नवजीवन हो नये वर्ष में भरे सदा उजियारा । रहे सदा उत्तुड़्ग श्रृड़्ग पर भारतवर्ष हमारा ।। संस्कृति ,संस्कृत सत्य,सनातन की ज्योति जल जाए, खग ,विहंग उल्लसित व्योम में , नदियाँ गीत सुनाएँ ऐसा हो सद्भाव जगत में, सब में भाईचारा । इक माँ का आँचल पकड़ें छूटे भी गिर न पाएँ, दूजी माँ है गोद पसारे निडर गिरें उठ जाएँ धन्य हुआ ऐसी माँ पाकर, जीवन धन्य हमारा । गंगा,यमुना हिमगिरि,पर्वत को सब मिलें बचाएँ, मानवता लाएँ जीवन में हम मानव बन जाएँ पशु,पक्षी की रक्षा कर , हम उनका बनें सहारा । गीत बनाएँ,मीत बनाएँ प्रीति बढ़ाते जाएँ, धरती से आकाश तलक,यह रीति बढ़ाते जाएँ, ऐसा सुन्दर काम करें चमके यह चाँद ,सितारा ।। उज्वल हो भविष्य नित सुन्दर कलियाँ खिलती जाएँ, मधुर,मनोहर राष्ट्र देखकर देव वहाँ मुस्काएँ ऐसा राष्ट्र चमत्कृत हो, हो देवलोक से प्यारा ।। नवजीवन हो नये वर्ष में भरे सदा उजियारा । रहे सदा उत्तुड़्ग श्रृड़्ग पर भारतवर्ष हमारा ।।