18/04/2019

नील! तुमको चुना मुकम्मल है

काश इतना बुरा नही होता 
वक्त ये बेवफा नही होता 

उम्र लगती है नाम होने में 
कोई यूँ ही बडा नही होता 

लोग गर छेडते नही मुझको 
जंग कोई लडा नही होता 

 आदमी जिन्दगी समझते जो 
     फलसफा ही बना नही होता    

बात सुनता अगर बडों की तू 
यार ये क़हक़हा नहीं होता 

एक दूजे से प्यार न हो तो 
फालतू वास्ता नही होता

नील! तुमको चुना मुकम्मल है 
वगर्ना रास्ता नही होता 

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...