साभार - गूगल |
भ्रमर गुंजार करते हैं तुम्हारे बाग़ में मोहन।
परीशाँ गोपियाँ घूमें तेरे दीदार को मोहन
भटकती राधिका प्यारी सुबह से कुछ नहीं खाई
दिल - ए - गुलज़ार करती हैं तुम्हारे प्यार में मोहन
वो खुद को भूल बैठी हैं, तुम्हें वो चाहती इतना
तुम्हारा नाम जपती हैं, भरे संसार में मोहन
लुटाती हैं दिल - ए - ख्वाहिश, चमन में खुशबुओं जैसे
लजाती हैं बहुत तुमसे नयनव्यापार में मोहन
तुम्हीं सम्बल, तुम्हीं ताकत, तुम्हीं हो जिन्दगी उनकी
तुम्हीं पे हैं निछावर वो, तेरी सरकार में मोहन