05/02/2019

मैं लिखता हूँ शब के साये में बैठा

BHU - Ruiya ( Sanskrit Blok )

वो कहता है उसको जहाँ झुकाना है 
मैं कहता हूँ मुझे दिलों तक जाना है 

सबका अपना - अपना यहाँ सफ़र यारों 
सबको अपनी - अपनी मंज़िल जाना 

मैं लिखता हूँ शब के साये में बैठा 
उनको अब्भी भी महफ़िल तक जाना है 

बच्चों को खुश रखते हैं पापा मेरे 
ज्ञानी हैं, फिर भी ज़ाहिल तक जाना है 

मैंनें  भी कुछ सोच रखा है जीवन में 
इस साहिल से उस साहिल तक जाना है 

भूखों की नज़र हर घड़ी रोटी पे रही है



आशिक की नज़र हर घड़ी चोटी पे रही है 
गिद्धों की नज़र हर घड़ी बोटी पे रही है 

मानो नहीं मानो मगर ये सत्य है साहब 
भूखों की नज़र हर घड़ी रोटी पे रही है 


रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...