26/09/2018

बगल बैठल हँई भइया के साली

Neel
कहानी आ रहल बा प्रेम वाली 
चटक चेहरा पे दमके होंठ - लाली 

हँसावेली करेली गुदगुदी ऊ 
बगल बैठल हँई भइया के साली 

लगे सूरुज नियन हम का बताई
चोंधावता सुनहली कान - बाली

भँवर के काम हौ मड़राइ हैं सन
कहा कब ले बचाई फूल - माली 

नहीं मन दोस्तन के बिन लगेला 
कि जब तक होय ना दू - चार गाली 

चलल बाड़न उहौ अब राज थाम्हें
हवन राजा मगर दिमाग खाली 

बहुत मन खुश भइल बा आज हमरो
हमर माई जे खइली भर के थाली


कदम बढ़ते हैं मेरे पर मेरा मन बढ़ नही पाता

Neel
बहुत डरता हूँ मैं ऊँचाइयों पर चढ़ नही पाता 
बनाना चाहता हूँ मैं बहुत पर गढ़ नही पाता 

मेरा दीमाग खाली है मैं औरों को पढूँगा क्या
मैं जितना चाहता हूँ खुद को उतना पढ़ नही पाता 

सुनो पापा! न जाने डर कहाँ से आ गया भीतर 
कदम बढ़ते हैं मेरे पर मेरा मन बढ़ नही पाता 

नदी चुपके से आ पूछी समन्दर क्यों उछलता है 
नदी ! सुन बिन तेरे मैं भी किसी से लड़ नही पाता 

पता मेरा कोई आवाज मुझसे पूछती अक्सर
बताना चाहता हूँ मैं, मगर वो घर नही पाता 

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...