30/04/2019

जा मौज़ करा ई चुम्बन दिन


आलम्बन दिन उद्दीपन दिन 
जा मौज़ करा ई चुम्बन दिन 

दुई - दुई  के पाँति बंधी अहै 
आपस मा दुइनौ बिज़ी अहैं 
आँखिन मा आँख घुसेरे हैं 
चुम्मू पर वै मुँह फेरे हैं 

ओहके अब मन ललचान अहै 
कइद्या उनके अभिनन्दन दिन 

घर से सज धज के निकरे हैं 
खाना - पानी सब बिसरे हैं 
आँखिन मा लाखन ख़्वाब अहै 
हाँथन मा फूल गुलाब अहै 

कुछ के ख़ातिर ई अच्छा है 
कुछ के ख़ातिर ई लंठन दिन 

पइसा से पर्स भरे रइहा 
वै जउन कहँय ओतने करिहा 
बड़का ऊ मॉल घुमावत थीं 
रसगुल्ला चाट खवावत थीं 

कुछ हार, अँगूठी ड्रेस देइहैं 
कुछ बिंदिया चूड़ी कंगन दिन 

बातन - बातन मा प्यार बढ़ा 
मूढ़े चुम्बन त्यौहार चढ़ा 
नाचब गाउब बढ़िया होइहैं 
हमरे - तुम्हरे लरिका होइहैं 

वै दूनौ बातैं करत रहें 
हरदी माटी औ चन्दन दिन

जिस्म हमारा इक पल का, इक पल सा मैं

Lover of Mother Father & Lover.

कुछ चीजों में सच में बहुत निकम्मा हूँ कुछ चीजों में बिल्कुल गंगाजल सा मैं

मुझको मत देखो, अपनी आँखें देखो देखो चिपका हूँ उनमें काजल सा मैं

तेरी मम्मी मुझको ऐसे देख रही जैसे उनकी बिटिया का हूँ कल सा मैं

तुम बारिश हो मेरे भीतर रहती हो मैं फैला आकाश, तेरा बादल सा मैं

जब से तुमसे प्यार हुआ माँ कहती है बेटा है बदमाश बहुत, पागल सा मैं

और छनकने लगती हो तुम मेरे संग तेरे नाज़ुक पैरों का पायल सा मैं

मेरी माँ नें कठिन तपस्या की होगी तब जाकर वो पाई मुझको, फल सा मैं

नील तुम्हारे बीच हमेशा होगा पर जिस्म हमारा इक पल का, इक पल सा मैं

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...