Sarvesh Tripathi "Bhaiya" - ( Great Poet ) |
कैसे कह दूँ कैसे हो
तुम भी बिल्कुल ऐसे हो
देख नहीं पाता जिनको
ईश्वर अल्लाह जैसे हो
मैं कौड़ी हूँ पहले की
तुम तो अब के पैसे हो
मुझको देखी बोल पड़ी
जो सोची थी वैसे हो
सत्ता कहाँ तुम्हारी है
पूरे गगनकुसुम से हो
खाओ खटिया तोड़ो बस
तुम इस घर के भैंसे हो
मैं जीवन हूँ, जीवन का
तुम मेरे जीवन से हो
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