20/09/2018

मुहब्बत है , किसी के बाप की जागीर थोड़ी है

Neel

जफ़र कोई नहीं ,ग़ालिब यहाँ अब मीर थोड़ी हैं
जो उसनें लिख रखी उतनी मेरी तकदीर थोड़ी है

खुले दिल से सभी के सामने भर - भर लुटाऊँगा
मुहब्बत है , किसी के बाप की जागीर थोड़ी है

हुआ है क्या तुम्हें क्यों आजकल दहशत में दिखते हो
उठाया लेखनी हूँ ये कोई शमशीर थोड़ी है

तुम्हें बदला करूँ इसकी कभी नौबत नहीं आती
हमारे दिल में मूरत है ,कोई तस्वीर थोड़ी है

बहुत ही ख़ूबसूरत हैं इन्हें काजल लगा के रख
तेरी आँखें समन्दर हैं ये खञ्जर ,तीर थोड़ी हैं

मेरी बहना बनाकर रेशमी धागा मुझे बोली
बँधा लो ये कवच है कोई ये जंजीर थोड़ी है

भरम को छोड़ दे अपने कयासों को बचाकर रख
महज़ तू " नील " है शहरूख़ या रणवीर थोड़ी है 

किसी माँ बाप के सर बेटियाँ भारी नहीं होती

Daughters Day

मुहब्बत में तुम्हारे गर अदाकारी नहीं होती
सही कहता हूँ हम दोनों में यूँ यारी नहीं होती

इशक के नाम पर बकवास करते लोग अक्सर हैं
मुहब्बत की तनिक उनमें समझदारी नहीं होती

नहीं छेड़ो युँही इन माँओं बहनों प्रेमिकाओं को
हमारे घर की हैं इज्ज़त ये सरकारी नहीं होती

सुनो मारो नहीं इनको जनम लेने से पहले तुम
किसी माँ बाप के सर बेटियाँ भारी नहीं होती

छुपाकर बेटियों को मैं रखूँ कातिल जमाने से
मगर मजबूर हूँ ऐसी भी अलमारी नहीं होती

सुबह उठकर मेरी दादी निकलती फूल चुनने को
अहद !मेरे जमाने में तो फुलवारी नहीं होती 

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देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...