30/08/2018

तू जीत गई मैं हार गया


तू जीत गई मैं हार गया 

अब आजा मेरे आँगन में 
            वर्ना मेरा संसार गया ।  तू जीत ...
      
     दो दिल की बात समझना था 
    मुझको जीवन में भरना था 
मैंने तुमको अपनाया है 
    दिल के अन्दर ही पाया है 
      मैं खुद को भूलना चाहा पर 
     न दिल से तेरा प्यार गया ।

       तू जीत गई मैं हार गया -2 

   दिल के दरवाजों पे है तू 
    मन सपनों, ख्वाबों में है तू 
तेरी बाँहों की जन्नत में 
खुद को पाऊँ मैं मन्नत में 
यारा इक तेरे जाने से 
मेरा प्यारा - परिवार गया ।

तू जीत गई मैं हार गया - 2 

हर माह तुम्हारे होने से 
मुझको सावन से लगते थे 
पलकों पे बैठाकर तुमको 
मेरे दिन पावन लगते थे 
तुम आ जाओ इस जीवन में 
मैंने ये जीवन वार दिया ।

तू जीत गई मैं हार गया - 2 
उड़ के आजा इस आँगन में 
वर्ना मेरा संसार गया ।

तू जीत गई मैं हार गया ।

क्लेशों में

प्रियतम नें अलगाव लिखा है खत में और संदेशों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में

मानव देखा जाता है अब रंग रुपों और वेशों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में

देखता हूँ मैं जब जिसको सब रहते हैं आवेशों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में

खेतों में है आग लगी जीते हैं कुछ अवशेषों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में

ज्ञान अथाह भले ही हो नौकरी नही है रेसों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में

लोग स्वयं का मान बेंच देते हैं रुपयों - पैसों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में

ऐसे ही यह विश्व बँट गया देशों और प्रदेशों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में 

25/08/2018

रक्षाबंधन


मेरी बहना , मेरी बहना , मेरी बहना तू - 2
साथ दूँगा जिन्दगी भर याद रखना तू ।।

तेरे दम पर जिन्दगी हंसकर गुज़रती है
तू रहे जो साथ ये सजती - सँवरती है
हौंसलों में पर लगा आकाश रहना तू ।।

मेरी बहना , मेरी बहना , मेरी बहना तू - 2

रेशमी - धागों का कैसे कर्ज चुकताऊँ
तेरे चेहरे की हंसी वाज़िब सदा पाऊँ
जो भी चाहे, जब कभी भी आके कहना तू ।।

मेरी बहना, मेरी बहना, मेरी बहना तू

एक माँ से हम नही पर एक माँ से हैं
जिस्म दो हैं पर कसम से एक जाँ से हैं
यूँ किसी मद्धम पवन सी संग बहना तू ।।

मेरी बहना, मेरी बहना, मेरी बहना तू

ख्वाहिशें हैं छीनकर खाने की संग रोटी
क्या हैं ये सोना हो या हीरा हो या मोती
मेरे जीवन का अनोखा एक गहना तू ।।

मेरी बहना, मेरी बहना, मेरी बहना तू - 2
साथ दूँगा जिन्दगी भर याद रखना तू
मेरी बहना, मेरी बहना, मेरी बहना तू ।।







