Neel |
हँसती जाओ नहीं करो यूँ आँखेँ नम
इस लम्हें को जी लो भूलो सारे गम
जीवन को किरदारों में बाँटा हूँ मैं
मुझको देखोगी या मेरा पागलपन
पापा बैठ किनारे घर के रोते हैं
बेटे संग शायद फिर आज हुई अनबन
घर से बाहर निकल रहा हूँ पढ़ने को
मम्मी कहती है बेटा न जा लन्दन
बहना को जब भी देखूँ दिल रोता है
बहना के हाँथो में न दिखते कंगन
भाई को समझा - समझा कर हार गया
भाई केवल बातों में है नंबर वन
जब भी ऐसी दशा देखता हूँ घर की
बाहर खुश दिखता हूँ, अंदर रोता मन
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