास्त्र पढ़कर
मुझे पागल बुलाने लग गये हैं
जियेंगे साथ हम ये जिंदगी वादे किये थे
मेरी मय्यत सजाने लग गये हैं
हमारी जिन्दगी पावन हुई इन दोस्तों से
मुझे अपना बनाने लग गये हैं
बहुत ही क्रोध आता था उन्हें तब देखकर मुझको
वही अब गीत गाने लग गये हैं