14/11/2017

ज़िक्र होता है तेरा हर बात में

मैं तुम्हारे प्यार की बरसात में
भीग जाऊँगा तुम्हारी याद में

जन्नतें मेरे लिए शायद नही
तू मेरी जन्नत तु ही फ़रियाद में

तुम नदी सी आ मिलो उस छोर पे
मैं समुन्दर सा मिलूँ आजाद मैं

इस दिलो - दीमाग में क्या कर गई
ज़िक्र होता है तेरा हर बात में

हुश्न शोला , होंठ शबनम , आँख हैं दरिया कोई
चाहता हूँ डूब के मरना , जियूँगा बाद में 

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...