26/12/2018

Kerala to Mumbai

 यह एक यात्रा की घटना है इसमें जो भी पात्र हैं वो वास्तविक हैं और कुछ को मैं जानता हूँ कुछ अन्जान।



कल्यान रेलवे स्टेशन -  (23/12/2018 - Sunday)

रिक्सा वाले भाई साहब - कहाँ जाना भाई बोलो, बताओ तो सही मैं छोड़ देता हूँ।
नील - सर वो तो सही है पर मुझे खुद को नहीं पता मुझे कहाँ जाना है ?
हाँ अगर आपके पास मोबाइल हो तो एक कॉल करके बता सकता हूँ कहाँ जाना और क्या करना है।

( तब तक दूसरा ग्राहक पाकर निकल लिया वो, दूसरे रिक्सा वाले से  )

नील - हेल्लो, हेल्लो भाई साहब ! आपके पास मोबाइल है क्या ?
रिक्सा वाले भाई साहब - हाँ है, क्यों ?
नील - भइया एक कॉल करना है
रिक्सावाले भाई साहब - क्यों तुम्हारे पास मोबाइल नहीं है क्या ?
नील - है ना सर ! पर स्विच ऑफ़ है और मुझे एक बहुत जरुरी बात करनी है।

( ऊपर से नीचे तक देखते हुए )

रिक्सावाले - क्या नाम है ?
नील - नीलेन्द्र है भैया
रिक्सावाले - नहीं, नहीं पूरा नाम बताओ
नील - नीलेन्द्र शुक्ल " नील "
रिक्सावाले - ब्राह्मण हो ?
नील - जी हाँ।
रिक्सावाले - लगते नहीं हो यार Identity Card है क्या कोई ?
नील - इन्सान लग रहा हूँ या नहीं सर !
रिक्सावाले - भाई बुरा मत मानना लेकिन देखने में आतंकवादी भी इंसान ही लगते हैं।
नील - हाँ वो तो है सर, पर अभी आप मेरी सहायता कर रहें हैं या नहीं
रिक्सावाले - बेटा माफ़ करना पर इस मामले में मैं थोड़ा सचेत रहता हूँ, इसलिए मैं आपकी मदद नहीं कर सकता।
नील - Okay Okay Sir! No Problem Thank You ..

( ये सब सुनते हुए दूसरे भाई साहब ने कहा )

भाई साहब - किससे बात करनी है भाई?
नील - जिनके पास जाना है उन्हीं भाई साहब के पास।
भाई साहब - भाई लफड़े वाला नं. तो नहीं है ना
नील - नहीं सर !मैं आपके सामने ही बात करूँगा, नहीं तो एक काम करिये पहले आप बात करिये मैं बाद में कर लूँगा।
भाई साहब - लो भाई अब इतना भी शर्मिंदा न करो।

Second Scene -

नील - Hello, Hello हाँ सुरेन्द्र भाई
सुरेन्द्र - हाँ भाई, कौन ?
नील - मैं नीलेन्द्र, वो विवेक भाई ने आपसे बात की थी न मेरे बारे में
सुरेन्द्र - हाँ, हाँ नीलेन्द्र भाई नमस्कार, कहाँ हो आप ?
नील - मैं कल्यान स्टेशन पे खड़ा हूँ सर।
सुरेन्द्र - अच्छा ! पर यार अभी तो 4 ही बजे हैं और मेरी छुट्टी 8 बजे तक होगी
नील - कोई नहीं भाई तब तक मैं इधर - उधर घूमता हूँ, और हाँ ये नं. मेरा नहीं है। मेरा मोबाइल  स्विच ऑफ है So I'll call you ..
सुरेन्द्र - ठीक है भाई! Okay .

Third Scene -

( Mobile भाई को देकर धन्यवाद भाई, घूमते - घूमते एक खाली मोबाइल की दुकान पर )

नील - Hello कैसे हैं सर ?
दुकानवाले - ठीक हूँ भाई।
नील - मुझे आपसे एक जानकारी चाहिये थी
दुकान - जी पूछिए
नील - Actually मेरे No. की Incoming Call बंद हो गई है तो अभी क्या करूँ ?
दुकान - कितने दिन हुए ?
नील - बस यहीं  कुछ 2 - 4 दिन ही हुए हैं।
दुकान - कौन सी सिम है ?
नील - Idea की है भाई
दुकान - एक काम करो 35 वाला Recharge कराओ चालू हो जायेगी
नील - ( सशंकित मन से ) 35 वाले में चालू हो जाएगा ना भाई, उससे अधिक तो नहीं कराना पड़ेगा, और एक बात इस 35 वाले में मुझे पैसे भी मिलेंगे या सिर्फ Incoming ही Start होगी।
दुकान - नहीं नहीं पैसे भी मिलेंगे
नील - तो एक बात बताना Full Talk Time कितने पे है ?
दुकान - 95 सर !
नील - Okay sir कर दीजिये, और ये Mobile Charging पे लगा देते तो अच्छा होता भइया।
दूकान - हाँ हाँ क्यों नहीं, लाओ इधर दो।


