26/12/2016

नववर्ष ( गीत )

नवजीवन हो नये वर्ष में
भरे सदा उजियारा ।
रहे सदा उत्तुड़्ग श्रृड़्ग
पर भारतवर्ष हमारा ।।

संस्कृति ,संस्कृत
सत्य,सनातन
की ज्योति
जल जाए,
खग ,विहंग उल्लसित
व्योम में ,
नदियाँ गीत सुनाएँ
ऐसा हो सद्भाव
जगत में,
सब में भाईचारा ।

इक माँ का
आँचल पकड़ें
छूटे भी गिर
न पाएँ,
दूजी माँ है
गोद पसारे
निडर गिरें
उठ जाएँ
धन्य हुआ ऐसी
माँ पाकर,
जीवन धन्य हमारा ।

गंगा,यमुना
हिमगिरि,पर्वत
को सब मिलें
बचाएँ,
मानवता लाएँ
जीवन में
हम मानव बन जाएँ
पशु,पक्षी की
रक्षा कर ,
हम उनका बनें सहारा ।

गीत बनाएँ,मीत बनाएँ
प्रीति बढ़ाते
जाएँ,
धरती से आकाश
तलक,यह
रीति बढ़ाते जाएँ,
ऐसा सुन्दर
काम करें
चमके यह चाँद ,सितारा ।।

उज्वल हो भविष्य
नित सुन्दर
कलियाँ खिलती जाएँ,
मधुर,मनोहर
राष्ट्र देखकर
देव वहाँ मुस्काएँ
ऐसा राष्ट्र चमत्कृत
हो,
हो देवलोक से प्यारा ।।

नवजीवन हो नये वर्ष में
भरे सदा उजियारा ।
रहे सदा उत्तुड़्ग श्रृड़्ग
पर भारतवर्ष हमारा ।।


7 comments:

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर नेक कामना

Poetry With Neel said...

धन्यवाद कविता मैम ।

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 01 जनवरी 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Poetry With Neel said...

बहुत बहुत आभार यशोदा मैम मेरे गीत को स्नेह देने के
लिए और नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको और
" पाँच लिंकों का आनन्द में " सभी काव्यप्रेमियों को सभी
श्रेष्ठ कवियों को ।

Poetry With Neel said...

धन्यवाद सर
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको भी

Sudhanshu Tiwari said...

aapke har nayi kavita ke sath naye tarah ki nikhar bhi mil rahi hai padhane par... meri subhkamnaye sada aapke sath hai or aasha hai yasi hi kavitaye age bhi padhane ke liye milti rahengi....

Durgesh said...

अमर रहें ये शाब्दिक रचना, धन्य लेखनी तुम्हारी
हर नव वर्ष में खिलती रहे कविताओं की फुलवारी

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