जनसंख्या है , आबादी है ,
लगता मुझको बर्बादी है।
जिस देश में भूँखे लोग मरें ,
उस देश में क्या ? आजादी है।
जिस घर में चूल्हे जलें नहीं ,
उस घर बिटिया की शादी है।
घर जाते ही छपटा ले जो ,
वो मेरी बूढ़ी - दादी हैं।
प्रेमी हूँ मिलन करूँ कैसे ?
वो महलों की शहज़ादी हैं।
वो लोग मंच पे बैठे हैं ,
जो लोग पहनते खादी हैं।
भाषण देते वो माया पर ,
जिनका सिंहासन चांदी है।
उनसे मज़कूर भी क्या करना ?
जो केवल हिन्दूवादी हैं।
अंग्रेजी - सत्ता हिला दिए ,
वो वीर महात्मा गाँधी हैं।
उनसे हम आश लगाएं क्या ?
वो तो विदेश के आदी हैं।
ऐ '' नील '' नही वहशत कुछ भी ,
अब बातों की आजादी है।
लगता मुझको बर्बादी है।
जिस देश में भूँखे लोग मरें ,
उस देश में क्या ? आजादी है।
जिस घर में चूल्हे जलें नहीं ,
उस घर बिटिया की शादी है।
घर जाते ही छपटा ले जो ,
वो मेरी बूढ़ी - दादी हैं।
प्रेमी हूँ मिलन करूँ कैसे ?
वो महलों की शहज़ादी हैं।
वो लोग मंच पे बैठे हैं ,
जो लोग पहनते खादी हैं।
भाषण देते वो माया पर ,
जिनका सिंहासन चांदी है।
उनसे मज़कूर भी क्या करना ?
जो केवल हिन्दूवादी हैं।
अंग्रेजी - सत्ता हिला दिए ,
वो वीर महात्मा गाँधी हैं।
उनसे हम आश लगाएं क्या ?
वो तो विदेश के आदी हैं।
ऐ '' नील '' नही वहशत कुछ भी ,
अब बातों की आजादी है।