04/01/2019

इश्क का भी कोई ठिकाना ना

Serial & Film Writer at Bollywood - Prabhat Bandhulya  Bhaiya 


इश्क काफ़िर है, मेरे जैसा है 
इश्क का भी कोई ठिकाना ना 

आँख में प्यार नहीं है उसके 
आँख में है महज़ फ़साना ना 

गलतियाँ उसने मेरे सर रख दी 
और कुछ था नहीं बहाना ना 

इश्क के बाद हूँ मैं दर्शन में 
यार अब फ़िर करीब आना ना 

चलो कुछ तो बचा है जीने को 
और अब आग तुम लगाना ना 

प्यार कर गीत, ग़ज़ल, कविता लिख 
प्यार में है बहुत ख़ज़ाना ना 

बोलता है तो लोग सुनते हैं 
शे'र ही बोल, ग़ज़ल गाना ना 

"नील"आखिर कहाँ तू जाएगा 
क्रूर हैं लोग, ये ज़माना ना   

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...