Serial & Film Writer at Bollywood - Prabhat Bandhulya Bhaiya |
इश्क काफ़िर है, मेरे जैसा है
इश्क का भी कोई ठिकाना ना
आँख में प्यार नहीं है उसके
आँख में है महज़ फ़साना ना
गलतियाँ उसने मेरे सर रख दी
और कुछ था नहीं बहाना ना
इश्क के बाद हूँ मैं दर्शन में
यार अब फ़िर करीब आना ना
चलो कुछ तो बचा है जीने को
और अब आग तुम लगाना ना
प्यार कर गीत, ग़ज़ल, कविता लिख
प्यार में है बहुत ख़ज़ाना ना
बोलता है तो लोग सुनते हैं
शे'र ही बोल, ग़ज़ल गाना ना
"नील"आखिर कहाँ तू जाएगा
क्रूर हैं लोग, ये ज़माना ना
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