03/01/2017

यह धरा पूरी तुम्हारी इस धरा को जीत लो

है यहाँ रहना तुम्हें तो गीत गाना सीख लो
ढाई आखर शब्द बोलो मुस्कुराना सीख लो

मैं नही कहता कि तुम परतंत्र हो निष्पन्द हो
किस कदर चलना तुम्हें जम्हूरियत से सीख लो

वो यहाँ जिस राह भेजें शान्त हो यूँ चल पड़ो
हाँथ में लेलो कटोरा और उनसे भीख लो

चल रहे हँथियार हों तो कष्ट तुम सहते रहो
जिन्दगी भर जख़्म खाओ दर्द हो जब चीख लो

चमड़ियाँ पहले भी उधड़ी आज भी आलम वही
थूँकने की चाह जब हो हाँथ में ही पीक लो

ख़त्म कर दे रूढ़ियाँ सब इस भरे संसार से
बुद्धि का कौशल दिखाओ साथ सारे मीत लो

और अब इंसानियत की है कहाँ कद्र-ए-हुज़ूर
बेड़ियाँ सब त्यागकर अब सर उठाना सीख लो

यह प्रकृति,यह भोग,वैभव शान्त यह वातावरण
यह धरा पूरी तुम्हारी इस धरा को जीत लो 

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...