Akanksha Ji |
कहो तो खुशनुमा अपना चमन कर लूँ प्रिये
जमीं क्या आसमाँ को भी नमन कर लूँ प्रिये
मिलेगा फल मुझे उस दिव्य चारो - धाम का
तुम्हारे होंठ का गर आचमन कर लूँ प्रिये
जुबाँ से जो बयाँ न हो सके वो खूबसूरत
तुम्हारे रूप को, तुमको सनम कर लूँ प्रिये
बहुत तड़पा चुकी हैं आप मुझसे दूर होकर
अजी अब पास भी आओ सितम कर लूँ प्रिये
रहूँ गाता तुम्हें हर वक़्त अपनी जिन्दगी में
तुम्हारे गीत को अपना भजन कर लूँ प्रिये
रहूँ संग - संग विधाता की बनाई सृष्टि में
तुम्हारे नाम अपना हर जनम कर लूँ प्रिये