चल चिरैय्या उड़ हम आज उस नीले गगन में
हों जहाँ हिन्दू न मुस्लिम ,
हो जहाँ न मौत का भय
हो जहाँ न दोस्ती ,
न दुश्मनी ही हो किसी से
आज हम संकल्प लेते हैं चलेंगे उस चमन में।
हो जहाँ न द्वेष कोई
न रहे अनुराग ही
वो जहाँ बम के धमाकों
की नहीं आवाज़ ही
आओ चलते हैं सुनहरे शान्त उस वातावरण में।
हों नही वादे किसी से
और न टूट पाएँ ,
हों अकेले साथ तेरे
और ये जीवन सजाएँ
हाँथ अब पकड़ो मेरा मुझको उड़ा लो उस पवन में।
हो नही दिन में अँधेरा
न रहे उजड़ा सबेरा
ले चलो मुझको उड़ा के
हो जहाँ परियों का डेरा
साथ तुम मेरे रहो उस दिव्य सूरज की किरण में।
चल चिरैय्या उड़ हम आज उस नीले गगन में।।
हों जहाँ हिन्दू न मुस्लिम ,
हो जहाँ न मौत का भय
हो जहाँ न दोस्ती ,
न दुश्मनी ही हो किसी से
आज हम संकल्प लेते हैं चलेंगे उस चमन में।
हो जहाँ न द्वेष कोई
न रहे अनुराग ही
वो जहाँ बम के धमाकों
की नहीं आवाज़ ही
आओ चलते हैं सुनहरे शान्त उस वातावरण में।
हों नही वादे किसी से
और न टूट पाएँ ,
हों अकेले साथ तेरे
और ये जीवन सजाएँ
हाँथ अब पकड़ो मेरा मुझको उड़ा लो उस पवन में।
हो नही दिन में अँधेरा
न रहे उजड़ा सबेरा
ले चलो मुझको उड़ा के
हो जहाँ परियों का डेरा
साथ तुम मेरे रहो उस दिव्य सूरज की किरण में।
चल चिरैय्या उड़ हम आज उस नीले गगन में।।