आलम्बन दिन उद्दीपन दिन
जा मौज़ करा ई चुम्बन दिन
दुई - दुई के पाँति बंधी अहै
आपस मा दुइनौ बिज़ी अहैं
आँखिन मा आँख घुसेरे हैं
चुम्मू पर वै मुँह फेरे हैं
ओहके अब मन ललचान अहै
कइद्या उनके अभिनन्दन दिन
घर से सज धज के निकरे हैं
खाना - पानी सब बिसरे हैं
आँखिन मा लाखन ख़्वाब अहै
हाँथन मा फूल गुलाब अहै
कुछ के ख़ातिर ई अच्छा है
कुछ के ख़ातिर ई लंठन दिन
पइसा से पर्स भरे रइहा
वै जउन कहँय ओतने करिहा
बड़का ऊ मॉल घुमावत थीं
रसगुल्ला चाट खवावत थीं
कुछ हार, अँगूठी ड्रेस देइहैं
कुछ बिंदिया चूड़ी कंगन दिन
बातन - बातन मा प्यार बढ़ा
मूढ़े चुम्बन त्यौहार चढ़ा
नाचब गाउब बढ़िया होइहैं
हमरे - तुम्हरे लरिका होइहैं
वै दूनौ बातैं करत रहें
हरदी माटी औ चन्दन दिन