30/04/2019

जिस्म हमारा इक पल का, इक पल सा मैं

Lover of Mother Father & Lover.

कुछ चीजों में सच में बहुत निकम्मा हूँ कुछ चीजों में बिल्कुल गंगाजल सा मैं

मुझको मत देखो, अपनी आँखें देखो देखो चिपका हूँ उनमें काजल सा मैं

तेरी मम्मी मुझको ऐसे देख रही जैसे उनकी बिटिया का हूँ कल सा मैं

तुम बारिश हो मेरे भीतर रहती हो मैं फैला आकाश, तेरा बादल सा मैं

जब से तुमसे प्यार हुआ माँ कहती है बेटा है बदमाश बहुत, पागल सा मैं

और छनकने लगती हो तुम मेरे संग तेरे नाज़ुक पैरों का पायल सा मैं

मेरी माँ नें कठिन तपस्या की होगी तब जाकर वो पाई मुझको, फल सा मैं

नील तुम्हारे बीच हमेशा होगा पर जिस्म हमारा इक पल का, इक पल सा मैं

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