19/02/2019

तुम्हारे होंठ का गर आचमन कर लूँ प्रिये

Akanksha Ji

कहो तो खुशनुमा अपना चमन कर लूँ प्रिये 
जमीं क्या आसमाँ को भी नमन कर लूँ प्रिये 

मिलेगा फल मुझे उस दिव्य चारो - धाम का 
तुम्हारे होंठ का गर आचमन कर लूँ प्रिये 

जुबाँ से जो बयाँ न हो सके वो खूबसूरत 
तुम्हारे रूप को, तुमको सनम कर लूँ प्रिये 

बहुत तड़पा चुकी हैं आप मुझसे दूर होकर 
अजी अब पास भी आओ सितम कर लूँ प्रिये 

रहूँ गाता तुम्हें हर वक़्त अपनी जिन्दगी में 
तुम्हारे गीत को अपना भजन कर लूँ प्रिये 

रहूँ संग - संग विधाता की बनाई सृष्टि में 
तुम्हारे नाम अपना हर जनम कर लूँ प्रिये


रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...