 ( Mobil Shop के Just बगल शुध्द शाकाहारी होटल, में चाय पीने के लिए पहुँच कर )

नील - दद्दू  एक चाय मिलेगी !
दादा - हाँ जरूर बेटा क्यों नहीं, हे देखो बाबू को चाय दो।
( बाबू सुनते ही )
नील - कहाँ के हैं आप दद्दू मुम्बई के ही या बाहर के ?
दादा - बेटा हम तो बनारस के हैं, क्यों ?
नील - नहीं वो आपने बाबू कहा ना मुझे, इसलिए मुझे लगा की आप उसी तरफ के होंगे।
दद्दू हमहूँ बनारस 6 साल रहली ह, टूटल - फूटल भोजपुरी हमहूँ के आवेला।
                                   ( चाय पीते हुए )
अच्छा दद्दू एक बात पूछीं
दादा - हाँ हाँ बेटा पूँछो
नील - केतना साल हो गइल मुंबई रहत
दादा - यही 22 - 25 साल भइल होइ बेटा
नील - एक बात बतावा कहाँ ज्यादा सुकून हौ, बम्बई म, की बनारस म।
दादा - अब का कहीं बेटा आपन घर अपनै होला, घरा तौ खैर इहौ अपने हौ, लेकिन रजा बनारस के मजा कुछ औरे हौ।
नील - सही कहला दद्दू जौन स्वाद बनारस के चाय में हौ, ऊ केहरियो देखे के नाही मिलेला।
बहुत दिन बाद " चौचक चाय " पीली ह, मजा आ गएल
केरला में तौ अइसन चाय भेंटाते नइखे।
दादा - केरला में रहा ला का बचवा ?
नील - हाँ दद्दू! केरले में पढ़ी ला
  - कौन दर्जा म हउआ ?
नील - दद्दू, संस्कृत से M.A करत हई





दिल की बातें दिल तक हों तो बेहतर है

Neel With Grand Pa


इस घर से उस घर की बातें बेहतर हैं 
इसकी उसकी सबकी बातें बेहतर है 

इससे - उससे कह के न पछताना तुम 
दिल की बातें दिल तक हों तो बेहतर है 

काल चक्र की सुइयाँ जैसे बढ़ती हैं 
वैसे ही तुम भी बढ़ते तो बेहतर है 

लोगों में परिवर्तन लाकर क्या होगा 
जीने दो, जो जैसा है वो बेहतर है 

उसके अन्दर सही - गलत क्या देखे है 
खुद के अन्दर झाँक वही अब बेहतर है 

खोज - बीन के बाद जहाँ से जो पाया 
वही मुहब्बत मेरे खातिर बेहतर है 

एसी, कूलर, महल , भवन सब फीके हैं 
माँ का गन्दा आँचल मुझको बेहतर है 

बाबा के चेहरे पर शिकन नहीं अब तक 
बाबा अब भी हम लोगों से बेहतर हैं 

06/12/2018

आज के दौर को पहचानने की जुर्रत है

My love My Dear Daughter 
आज के दौर में लोगों को कहाँ फुर्सत है 
आज के दौर में, सबकुछ जो बनी दौलत है 

आज के दौर में, रख ले जहाँ को कदमों में 
आज के दौर को पहचानने की जुर्रत है 

आज के दौर में, कुछ भी नही है पहले सा 
आज के दौर में चहुँओर बनी दहशत है 

आज के दौर में भक्ति हुई है दंगाई 
आज के दौर में जो कटघरे में कुदरत है 

आज के दौर में, सबकुछ सड़ा - गला मिलता 
आज के दौर में, आखिर वो कहाँ  लज्जत है 

आज के दौर में भी यूज़ नेट नही करते 
आज के दौर में, ईश्वर की बड़ी रहमत है 

आज के दौर में भी प्रेमिका नहीं इक भी 
आज के दौर में सबकुछ बनी मुहब्बत है  

05/12/2018

Dear Jindagi

With Nandy Sis Neel
जिन्दगी ख़ामोश इक पतवार है 
जिन्दगी में हर घड़ी त्यौहार है 

जिन्दगी की बात पुस्तक में नहीं 
जिन्दगी हर पल नई फ़नकार है 

जिन्दगी सबकी नहीं है एक सी 
जिन्दगी में राह भी दो - चार हैं 

जिन्दगी भर इश्क जो समझे नहीं 
जिन्दगी भर के लिए बीमार हैं 

जिन्दगी को मनमुताबिक रूप दूँ 
जिन्दगी है,ये नहीं बाजार है 

जिन्दगी हरदम दिखाती आइना 
जिन्दगी सबसे बड़ी सरकार है 

जिन्दगी का इक सलीका है सुनो 
जिन्दगी को जिन्दगी से प्यार है 



इस कदर मुझपे भरोसा मत करो

नील 
इस कदर मुझपे भरोसा मत करो 
मैं तुम्हारे प्यार के लायक नही 

जिन्दगी भर प्यार की बातें करूँ 
गीत गाऊँ मैं कोई गायक नहीं 

मैं तुम्हारा साथ दूँगा क्या पता 
किस अहद हो जाऊँगा मैं गुमशुदा 
तुम जहाँ जाओ, वहाँ मैं भी रहूँ 
सुन ज़रा फिल्मों का मैं नायक नहीं 

