Kashi, Banaras,Varanasi |
ईश शव औ' मशान काशी में
रोज सुनता अज़ान काशी में
केरला में महज़ बदन मेरा
घूमता है धियान काशी में
एक ही घाट पर दिखे दोनों
ईश,अल्ला महान काशी में
पाठ करते बटुक ऋचाओं का
वेद, गीता, पुराण काशी में
सुब्ह से शाम तक महादेवा
गूँजती है जुबान काशी में
एक मैं ही यहाँ अकेला हूँ
और सारा जहान काशी में
ख्वाहिशें हैं नहीं बहुत मेरी
चाहता इक मकान काशी में
ख्वाहिशें हैं नहीं बहुत मेरी
चाहता इक मकान काशी में
प्रेम पाकीज़गी में दिखता है
प्रेम शिव हैं, निशान काशी में
" केरला में महज़ बदन मेरा " का मतलब ये बिल्कुल नहीं है की मैं केरला पसन्द नहीं करता केरला मुझे बहुत पसन्द है यहाँ के लोग, यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता, यहाँ की उदारता पर कुछ मामलों को लेकर स्वार्थी होना पड़ता है महादेव की ख़ातिर ।
" केरला में महज़ बदन मेरा " का मतलब ये बिल्कुल नहीं है की मैं केरला पसन्द नहीं करता केरला मुझे बहुत पसन्द है यहाँ के लोग, यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता, यहाँ की उदारता पर कुछ मामलों को लेकर स्वार्थी होना पड़ता है महादेव की ख़ातिर ।