23/08/2018

खुदा खैर करे


इतनी मीठी तेरी पुकार खुदा खैर करे
लौट आए वो बरकरार खुदा खैर करे

इतनी भोली सी है नादान - सादगी उसकी
सादगी में बसा खुमार खुदा खैर करे

मुंतज़िर था मैं जिस वख़त का उसी को लेकर
सामने आ गया है यार खुदा खैर करे

आँख मिलती रही हर रोज़ हम मिले ही नही
बीच में उफ्फ ये संसार खुदा खैर करे

उसके लफ्ज़ों से शहद गिरती रही शामो - सहर
भा गया मुझको वो रुख़्सार खुदा खैर करे 

18/08/2018

मानव हो तो मानव का सम्मान करो



मानवता थोड़ी भी हो तो दान करो
हे ईश्वर! हम लोगों का कल्याण करो

हम सब हैं नादान नही मालुम हमको
बच जाएँ ये जान ज़रा वरदान करो

रोते और बिलखते बच्चे दिखते हैं
आँखें खोलो ईश्वर! इनका ध्यान करो

अपने लोगों का जीवन खतरे में है
जागो यारों पूजा और अज़ान करो

भाषाओं को लेकर वैर नही पालो
मानव हो तो मानव का सम्मान करो

जीवन में सुख - दुःख हर इक पे आते हैं
हर पल लोगों में रहकर कुछ काम करो

प्यार - मुहब्बत से ही धरती चलती है
कुछ सीखो जीवन में कुछ आयाम करो

वो अंधा , पागल है, बहरा, गूँगा है
यारों हाँथ बढ़ाओ न अभिमान करो

सबको रहने, खाने - पीने का सुख हो
ऐसा ही कुछ दिग्विजयी अभियान करो

केरला के हालात देखकर यहाँ के लोगों को देखकर बहुत ही परेशान हूँ
कहने को बहुत कुछ कह सकता हूँ पर ये भाषणबाजी का वक्त नही है
ये वक्त है साथ देने का , मदद करने का और अपनों को बचाने का तो मैं आप सभी से ये उम्मीद करता हूँ कि Please As Much As Possible Donate प्रिय भाइयों , बहनों , मित्रों गुरुजनों और स्वजनों मैं आप सभी से विनम्र - निवेदन करता हूँ जितना हो सके उतना ही मदद करें पर करें जरूर आपको अगर पैसे Donate करने हैं तो Please आप खुलकर कहें हम आपको Valid Account देंगे जहाँ आप अपनी तरफ से इन भाइयों बहनों माताओं की सहायता कर सकें ।

Please Contact - 9645668581 - Nischal Prakash
                              9009228090 - Harsh Agrawal
                              8573934590 - Neelendra Shukla
                              9304184366 - Aaditya Raja
                

10/08/2018

गीत

Pic Credit - Shiksha Mishra 
कर्म करते चल मुसाफिर कर्म करते चल - 2
सोच ले कुछ धर्म अपना शर्म करते चल
कर्म करते चल मुसाफिर  ......

सोच मत फल के लिए
जो फल मिले या न
भज ले ईश्वर को ज़रा
ये कल मिले या न

जो मिले हैं ग्रन्थ उनका मर्म करते चल
कर्म करते चल मुसाफिर ......

दान दे थोड़ा भजन कर
और निजचिन्तन
क्यों बना है ? क्या करेगा ?
इसपे कुछ मन्थन

धर्म से गद्दी तू अपनी गर्म करते चल
कर्म करते चल मुसाफिर ......

छोड़ने में तू सतत प्रेरित
हो राग - द्वेष
और अभिवर्धन करे सम्पन्न
हो यह देश

त्याग दे तू क्रोध खुद को नर्म (नम्र) करते चल
कर्म करते चल मुसाफिर .......

क्या पता ये जिन्दगी
फिर से मिले या न
क्या पता ये कर्मभूमि
फिर मिले या न

दूर कर खुद की कमी कुछ धर्म करते चल
कर्म करते चल मुसाफिर कर्म करते चल -2

सोच ले कुछ धर्म अपना शर्म करते चल
कर्म करते चल मुसाफिर  ...... कर्म करते चल ।।

09/08/2018

एक ही सच है हमारी जिन्दगी का


ठोकरें खाते रहे हर वक्त लेकिन
होशियारी अब तलक आई नही है

दूरियाँ कुछ यूँ हुई इस जिन्दगी में
लग रहा है पास परछाई नही है

जब कभी ये मन मेरा रोता है जीभर
चुप कराने को कोई भाई नही है

एक ही सच है हमारी जिन्दगी में
मौत वो जो अब तलक आई नही है 

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...