जिंदगी में है फ़कीरी क्या करूँ 
जो दिया ईश्वर नें हंसकर ले लिया 
माँगता हूँ, मैं तुम्हें हर रोज़ पर 
क्या कहूँ, वैसा रहा साधक नहीं 

दुःख के आँसू नहीं निकालो

नील 
दुःख के आँसू नहीं निकालो 
सुख की साँस भरो यारा 

अब जब सबकुछ ठीक हो गया 
न एहसास भरो यारा 

तुम भी रूठी, हम भी रूठे 
तुम भी टूटी, हम भी टूटे 
पतझड़ का मौसम करके 
अब न हमराज़ बनो यारा 

कुछ नादानी तुमने भी की 
कुछ नादानी मैंने भी 
कुछ शैतानी तुमने भी की 
कुछ शैतानी मैंने भी 

मंजिल तुमको खोज रही 
अब उसकी तरफ बढ़ो यारा 

कहाँ गई थी बोलो आखिर 
जब मैं टूटा, बिखरा था 
जीवन की गति उल्टी थी तब 
सबकुछ उल्टा दिख रहा था 

जो पढ़ना है वही पढ़ो तुम 
मुझको नही पढ़ो यारा 

ना ही तुझसे हुई मुहब्बत, ना ही और किसी से होगी

नील 
ना ही तुझसे हुई मुहब्बत 
ना ही और किसी से होगी 

इतना पहले बदल चुकी है 
और बता कितना बदलेगी 

वक्त - वक्त की बात नहीं ये 
इस दिल की गहरी बातें हैं 
दिन तो चलो गुज़रते हैं पर 
करवट बहुत बदलती रातें 

तेरी दशा, तुझे अर्पण है 
और भला तू क्या बोलेगी  

पहले दिया उजाला तूने 
अंधकार अब क्यों देती है 
"भूल सको जितना, भूलो तुम "
ये विचार अब क्यों देती है 

इतनी गहरी चोट मुझे दी 
और अभी क्या - क्या तू देगी 

भूल गया मैं सारी बातें 
फिर - फिर नहीं कुरेदो तुम 
जो तुमसे, जो कुछ भी माँगे 
उसको वो सब दे दो तुम 

तुझको मेरी फ़िकर नहीं फिर 
मेरी ख़ातिर क्यों रोयेगी। 

24/11/2018

मेरा ईश्वर, ईश्वर नहीं रहा



मेरा ईश्वर, ईश्वर नहीं रहा
मेरा ईश्वर पिशाच हो गया है

उसे अब अच्छा - बुरा, सही - गलत का ज्ञान
नहीं रहा ,
अब वह तनिक - विचार नहीं करता कुछ
करने से पहले
उन्मत्त है वो, किसी जहरीले - नशे की धुत्त में,
नफरत सी हो गई है ईश्वर के नाम से
उसके नाम से भी अब " बू "आती है मुझे

उसके अंदर किसी
किसी बुरी - आत्मा का प्रवेश हो गया है शायद

वह अब वही देखता है
जो उसे नहीं देखना चाहिए ,
वही करता है
जो उसे नहीं करना चाहिए,
वही सोचता है
जो उसे नहीं सोचना चाहिए
मेरे ईश्वर के दिमाग को दीमक चाट गये हैं शायद
किसी लकड़ी की तरह
जिसका प्रयोग हम कहीं नहीं कर सकते
जो निष्प्रयोजन हमारे बीच सत्ता बनाए हुए है
किसी बेलगाम राजा की भाँति

वो मारते जा रहा है एक - एककर
अच्छे लोगों को,
चबाए जा रहा उनके बच्चों की जिंदगी
किसी दरिन्दे - राक्षस के जैसे

वह विधवा बनाते जा रहा है औरतों को
उसे सुहागन औरतें पसंद नहीं शायद

उसके पास अब कुछ करने को नहीं रहा
सिर्फ इसके कि,
बच्चों को अनाथ बनाना, औरतों को विधवा बनाना
माँ - पिता के सहारे की लाठी तोड़ देना
किसी का बेटा, किसी की बेटी, किसी का भाई
किसी का नाना, चाचा, पापा मौसा और
न जाने कितने लोगों को निगल जाने के अलावा

