Rahul Gandhi Ji |
पप्पू बाट्या पप्पुवै रहा
तू साठ साल न दै पाया
अब तू सबका सोना देब्या
आलू डइहिं सोना निकरी
घर मा ना इक कोना देब्या
अब तुहीं बतावा का करब्या
बुद्धि चकराति अहै तोहर
कइ ल्या बियाह दुलहिन लावा
तू मजा करा बनके सौहर
यातौ जस लरका अहा अबै
लरिकै जइसे बर्ताव करा
जेतना होय पावै कम बोला
जनता मा ना दुर्भाव भरा
निर्लज्ज बहुत होय गा बाट्या
माई के बारे मा सोचा
पूरा ई देश हँसत बाटै
कुछ जान समझ ल्या तौ बोला
अइसेन नीलाम करा इज्जत
कुछ थोर बहुत जउनै बाटै
तोहका सुन ल्या सुधरै चाही
बुध्दि कुछ बाटै की नाही
जउनै मुँह आवै नहीं कहा
चालीस - पैतालिस उमरि अहै
अब तक ना तू कुछ कइ पाया
अपनै तू क्षेत्र नहीं देख्या
केहू का न सुख दै पाया
फिर तोहसे का उम्मीद रहै
तू का कइ पउब्या भारत मा
आपन छत न सम्हार पाया
तू का कइ पउब्या हर छत मा
पहिले कुछ ट्यूसन कोंचिंग ल्या
फिर तू भाषण खातिर आया
बेटवा देख्या घर बचा रहै
घर चोर बहुत सातिर आवा
स्विस मा सब पइसा भरि आईं
भउजी फिर से लूटै आईं
लेकिन अब कहाँ लूट पउबू
सब समझ गएन बेउहार हियाँ
माई बेटवा घर वापस जा
गिर गा सारा आचार हियाँ
मेहमान नवाजी बहुत कीन
मेहमान चला रस्ता नापा
तू एक बार खोखला किहा
भारत फिर से तू ना भापा
ल्या बैग उठावा घरै बढ़ा
बस तुम्हरे दूइनौ के कारण
दद्दू कुछ बोल नहीं पायें
उनके काहे मन मोह लिहू
ओनहू नाही कुछ दइ पायें
विद्वान रहें वै बहुत मगर
उनके संगति गड़बड़ होइ गै
गद्दी पै बइठे रहें मगर
घर मलकिन तौ बंचड़ होइ गै
यह बरे कुछू न कइ पायें
सत्ता मा बस जागें सोएँ
गलती वै कउनो करे रहें
अइसेन तौ वै चुप नहीं रहें
अब जउन भवा होइगा छोड़ा
पपुआ तोहार होइ गा घोड़ा
अपने बेटवा का समझावा
मुड़वा मा कुछ बुद्धि डावा
मोदी बाबा जब डाटत थीं
चड्ढी पकड़े ऊ भागत थै
पगलाय जात है कबो - कबो
आँखी ऊ मारै लागत थै
खेलिस हरदम आइस - पाइस
ऊ अउर कुछू न कइ पाइस
बस आँख मिचौली करत रहा
बस तुम्हरे दूइनौ के कारण
दद्दू कुछ बोल नहीं पायें
उनके काहे मन मोह लिहू
ओनहू नाही कुछ दइ पायें
विद्वान रहें वै बहुत मगर
उनके संगति गड़बड़ होइ गै
गद्दी पै बइठे रहें मगर
घर मलकिन तौ बंचड़ होइ गै
यह बरे कुछू न कइ पायें
सत्ता मा बस जागें सोएँ
गलती वै कउनो करे रहें
अइसेन तौ वै चुप नहीं रहें
अब जउन भवा होइगा छोड़ा
पपुआ तोहार होइ गा घोड़ा
अपने बेटवा का समझावा
मुड़वा मा कुछ बुद्धि डावा
मोदी बाबा जब डाटत थीं
चड्ढी पकड़े ऊ भागत थै
पगलाय जात है कबो - कबो
आँखी ऊ मारै लागत थै
खेलिस हरदम आइस - पाइस
ऊ अउर कुछू न कइ पाइस
बस आँख मिचौली करत रहा
पप्पू बाट्या पप्पुवै रहा