18/05/2018

मुझे दर्शन पढ़ाने लग गये हैं



वही अब दूर जाने लग गये हैं 
हमें अनहद रुलाने लग गये हैं 

जवानी भी अभी देखा नही मैं 
मुझे दर्शन पढ़ाने लग गये हैं 

बहुत दिन बाद आया गाँव अपने 
कि शायद इक ज़माने लग गये हैं 

मैं जिनके संग अक्सर खेलता था अँख - मिचौली 
वही आँखें चुराने लग गये हैं 

बहुत ज्ञानी हैं वो, ध्यानी हैं वो हर शास्त्र पढ़कर 
मुझे पागल बुलाने लग गये हैं 

जियेंगे साथ हम ये जिंदगी वादे किये थे 
मेरी मय्यत सजाने लग गये हैं 

हमारी जिन्दगी पावन हुई इन दोस्तों से 
मुझे अपना बनाने लग गये हैं 

बहुत ही क्रोध आता था उन्हें तब देखकर मुझको 
वही अब गीत गाने लग गये हैं 


No comments:

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...