वो कायर! निहत्थों पे वार करता है
उसे हथियार वालों से डर लगता है

उसे दूसरों की खुशियाँ देखी नहीं जाती
वो सब नष्ट - भ्रष्ट कर देना चाहता है
अपनी बेहूदा - हरकतों से

उसके पास इतना कुछ है
करने को,
कि उसे फुर्सत नहीं मिलनी चाहिए
सृष्टि को सजाने के क्रम में

उसे फूल बचाने चाहिए
काँटे हटाने चाहिए दुनिया को खूबसूरत बनाने के
क्रम में ,
मगर उसे फूल की अपेक्षा काँटे शायद
कुछ अधिक ही पसन्द हैं, इस धरती के लिये

मुझे बस इस बात का दुख है कि
जिसे जहाँ होना चाहिए, वो वहाँ नही है

सच कहूँ तो कभी - कभी ईश्वर के मरने की
आहट सी आती है,
क्योंकि ईश्वर ऐसा नहीं कर सकता
वो तो दयालु हैं, कृपालु हैं और दया के सागर हैं

वो तो बुरे लोगों का भी अहित नहीं चाहते
फिर अच्छे - लोगों भला कैसे चाहेंगे

पर ईश्वर तो नित्य है, अविनाशी है,अखण्ड है
और न जाने किन - किन कृत्रिम - विशेषणों
से नवाजा जा चुका है, किसी अयोग्य - प्रधानमंत्री
की भाँति
बात और कोई नही है
इसीलिए मैं कहता हूँ

मेरा ईश्वर, ईश्वर नहीं रहा
मेरा ईश्वर पिशाच हो गया है


19/11/2018

प्यार मुहब्बत दिल की बातें झूठी हैं

P.C - Isha Sharma

जो भी की सारी फरियादें झूठी हैं 
इसकी, उसकी, सबकी बातें झूठी हैं

देवदास बन जाएंगे, फिर बोलेंगें 
प्यार मुहब्बत दिल की बातें झूठी हैं

12/11/2018

हे सखे! राजा रहो तुम मैं विदूषक ही भला हूँ

Neel

हे सखे! राजा रहो तुम मैं विदूषक ही भला हूँ 
खुद हँसू, जग को हँसाऊँ एक अद्भुद सी कला हूँ

तुम रहो जाकर भवन में मैं यहाँ पर ठीक हूँ 
तुम हँसी हो दिव्यजन की मैं किसी की छींक हूँ 
आसमाँ में , उन सितारों में चमकते चाँद तुम 
मैं हमेशा ही दिखूँगा हो कहाँ गुमनाम तुम 

फिर हँसे हैं लोग मुझपे चाल कुछ ऐसी चला हूँ 

दिन तुम्हारे काट रहे होंगे बहुत ही खूब अब 
पास परियों के रहो , बनते रहो महबूब अब 
रेत की बंजर ज़मीं मुझमें तुम्हे मिल जायेगी 
वो नहीं आई जिसे कहते रहे तुम आएगी 

मैं किसी बेकार,बदबूदार फल जैसे गला हूँ  

तुम सुनाते दण्ड प्यारे, मैं हँसी का मीत हूँ 
तुम निकालो गालियाँ बस मैं सुनाता गीत हूँ 
तुम इन्हें देते रहो दुःख , मैं हँसाऊँगा इन्हें 
जो कहे दुत्कार कर ,वो सब भुलाउँगा इन्हें 

क्या करूँ ऐसी प्रकृति में जन्म से ही मैं पला हूँ 

कष्ट से लड़ता रहा रोना नहीं आया मुझे 
क्या सुनोगे बात न, अब तक समझ पाया मुझे 
इस कदर मदहोश हो, पैसों में खोये हो सदा 
जिन्दगी में त्याग की तालीम सीखो सर्वदा 

क्या करूँ आँसू नहीं आते मुझे ऐसे ढला हूँ 

ये मुझे जीवन मिला हंसने - हंसाने के लिए 
उन गरीबों के यहाँ महफ़िल सजाने के लिए 
जिनके चहरे की शिकन हटती नहीं है उम्रभर 
मैं उन्हीं लोगों का बच्चा हूँ ,यहाँ हूँ बेफ़िकर 

हूँ बहुत निर्धन मगर अब तक नहीं तुमको छला हूँ 

मैं हजारों दुःख लिए सबको हँसाता ही रहा 
हर कदम पे मैं तुम्हें अपना बनाता ही रहा 
चाहने वाले बहुत पर प्यार न देता कोई 
मुझको वो ख़ुशियों भरा संसार न देता कोई 

मैं किसी को कष्ट में छोड़ूँ , नहीं कोई बला हूँ  

हे सखे! राजा रहो तुम मैं विदूषक ही भला हूँ 
खुद हँसू, जग को हँसाऊँ एक अद्भुद सी कला हूँ

