19/07/2016

" गीत "

अजनबी शहर में अजनबी राह पर
अजनबी से मुलाकात होने लगी ।
अजनबी वो भी थे अजनबी हम भी थे
अजनबी से जरा बात होने लगी ।।

धीरे - धीरे बढ़ा सिलसिला बातों का
बातों - बातों में हम पास आने लगे ।
आये वो पास मेरे तो स्नेहित हुआ
और भी पास आये चाहत बढ़ी ।।

चाहतों का रहा न ठिकाना वहाँ
चाहतें आसमाँ पे थी पहुँची हुई ।
आसमाँ पे पहुँच तो गया मैं मगर
अब उतरने का कोई बहाना न था ।।

एक दिन बाग में आये वो प्यार से
कह दिये अजनबी हो, रहो अजनबी ।
सन्न हो मैं गया कुछ भी कह न सका
अजनबी हो गया मैं उसी शाम से ।।

अजनबी हो गया मैं मगर दिल मेरा
आज भी उनकी यादों में गुम हो रहा ।
मेरी चाहत अभी भी है तुमसे सनम
अब तो मिलने का कोई बहाना न था ।।

अजनबी शहर में अजनबी राह पर
अजनबी से मुलाकात होने लगी ।
अजनबी वो भी थे अजनबी हम भी थे
अजनबी से जरा बात होने लगी ।।

" हिजड़ो की संख्या बहुत भरी है भारत में "

हिजड़ो की संख्या बहुत भरी है भारत में ।
पिजड़ो में बन्द हैं कई हुए शरारत में ।।

अब देश विरोधी नारे लगते दिल्ली में,
सामान मिले हम लोगों को सब झिल्ली में ।
सब कामचोर हो कहते , हूँ मैं हरारत में,
हिजड़ो की संख्या बहुत भरी है भारत में ।।1।।

लड़कियों के संग व्यवहार - अनर्गल करते हैं,
भौजी,भाभी और माल कहा वो करते हैं ।
कहने को मात्र युवा हैं बाकी प्रायः नशे के हालत में,
हिजड़ो की संख्या बहुत भरी है भारत में  ।।2।।

यह पुलिस - प्रशासन उनका न कुछ करती है,
डंडा, बन्दूख, तोप भी रखके डरती है ।
डर जाते हैं नयनों के एक इशारत में,
हिजड़ो की संख्या बहुत भरी है भारत में ।।3।।

कुछ नीच और कुछ महानीच जो बैठते हैं,
अधिकार माँगने पर जनता से ऐंठते हैं ।
हर पाँच साल में हाथ जोड़ने की हालत में,
हिजड़ो की संख्या बहुत भरी है भारत में ।।4।।

हैं कई लोग भूखे मरते, रहने को पास जगह न है,
जैसे विधि ने हो कष्ट लिखा उनको कष्टों को सहना है ।
एसी जब रूम में चलती है तब जा सोते हैं इमारत में,
हिजड़ो की संख्या बहुत भरी है भारत में ।।5।।

नापाक ओवैशी जैसे कितने दोगले हैं,
जो अपनी माँ को माँ न समझे वो गले हैं ।
भारत को खत्म करने के हैं ये चाहत में,
हिजड़ो की संख्या बहुत भरी है भारत में ।।6।।

अब पाकिस्तानी झण्डा खुल के लहरेगा,
जब काश्मीर उनके जा देश में ठहरेगा ।
लगता है हिन्दुस्तान को पाकिस्तान बनाने के इजाजत में,
हिजड़ो की संख्या बहुत भरी है भारत में ।।7।।


" हिन्दुस्तान "

जी चाहे है जीवन को मैं एक नया इन्सान बना दूँ ,
देखूँ मैं आतंक जहाँ भी जगह को उस शमशान बना दूँ ।
हो जाऊँ मैं निठुर हठी जब समझाने से वो न समझें,
पाकिस्तानी धरती पे मैं दूसरा हिन्दुस्तान बना दूँ ।।1।।

जितनों के मुख में गाली है अब जुबान उनकी अटका दूँ ,
राष्ट्रद्रोह करने वालों को सब मिल शूली पे लटका दूँ ।
हों कितने परमाणु,मिसाइल हमको नही डरा सकते हो,
कभी मिलो मुझसे प्यारे! तो मैं अपनी औकात दिखा दूँ ।।2।।

कलह,क्लेश,कपटी लोगों में प्रेम का मैं इक दीप जला दूँ ,
मुझमें इतनी शक्ति भरो कि भारत को मैं नई कला दूँ ।
हो खुशहाल सभी का जीवन ऐसा कुछ वरदान मुझे दो,
इस समग्र-संसार तमस को एक बार मैं पुनः जला दूँ ।।3।।

जीवन है आतंकित भय से स्वयं में मैं अभिमान जगा दूँ ,
एक नही सौ-सौ फायर हों इतना मैं बलवान बना दूँ ।
राष्ट्रभक्ति में अगर कलम सर होने की नौबत आए तो ,
ईश्वर शक्ति मुझे देना कि अपना मैं बलिदान चढ़ा दूँ ।।4।।

बुद्धि को परिमार्जित कर दो एक नया संसार बना दूँ ,
निश्छल और निष्कपट गरीबों का अच्छा घर-द्वार बना दूँ ।
जब तक रहूँ जिऊँ ऐसे ही, ऐसा कुछ वरदान मुझे दो,
हिन्दुस्तान की धरती को मैं विश्वविजय का हार चढ़ा दूँ ।।5।।

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...