19/08/2017

जन्मदिन

जन्मदिन के इस सुअवसर पे तुम्हें अर्पण करूँ क्या
देख लो मेरे हृदय को भावना दर्पण करूँ क्या

पूँछता हूँ मैं अकिंचन आज अपने यार से
बाँट दूँ यह विश्व सारा या समेटूँ प्यार से
शब्द हैं, कुछ अर्थ हैं, कुछ भावनाओं के कुसुम
ला बिछाऊँ आज मैं पैरों तले गुलजार से
बौर की देखो छटा है माह ये ऋतुराज का
दिव्य - मेधा हो प्रभा आलोक हो गणराज का
जिन्दगी सारी खुशी दे जो तुम्हें मंजूर हो
और सारे कष्ट जो भी हैं या हों वो दूर हों
राष्ट्र में हो कीर्ति तेरी राष्ट्र यह वंदन करे
राष्ट्र पे हो तू निछावर राष्ट्र अभिनन्दन करे ।

भावना की बूँद हैं इससे अधिक वर्षण करूँ क्या ।।


रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...