20/09/2018

किसी माँ बाप के सर बेटियाँ भारी नहीं होती

Daughters Day

मुहब्बत में तुम्हारे गर अदाकारी नहीं होती
सही कहता हूँ हम दोनों में यूँ यारी नहीं होती

इशक के नाम पर बकवास करते लोग अक्सर हैं
मुहब्बत की तनिक उनमें समझदारी नहीं होती

नहीं छेड़ो युँही इन माँओं बहनों प्रेमिकाओं को
हमारे घर की हैं इज्ज़त ये सरकारी नहीं होती

सुनो मारो नहीं इनको जनम लेने से पहले तुम
किसी माँ बाप के सर बेटियाँ भारी नहीं होती

छुपाकर बेटियों को मैं रखूँ कातिल जमाने से
मगर मजबूर हूँ ऐसी भी अलमारी नहीं होती

सुबह उठकर मेरी दादी निकलती फूल चुनने को
अहद !मेरे जमाने में तो फुलवारी नहीं होती 

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