08/11/2018

बाकी है

Neel

कुछ कर चुका हूँ , कुछ काम अभी बाकी है
अभी तो आगाज़ है , अंजाम अभी बाकी है

बहुत कहते रहे के क्या है तेरे आँगन में
ये सुबह-ए-बनारस है अवध की शाम अभी बाकी है

मानता हूँ कि नही दूध का धुला मैं , पर
बचाए रख तेरा भी नाम अभी बाकी है

दोस्ती को बना रहा जो आजकल दिलकश
वही है दोस्तों ये जाम अभी बाकी है

रोज़ गीता पे हाँथ रख के कसम खाता है
और कहता है कि ईमान अभी बाकी है

30/10/2018

मैं अपने अंतिम समय में

Pic Credit - Rahul Sharma 

मैं तुमसे ठीक वैसे ही 
प्यार करता हूँ, जैसे
एक माता - पिता अपने बच्चे से 
एक रिसर्चर अपने रिसर्च से

जैसे एक कुम्हार अपने 
बनाए हुए मिट्टी के पात्रों से 
एक पाठक अपनी किताब से 
लेखक विचारों के साथ पेन और कागज से 
समुद्र साहिल से 
और
एक प्रेमी अपनी प्रेमिका से ....

ठीक वैसे ही मैं भी तुम्हें
प्यार करता हूँ

मैंनें तुमसे बेइन्तिहाँ
मुहब्बत की
तुमसे इस बात का जिक्र किये बिन


मैं अपने अन्तिम समय में
किसी पागल की तरह
समुद्र के किनारे बैठ
उतनी बार लिखूँगा तुम्हारा नाम

जितनी बार समुद्र की लहरें उसे मिटाएंगी
जितनी बार लोग मुझे पागल कह के सम्बोधित करेंगे
जितनी बार तुम्हारा नाम मेरी आँखों से ओझल होगा

लिखते - मिटते लिखते - मिटते
एक दिन मैं खुद
तुम्हारे नाम के साथ
उसी समुद्र में लिख - मिट जाऊँगा

पर तुम रोना नहीं
न ही मेरे न होने का शोक मनाना
तुम मुझे खुद में महसूस करना
मैं वहीं कहीं तुम्हें मिलूँगा
तुम्हारी आत्मा की अनन्त गहराइयों में
तुम्हारे साथ ।

मैं किसी का कुछ उधार
नहीं रखना चाहता,
बहुत अधिक दिनों तक

मैंने वादा किया है
मिटृटी से, हवा से ,पानी से ,आकाश से और
अग्नि से
सभी अपना - अपना हिस्सा ले जाएँँगें मुझसे
जब मैं यहाँ से विदा लूँगा

हाँ ,मेरे पास
तुम सभी की यादें हैं , प्यार है ,मुहब्बत है
जो इस धरती की
सबसे - खूबसूरत चीजें हैं मेरे हिसाब से

आप मुझसे वो मत माँगिएगा
माफ़ कीजिएगा, उसे मैं नहीं दे पाउँगा 


मैं अपने अन्तिम समय में 
जैसे लोगों के द्वारा देव ईश्वर अल्लाह 
महसूस किये जाते हैं 
वैसे ही मैं तुम्हें महसूस करूँगा 
तुम्हारे प्यार को पूजात्मक - क्रिया मानकर 











माफ कीजिए, उसे मैं नहीं दे पाऊँगा

माँ ये उमर तुम्हें लग जाए

माँ 
मेरी उमर तुम्हें लग जाए 
माँ ये उमर तुम्हें लग जाए 

लोरी गाती, थपकी देती 
आँचल में माँ मुझे सुलाए

जन्म दिया, धरती पे लाई 
छाती से माँ मुझे लगाई 
सदा हंसाए, सदा दुलारे 
कान्हा जैसे मुझे सँवारे 

जिसकी प्यारी मीठी - मीठी 
बातों से ही मन भर जाए

थम जाती हैं साँसें जिसकी 
मुझको गिरता देखकर 
खिल जाता है चेहरा जिसका 
मुझको उठता देखकर 

गिरना उठना और सम्हलना 
माँ मुझको चलना सिखलाए 

लड़ जाती है मेरी खातिर 
जो बेदर्द - जमाने से 
अब तक फ़िक्र करे माँ मेरी 
इक बच्चे - अन्जाने से 

मुझको थोड़ी चोट लगे जो 
आँखों में आँसू आ जाए 

मेरी उमर तुम्हें लग जाए 
माँ ये उमर तुम्हें लग जाए 

लोरी गाती, थपकी देती 
आँचल में माँ मुझे सुलाए

27/10/2018

नील गए जब से तुम दिल से गीत गया



ऐसे धीरे - धीरे जीवन बीत गया 
जैसे कोई अपना हमदम मीत गया  

बचपन माँ की गोद में गुजरा 
और जवानी प्यार में 
पत्नी संग फिर उम्र बिताया 
और बुढ़ापा याद में 
जीवन का बस लक्ष्य था इतना 
जितना मैंने पाया है 
खुश हूँ अपने इस जीवन से 
जिसमें रंग समाया है 

