22/03/2019

मुझको देखोगी या मेरा पागलपन

Neel
हँसती जाओ नहीं करो यूँ आँखेँ नम 
इस लम्हें को जी लो भूलो सारे गम 

जीवन को किरदारों में बाँटा हूँ मैं 
मुझको देखोगी या मेरा पागलपन 

पापा बैठ किनारे घर के रोते हैं 
बेटे संग शायद फिर आज हुई अनबन 

घर से बाहर निकल रहा हूँ पढ़ने को 
मम्मी कहती है बेटा न जा लन्दन 

बहना को जब भी देखूँ दिल रोता है 
बहना के हाँथो में न दिखते कंगन 

भाई को समझा - समझा कर हार गया 
भाई केवल बातों में है नंबर वन 

जब भी ऐसी दशा देखता हूँ घर की 
बाहर खुश दिखता हूँ, अंदर रोता मन 

मैं कैवल्य तुम्हें दूँगा तुम कर्म करो

Me & Vishwajit At Chinmaya University.
दिन पर दिन बढ़ते जाओ ना शर्म करो 
तेजस्वी हो जीवन अपने धर्म करो 

कल सपने में आये बोले शंकर जी 
मैं कैवल्य तुम्हें दूँगा तुम कर्म करो


तुम्हारे इस शहर से जो गुज़र जाऊँगा मैं

Cover Page Of My First Poetry Book.
जिधर होगा इशारा बस उधर जाऊँगा मैं 
यही सच है अगर ऐसे सुधर जाऊँगा मैं 

भुलाना यूँ मुझे जैसे क़यामत आ पड़ी हो 
तुम्हारे इस शहर से जो गुज़र जाऊँगा मैं

हुकूमत की जमी होगी जहाँ न मैं रहूँगा
भले राजा रहो तुम पर मुकर जाऊँगा मैं

इबादत मैं करूँगा सिर्फ़ इस हिन्दोस्ताँ की
तुम्हारे सामने बनकर कहर आऊँगा मैं

मुहब्बत आज़माना है तुम्हें लो आज़मा लो
मुहब्बत की जमीं पर फ़िर नहीं आऊँगा मैं





रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...