22/03/2019

मुझको देखोगी या मेरा पागलपन

Neel
हँसती जाओ नहीं करो यूँ आँखेँ नम 
इस लम्हें को जी लो भूलो सारे गम 

जीवन को किरदारों में बाँटा हूँ मैं 
मुझको देखोगी या मेरा पागलपन 

पापा बैठ किनारे घर के रोते हैं 
बेटे संग शायद फिर आज हुई अनबन 

घर से बाहर निकल रहा हूँ पढ़ने को 
मम्मी कहती है बेटा न जा लन्दन 

बहना को जब भी देखूँ दिल रोता है 
बहना के हाँथो में न दिखते कंगन 

भाई को समझा - समझा कर हार गया 
भाई केवल बातों में है नंबर वन 

जब भी ऐसी दशा देखता हूँ घर की 
बाहर खुश दिखता हूँ, अंदर रोता मन 

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