ऐसे ही इस जीवन को मैं लम्हा - लम्हा जीत गया 

फिर से पा लूँ तुमको 
ये जी करता है 
गोद में ले लूँ तुमको 
पर दिल डरता है 
संग सदा तेरे मैं भी 
रहना चाहूँ 
तुमसे दिल की बातें सब 
कहना चाहूँ 

जब - जब मेरे साथ रहा तू भीत गया 

तेरी भोली बातों का मैं दीवाना 
पागल था थोड़ा , थोड़ा सा बेगाना 
बातें दिल की सुनता 
और सुनाता था 
अब तक मैं छुप - छुप के 
तुमको गाता था 

नील गए जब से तुम दिल से गीत गया 


ऐसे धीरे - धीरे जीवन बीत गया 
जैसे कोई अपना हमदम मीत गया  


24/10/2018

प्रेम



चलो अब शान्त होते हैं 
उन कहकशाओं में कि 
जहाँ से न तुम इस बेसुर्ख़ धरती पे आओ 
और न ही मैं 
उड़ चलते हैं 
अंतरिक्ष में। 

19/10/2018

सपनें सच होते देर नहीं लगते

नीलेन्द्र शुक्ल " नील "

सपनें सच होते देर नहीं लगते
बस आपको खुद पर भरोसा
और अपनें कर्मों में श्रद्धा होनी चाहिए

ये सारी धरती, ये खुला सारा आसमान
तुम्हारा है ,
और तुम्हीं हो इसके सही हक़दार

तुम्हारा सही किरदार जब तक
तुम्हें नहीं मिल जाता
जीवन के इस रंगमंच पे
लड़ते रहो , संघर्ष करते रहो
उसे हासिल करने के लिए

नहीं बनो तुम " गीता के अर्जुन "
जिसे किसी कृष्ण की जरुरत पड़े

मत रखो अपने मन के भीतर
किसी प्रकार का द्वंद्व

उखाड़ फेंको वो सारी वासनाएँ
जो तुम्हारे लक्ष्य में रोड़ा बनें

प्रयास करो इन्द्रियों को संयमित
करने का

ये मन का द्वंद्व , ये वासनाएँ
और इन इन्द्रियों पर संयम खुद - ब - खुद
हो जाएगा

मैं सच कहता हूँ ,
सपनें सच होते देर नहीं लगते
बस आपको खुद पर भरोसा 
और अपनें कर्मों में श्रद्धा होनी चाहिए


देश में हैं दो बन्दर



का बतियाएँ काका तुमसे
देश में हैं दो बन्दर

एक शहर का नाम बदलता
दूजा घूमे जमकर

जितना वो कहते हैं ,जितना
बोलें उतना लिखो
कान, आँख, मुँह बन्द करो
जों बोलें उसको सीखो
सुनो सदा अनुकूल रहो और
चलना ज़रा सम्हलकर

प्यार , मुहब्बत किये नही वो
और नही कुछ समझें
बदल रहे वो दुनिया यारों
खुद को कभी न बदलें
दोनों कृत्रिम - बातें करते
फेंक रहे हैं छककर

मानवीयता तनिक नही है
सदा काटने दौड़ें
छप्पन इंच की छाती दिखलाकर
होते हैं चौड़े
दोनों की मति भ्रष्ट हुई है
दोनों हैं घनचक्कर

का बतियाएँ काका तुमसे
देश में हैं दो बन्दर

एक शहर का नाम बदलता
दूजा घूमे जमकर

12/10/2018

मोदी जी

Modi Ji 

खेलें खाएँ घूमें नाचें धूम मचाएँ मोदी जी
भाषण देते गला फाड़ के खुब चिल्लाएँ मोदी जी

काशी को दिखला कर सपना क्योटो का फिर निकल लिए
प्लेन में बैठें , आसमान से हाँथ हिलाएँ मोदी जी

क्या बदलाव हुआ है आखिर अच्छे - दिन के आने पर
नन्हें मुन्हें बच्चों से अब भीख मगाएँ मोदी जी

राजनीति हो मानवीयता को लेकर इस भारत में
जाति धर्म मजहब को लेकर नहीं लड़ाएँ मोदी जी

हम गुमराह नहीं होंगें इन लोगों की मौतें लेकर
सबकी खातिर सीमा पे जो जान गवाएँ मोदी जी

गाँवों में घुसकर देखो , बोलो बतियाओ तो समझो
दूर - दूर से " मन की बातें " नहीं सुनाएँ मोदी जी

संस्कृत की क्या दशा हुई है विद्यालय जा - जा देखें
बाहर जाकर ऐसे न भौकाल बनाएँ मोदी जी

लोकतंत्र को लोकतंत्र के जैसे ही रहने देना
लोकतंत्र का लिए पताका न फहराएँ मोदी जी

परेशान हैं अगर बुढ़ापे से सुनिए !इक काम करें
किसी योग्य का राजतिलक करके बैठाएँ मोदी जी

