20/09/2018

मुहब्बत है , किसी के बाप की जागीर थोड़ी है

Neel

जफ़र कोई नहीं ,ग़ालिब यहाँ अब मीर थोड़ी हैं
जो उसनें लिख रखी उतनी मेरी तकदीर थोड़ी है

खुले दिल से सभी के सामने भर - भर लुटाऊँगा
मुहब्बत है , किसी के बाप की जागीर थोड़ी है

हुआ है क्या तुम्हें क्यों आजकल दहशत में दिखते हो
उठाया लेखनी हूँ ये कोई शमशीर थोड़ी है

तुम्हें बदला करूँ इसकी कभी नौबत नहीं आती
हमारे दिल में मूरत है ,कोई तस्वीर थोड़ी है

बहुत ही ख़ूबसूरत हैं इन्हें काजल लगा के रख
तेरी आँखें समन्दर हैं ये खञ्जर ,तीर थोड़ी हैं

मेरी बहना बनाकर रेशमी धागा मुझे बोली
बँधा लो ये कवच है कोई ये जंजीर थोड़ी है

भरम को छोड़ दे अपने कयासों को बचाकर रख
महज़ तू " नील " है शहरूख़ या रणवीर थोड़ी है 

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