जिन्दगी के जख़्म सारे दूर होने चाहिए
जो इरादे नेक हों मंज़ूर होने चाहिए
राजधानी देश की रखे रहो दिल्ली मगर,
राजसिंहासन पे अब मजदूर होने चाहिए
कब तलक आखिर रखेंगें इस कदर इज्ज़ो -नियाज़
जुल्मियत की त्याग पे मज़कूर होने चाहिए
राष्ट्र यह उन्नति करे , हो राष्ट्र जन्नत की तरह
इस सियासत में सभी अब शूर होने चाहिए
जो इरादे नेक हों मंज़ूर होने चाहिए
राजधानी देश की रखे रहो दिल्ली मगर,
राजसिंहासन पे अब मजदूर होने चाहिए
कब तलक आखिर रखेंगें इस कदर इज्ज़ो -नियाज़
जुल्मियत की त्याग पे मज़कूर होने चाहिए
राष्ट्र यह उन्नति करे , हो राष्ट्र जन्नत की तरह
इस सियासत में सभी अब शूर होने चाहिए