मैंने भी सोचा था कुछ अच्छा होगा इस शासन में
अच्छे - खासे प्यारे - प्यारे ख्वाब दिखाए मोदी जी


10/10/2018

कइसन - कइसन खेल देखावेला ईश्वर

Neel

कइसन - कइसन खेल देखावेला ईश्वर
खुद ही जन्मे , खुदै मुआवेला ईश्वर

का तोहके बतियाई कुछ तुहूँ समझा
ईश्वर के ही नाच नचावेला ईश्वर

देखनी करम करत जेनहन के बचपन से
ओनहन के न बड़ा बनावेला ईश्वर

सुन ला " मँगरू " हाँथ नही हौ कुछ तोहरे
खुदै रोवावे , खुदै हँसावेला ईश्वर

का हो ईश्वर आँधर हौ कि बहिरा हौ
लइकन के हर घड़ी सतावेला ईश्वर 

08/10/2018

उसी में आज रावण देखता हूँ


अधूरा आज सावन देखता हूँ 
कि बस बादल लुभावन देखता हूँ 

जिसे कहता रहा मैं रोज़ ईश्वर 
उसी में आज रावण देखता हूँ 

जितने में तुम रहते हो उतना तो साफ रखो यारों

Neel

जो करते हो , जितना भी उसमें इन्साफ रखो यारों
जीतोगे तुम भी इक दिन ऐसा विश्वास रखो यारों

कुत्ते भी जब बैठे हैं तो पूँछ - झाड़कर बैठे हैं
जितने में तुम रहते हो उतना तो साफ रखो यारों

घर का कूड़ा - कचरा सारा बच्चों संग भिजवाते हो
गंगा में मत छोड़ो उसको अपने पास रखो यारों

कुण्ठित - मन हो गया तुम्हारा माँ को गाली देते हो
कुछ अच्छे पण्डित बुलवाओ घर पर जाप रखो यारों 

मुझे माफ करना पापा

Neel

मुझे माफ करना पापा
मैं अपनी जिन्दगी
एक भरी हुई पेन
और सादे कागजों
के साथ गुजारना चाहता हूँ

मुझे माफ करना
उन सभी सपनों के लिए
जो आप मेरे लिए या मुझको लेकर
देख रहे हैं

मुझे माफ करना पापा
पर मैं सच - सच कहूँ तो
मेरा कोई इन्ट्रेस्ट नही है
मेरे स्लेबस की इन मोटी - मोटी किताबों में
दिन - दिन भर के लेक्चरों में
और इस झूठी शानो - शौकत में

मैं अब और नहीं इनमें बर्बाद करना
चाहता आपका पैसा और अपना समय

मुझे मालूम है आपकी एक बिन ब्याही बेटी
भी अभी है ,
और आपकी नौकरी कोई सरकारी नहीं
और ना ही उतनी खेती है
अब मैं आपकी सहायता और अपनें सपनों को
पूरा करना चाहता हूँ ,
जिन्हें मैं अपनी खुली आँखों से
हर घड़ी देखता हूँ पापा

मेरी कोई अभिलाषा नही
सरकारी प्रोफेसर, लेक्चरार या अध्यापक बनने की

अब मैं पढ़ना चाहता हूँ
जीवन की वो किताबें जिसमें सच को मैं
सामने से देख सकूँ

महसूस करना चाहता हूँ
जीवन के हर एक चैप्टर को बिल्कुल करीब से
जिनसे अभी तक आपनें मुझे अनभिज्ञ रखा

मुझे मालूम है रास्ता बहुत ही कठिन है
मेरी मन्जिल का
पर मैं लड़ना चाहता हूँ पापा
लड़कर मरना चाहता हूँ
कभी - कभी
हर विषय में समझौता करना अच्छा नही होता

मुझे माफ करना पापा
मैं अपनी जिन्दगी
एक भरी हुई पेन
और सादे कागजों
के साथ गुजारना चाहता हूँ

मुझे माफ करना पापा
मुझे माफ करना ।



06/10/2018

महज़ दिखाना लगा रहा

Neel

झूठी - मूठी इस दुनिया का
ताना - बाना लगा रहा

शानों - शौकत में खोए थे
महज़ दिखाना लगा रहा

मक्कारी बेमानी चार सौ बीसी
सबकी दिखती है
कुछ कह के देखो इनको
बत्तीसी सबकी दिखती है

खींच - तान के इधर - उधर से
महज़ कमाना लगा रहा

लड़की - लड़कों की बातें
दिन भर बतियाया करते हैं
मैडम के छत आते ही
सर भी छत आया करते हैं

इधर - उधर की बातों में
बस समय बिताना लगा रहा

बेवकूफ है इंकलाब का नारा
लेकर क्या होगा
क्या गीता , क्या भारत
चाँद - सितारा लेकर क्या ह

