03/09/2016

" तुम्हारे ख्याल में "

जिन्हें सपनों में न भुला पाए ,
उन्हें आखिर मैं भुलाऊँ कैसे ?
उनके इस बेवफाई के किस्से ,
भरी महफिल में सुनाऊँ कैसे ?

रहनुए बहुत आए ,गए और फरार हुए ,
जली बाती से ये दीपक मैं जलाऊँ कैसे ?
वैसे तो इधर भी कमी नहीं है कलियों की ,
फिर भी रेत में मैं फूल खिलाऊँ कैसे ?

बरसों के जख्म तन के भर रहे शायद ,
डाल अंगार उन्हें जख़्म बनाऊँ कैसे ?
कभी कविता, कभी गज़लें, कभी इन मिश्रों से ,
हूँ उनका नाम लिया, वरना बुलाऊँ कैसे ?

तेरी नादानी ने इस कदर कहर ढाया है ,
रात की नींद उड़ी सोऊँ, सुलाऊँ कैसे ?
तूने बीती हुई यादों का बोझ जो डाला,
तुम्ही बताओ इसका भार उठाऊँ कैसे ?

तेरी फिकर में कभी सहर, कभी शाम हुई ,
मैंने सोचा कि पूरी रात बिताऊँ कैसे ?
रात छोटी पड़ी भावों में तेरे मस्त रहा ,
तेरी पलकें न झुकी ,आँख हटाऊँ कैसे ?

सामने आता रहा भोला, फरेबी चेहरा,
तेरे चेहरे के मुखौटे को हटाऊँ कैसे ?
सोंचता हूँ  के आज रात यहाँ पार करूँ,
पर तुम्हें छोड़ अकेले यहाँ जाऊँ कैसे ?

तेरा मक़सूद है शायद मुझे गिराने का ,
अम्दन पैर पे मैं वज्र चलाऊँ कैसे ?
जब दिल टूट कर बिखर गया श्मशान हुआ,
अब मैं प्यार, मुहब्बत को जताऊँ कैसे ?

क़यास आता रहा मित्र बना लूँ उनको ,
टूटे पत्ते को मैं टहनी से मिलाऊँ कैसे ?
उनकी फ़ितरत है कि वो एक पे नही टिकते ,
सागर में नाव मैं उतार, चलाऊँ कैसे ?

आज महबूब संग खिले - खिले नज़र आए ,
कितने महबूब हैं उनके ये बताऊँ कैसे ?
प्यार की अर्थियाँ कितनों की उठा दी उसने,
उनके इल्ज़ाम यूँ उँगली पे गिनाऊँ कैसे ?

कभी जो मेरे खुदा, मेरी दुआ होते थे,
आज भी हैं उन्हें आखिर मैं रुलाऊँ कैसे ?
उनकी आदत है भुलाने की, भुला दें हमको,
कुछ भी कहूँ मगर उनको भुलाऊँ कैसे ?

" फिजा में चमकते सितारे मिलेंगे "

फिजा में चमकते सितारे मिलेंगे ,
हमारे तुम्हारे इशारे मिलेंगे ।

भटक भी गये बीच मजधार में तो ,
कहीं न कहीं तो किनारे मिलेंगे ।।

अगर छद्म होगा न मन में तुम्हारे ,
तेरी राह पे पुष्प - न्यारे मिलेंगे ।।

नही सीखना तुम कभी द्वेष करना ,
जहाँ में तुम्हें लोग प्यारे मिलेंगे ।।

न हिन्दू, न मुस्लिम, न सिख इसाई ,
तुम्हें सर्वदा भाईचारे मिलेंगे ।।

जरा सा सम्हल के मगर पैर रखना ,
नही दर - बदर पे जुवारे मिलेंगे ।।

नहीं तर्जना , भर्त्सना तुम करो अब ,
चमकते हुए चाँद - तारे मिलेंगे ।।

निखरना अगर है तुम्हें सूर्य बनकर ,
जगत - ज्ञान जीवन में सारे मिलेंगे ।।

अगर इश्क में बेवफाई न होगी ,
तो शत्रु सदा तुमसे हारे मिलेंगे ।।

गली कूच में प्रेम के गीत गाओ ,
तुम्हारे हृदय को सहारे मिलेंगे ।।

मेरी दिलरुबा तुम जरा मुस्कुरा दो ,
तुम्हारी अदाओं के मारे मिलेंगे ।।

ये दिलकश जवानी , ये अल्हड़ कहानी ,
के चर्चे घरों में हमारे मिलेंगे ।।

" सूनापन "

सूनापन छाया है मुझमें, एक उदासी सी छाई ,
जीवन सारा वियोगमय है, देखो ऋतु वसन्त आई ।

मैं रोता हूँ, कमरे में इक, बैठ अकेला उनसे दूर ,
न समझें वेदना मेरी, कलियाँ हैं खुलकर मुस्काई  ।।

हृदय प्रकम्पित है, अन्तःस्थल में यह कैसा ऊहापोह ।
दारुण - हृदय रुदन करता है प्रकृति में हरियाली आई ।।

आज हुआ फिर से सम्वेदित फिर देखो मधुमास चढ़ा ।
जब - जब मैं मजबूर रहा, बस तब ही क्यों बारिश आई ?।।

बारिश की रिमझिम बूँदें तन पर पावक सी लगती हैं ।
आखिर फिर क्यों बरसे हैं ? तरुणी बन क्यूँ ली अँगड़ाई ?।।

ऊपर पूनम - चाँद सुशोभित, नीचे पवन सुगन्धित है ।
कई दिनों से दिखे नही तुम, पुनः तुम्हारी याद आई ।।

भ्रमरों का गुंजार श्रवणकर मन में टीस उभरती है ।
ये लो मैं जाने वाला हूँ और छलक कर वो आई ।।

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...