08/10/2018

उसी में आज रावण देखता हूँ


अधूरा आज सावन देखता हूँ 
कि बस बादल लुभावन देखता हूँ 

जिसे कहता रहा मैं रोज़ ईश्वर 
उसी में आज रावण देखता हूँ 

जितने में तुम रहते हो उतना तो साफ रखो यारों

Neel

जो करते हो , जितना भी उसमें इन्साफ रखो यारों
जीतोगे तुम भी इक दिन ऐसा विश्वास रखो यारों

कुत्ते भी जब बैठे हैं तो पूँछ - झाड़कर बैठे हैं
जितने में तुम रहते हो उतना तो साफ रखो यारों

घर का कूड़ा - कचरा सारा बच्चों संग भिजवाते हो
गंगा में मत छोड़ो उसको अपने पास रखो यारों

कुण्ठित - मन हो गया तुम्हारा माँ को गाली देते हो
कुछ अच्छे पण्डित बुलवाओ घर पर जाप रखो यारों 

मुझे माफ करना पापा

Neel

मुझे माफ करना पापा
मैं अपनी जिन्दगी
एक भरी हुई पेन
और सादे कागजों
के साथ गुजारना चाहता हूँ

मुझे माफ करना
उन सभी सपनों के लिए
जो आप मेरे लिए या मुझको लेकर
देख रहे हैं

मुझे माफ करना पापा
पर मैं सच - सच कहूँ तो
मेरा कोई इन्ट्रेस्ट नही है
मेरे स्लेबस की इन मोटी - मोटी किताबों में
दिन - दिन भर के लेक्चरों में
और इस झूठी शानो - शौकत में

मैं अब और नहीं इनमें बर्बाद करना
चाहता आपका पैसा और अपना समय

मुझे मालूम है आपकी एक बिन ब्याही बेटी
भी अभी है ,
और आपकी नौकरी कोई सरकारी नहीं
और ना ही उतनी खेती है
अब मैं आपकी सहायता और अपनें सपनों को
पूरा करना चाहता हूँ ,
जिन्हें मैं अपनी खुली आँखों से
हर घड़ी देखता हूँ पापा

मेरी कोई अभिलाषा नही
सरकारी प्रोफेसर, लेक्चरार या अध्यापक बनने की

अब मैं पढ़ना चाहता हूँ
जीवन की वो किताबें जिसमें सच को मैं
सामने से देख सकूँ

महसूस करना चाहता हूँ
जीवन के हर एक चैप्टर को बिल्कुल करीब से
जिनसे अभी तक आपनें मुझे अनभिज्ञ रखा

मुझे मालूम है रास्ता बहुत ही कठिन है
मेरी मन्जिल का
पर मैं लड़ना चाहता हूँ पापा
लड़कर मरना चाहता हूँ
कभी - कभी
हर विषय में समझौता करना अच्छा नही होता

मुझे माफ करना पापा
मैं अपनी जिन्दगी
एक भरी हुई पेन
और सादे कागजों
के साथ गुजारना चाहता हूँ

मुझे माफ करना पापा
मुझे माफ करना ।



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