सुबह ख़्वाबों में आई शाम कर दी
भरी महफ़िल में उसने जाम भर दी
मरे अब तक नहीं हम रोज़ मरकर
सफ़र में जिन्दगी नीलाम कर दी
बड़ी शिद्दत से जिसको चाहता था
उसी नें आशिकी बदनाम कर दी
नशा अब तक चढ़ा है यूँ मेरे सर
मुझे यह बेरुख़ी वीरान कर दी
बड़ी हसरत भरी थी इस हृदय में
मुझे इक पल में वो अन्जान कर दी
अहिंसा के पुजारी बन गये हैं
कि जब से वो हृदय शमशान कर दी
कि अब ये दूरियाँ मिट पाएँ कैसे
बना दुश्मन वो पाकिस्तान कर दी
अधूरी जिन्दगी मैं ढूढता हूँ
कहाँ ये जिन्दगी कुर्बान कर दी
भरी महफ़िल में उसने जाम भर दी
मरे अब तक नहीं हम रोज़ मरकर
सफ़र में जिन्दगी नीलाम कर दी
बड़ी शिद्दत से जिसको चाहता था
उसी नें आशिकी बदनाम कर दी
नशा अब तक चढ़ा है यूँ मेरे सर
मुझे यह बेरुख़ी वीरान कर दी
बड़ी हसरत भरी थी इस हृदय में
मुझे इक पल में वो अन्जान कर दी
अहिंसा के पुजारी बन गये हैं
कि जब से वो हृदय शमशान कर दी
कि अब ये दूरियाँ मिट पाएँ कैसे
बना दुश्मन वो पाकिस्तान कर दी
अधूरी जिन्दगी मैं ढूढता हूँ
कहाँ ये जिन्दगी कुर्बान कर दी