जी चाहे है जीवन को मैं एक नया इन्सान बना दूँ ,
देखूँ मैं आतंक जहाँ भी जगह को उस शमशान बना दूँ ।
हो जाऊँ मैं निठुर हठी जब समझाने से वो न समझें,
पाकिस्तानी धरती पे मैं दूसरा हिन्दुस्तान बना दूँ ।।1।।
जितनों के मुख में गाली है अब जुबान उनकी अटका दूँ ,
राष्ट्रद्रोह करने वालों को सब मिल शूली पे लटका दूँ ।
हों कितने परमाणु,मिसाइल हमको नही डरा सकते हो,
कभी मिलो मुझसे प्यारे! तो मैं अपनी औकात दिखा दूँ ।।2।।
कलह,क्लेश,कपटी लोगों में प्रेम का मैं इक दीप जला दूँ ,
मुझमें इतनी शक्ति भरो कि भारत को मैं नई कला दूँ ।
हो खुशहाल सभी का जीवन ऐसा कुछ वरदान मुझे दो,
इस समग्र-संसार तमस को एक बार मैं पुनः जला दूँ ।।3।।
जीवन है आतंकित भय से स्वयं में मैं अभिमान जगा दूँ ,
एक नही सौ-सौ फायर हों इतना मैं बलवान बना दूँ ।
राष्ट्रभक्ति में अगर कलम सर होने की नौबत आए तो ,
ईश्वर शक्ति मुझे देना कि अपना मैं बलिदान चढ़ा दूँ ।।4।।
बुद्धि को परिमार्जित कर दो एक नया संसार बना दूँ ,
निश्छल और निष्कपट गरीबों का अच्छा घर-द्वार बना दूँ ।
जब तक रहूँ जिऊँ ऐसे ही, ऐसा कुछ वरदान मुझे दो,
हिन्दुस्तान की धरती को मैं विश्वविजय का हार चढ़ा दूँ ।।5।।
देखूँ मैं आतंक जहाँ भी जगह को उस शमशान बना दूँ ।
हो जाऊँ मैं निठुर हठी जब समझाने से वो न समझें,
पाकिस्तानी धरती पे मैं दूसरा हिन्दुस्तान बना दूँ ।।1।।
जितनों के मुख में गाली है अब जुबान उनकी अटका दूँ ,
राष्ट्रद्रोह करने वालों को सब मिल शूली पे लटका दूँ ।
हों कितने परमाणु,मिसाइल हमको नही डरा सकते हो,
कभी मिलो मुझसे प्यारे! तो मैं अपनी औकात दिखा दूँ ।।2।।
कलह,क्लेश,कपटी लोगों में प्रेम का मैं इक दीप जला दूँ ,
मुझमें इतनी शक्ति भरो कि भारत को मैं नई कला दूँ ।
हो खुशहाल सभी का जीवन ऐसा कुछ वरदान मुझे दो,
इस समग्र-संसार तमस को एक बार मैं पुनः जला दूँ ।।3।।
जीवन है आतंकित भय से स्वयं में मैं अभिमान जगा दूँ ,
एक नही सौ-सौ फायर हों इतना मैं बलवान बना दूँ ।
राष्ट्रभक्ति में अगर कलम सर होने की नौबत आए तो ,
ईश्वर शक्ति मुझे देना कि अपना मैं बलिदान चढ़ा दूँ ।।4।।
बुद्धि को परिमार्जित कर दो एक नया संसार बना दूँ ,
निश्छल और निष्कपट गरीबों का अच्छा घर-द्वार बना दूँ ।
जब तक रहूँ जिऊँ ऐसे ही, ऐसा कुछ वरदान मुझे दो,
हिन्दुस्तान की धरती को मैं विश्वविजय का हार चढ़ा दूँ ।।5।।
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