बच्चे हैं , उनको पलने दो !
कब तक तुम कोख उजाड़ोगे ,
कब तक बच्चों को मरोगे !
जो साँचे में आ जाते हैं उनको तो अब तुम ढ़लने दो !!
कितने तो अभी अपाहिज़ हैं ,
वो बच्चे जो नाजायज़ हैं !
यदि बैशाखी पे चलते हैं तो शौक़ से उनको चलने दो !!
जिसको पाली हो प्रसव करो ,
न उसको अब तुम शव करो !
जो देख जलें मिथ्या बोलें उन लोगों को तुम जलने दो !!
जो हैं अनाथ न दुत्कारो ,
उनको संताप से न मारो !
यदि मचल गए हैं बालक सब तो खुलकर आज मचलने दो !!
बच्चों को हृदय लगाओ तुम ,
इक खुशी आप में तुम !
यह देख अगर सुलगे कोई तो उसको ज़रा सुलगने दो !!
कब तक तुम कोख उजाड़ोगे ,
कब तक बच्चों को मरोगे !
जो साँचे में आ जाते हैं उनको तो अब तुम ढ़लने दो !!
कितने तो अभी अपाहिज़ हैं ,
वो बच्चे जो नाजायज़ हैं !
यदि बैशाखी पे चलते हैं तो शौक़ से उनको चलने दो !!
जिसको पाली हो प्रसव करो ,
न उसको अब तुम शव करो !
जो देख जलें मिथ्या बोलें उन लोगों को तुम जलने दो !!
जो हैं अनाथ न दुत्कारो ,
उनको संताप से न मारो !
यदि मचल गए हैं बालक सब तो खुलकर आज मचलने दो !!
बच्चों को हृदय लगाओ तुम ,
इक खुशी आप में तुम !
यह देख अगर सुलगे कोई तो उसको ज़रा सुलगने दो !!
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