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सबके सर पर इक - इक छप्पर रहता है
वो दुखिया है शायद बेघर रहता है
मैं बढ़ता हूँ इसमें नहीं अजूबा कुछ
मेरी माँ का हाँथ मेरे सर रहता है
एड़ी से चोटी तक ज़ोर लगाओ तुम
हर पंक्षी के पास सुनो पर रहता है
बाहर का माहौल बहुत ही बत्तर है
जब तक बहन नहीं आये, डर रहता है
मत घबराओ प्रिये ! तुम्हारी यादों का
इस दिल में मदमस्त - समन्दर रहता है