तू पीछे रह गया " नील "
ये गज़ब जमाना लगा रहा 

01/10/2018

Lyrics

Neel

तेरी साँसों से हवा चलती है
चाँद चेहरे से बना है तेरे

मेरी आँखों में अगर देखे तू
देख लेगी सभी सपने मेरे

इतना चाहूँ तुझे कहूँ कैसे
तेरे दीदार बिन रहूँ कैसे
किसी उड़ते हुए पंक्षी की तरह
उड़ते रहते विचार हैं तेरे

दूर भी है बहुत तू पास भी है
गुज़रे लम्हों के वो एहसास भी हैं
दूरियों को समेट लेता हूँ
देख कितने करीब है मेरे


बदन में फूल है या फूल ही बदन है तेरा

Neel

जितना हम कह रहे उससे भी पाक मन है तेरा
होंठ में कंपकपी , मदहोश ये यौवन है तेरा

तेरे आते ही महक उठता है ज़र्रा - ज़र्रा
बदन में फूल है या फूल ही बदन है तेरा

खूबियाँ क्यों न कहूँ उसकी वो दिखती ऐसी
जमीं पे उतरा हुआ चाँद सा सनम है तेरा

रोज़ कहता है कि तस्वीर बदल दूँगा मैं
मुझे दिखता नही ऐसा कहाँ चमन है तेरा

सोंचती क्यों है ये इक तू ही तड़पती धरती
पूँछ उससे कभी क्या हाल ये गगन है तेरा

तेरी आवाज़ है श्रीहर्ष की दमयन्ती सी
युँ ही गाती रहो प्यारा बहुत भजन है तेरा 

29/09/2018

मुबारक हो तुझे रमजान तेरा

Neel
बहुत ही हो रहा सम्मान तेरा
किताबों से बढ़ा अभिमान तेरा

स्वयं की आत्मा को जान ले तू
यही सबसे बड़ा है ज्ञान तेरा

हकीकत की जमीं पर देख आके
सफल हो जाएगा अभियान तेरा

लड़ाई धर्म है तो छोड़ता हूँ
बहुत खतरे भरा परिणाम तेरा

गले मिलते रहो इक दूसरे से
मुबारक हो तुझे रमजान तेरा

निकलता ही नही है देखने को
बहुत ही क्रूर है भगवान तेरा




26/09/2018

बगल बैठल हँई भइया के साली

Neel
कहानी आ रहल बा प्रेम वाली 
चटक चेहरा पे दमके होंठ - लाली 

हँसावेली करेली गुदगुदी ऊ 
बगल बैठल हँई भइया के साली 

लगे सूरुज नियन हम का बताई
चोंधावता सुनहली कान - बाली

भँवर के काम हौ मड़राइ हैं सन
कहा कब ले बचाई फूल - माली 

नहीं मन दोस्तन के बिन लगेला 
कि जब तक होय ना दू - चार गाली 

चलल बाड़न उहौ अब राज थाम्हें
हवन राजा मगर दिमाग खाली 

बहुत मन खुश भइल बा आज हमरो
हमर माई जे खइली भर के थाली


कदम बढ़ते हैं मेरे पर मेरा मन बढ़ नही पाता

Neel
बहुत डरता हूँ मैं ऊँचाइयों पर चढ़ नही पाता 
बनाना चाहता हूँ मैं बहुत पर गढ़ नही पाता 

मेरा दीमाग खाली है मैं औरों को पढूँगा क्या
मैं जितना चाहता हूँ खुद को उतना पढ़ नही पाता 

सुनो पापा! न जाने डर कहाँ से आ गया भीतर 
कदम बढ़ते हैं मेरे पर मेरा मन बढ़ नही पाता 

नदी चुपके से आ पूछी समन्दर क्यों उछलता है 
नदी ! सुन बिन तेरे मैं भी किसी से लड़ नही पाता 

पता मेरा कोई आवाज मुझसे पूछती अक्सर
बताना चाहता हूँ मैं, मगर वो घर नही पाता 

25/09/2018

उन्हें कह दो भरम ये सच नहीं है

Me With My Heart
हमारे पास यारों कुछ नही है 
उन्हें जो चाहिए सचमुच नहीं है 

वो कहती हैं उन्हें मैं देखता हूँ
उन्हें कह दो भरम ये सच नहीं है 

बहुत से लोग अब भी सो रहे हैं 
कोई हमदर्द या रक्षक नही है 


24/09/2018

हिजड़े जनम लिए हैं हिन्दोस्तान में

Neel
आती नहीं है नींद उन्हें इस मकान में 
वो घर बनाने जा रहे हैं आसमान में 

गैरों से कभी हमको मुहब्बत नही हुई 
अपना कोई नही था मेरा इस जहान में 

कैसे भला पूरी हों मनोकामनाएँँ आज 
सेल्फी सहित हैं लोग अब पूजा - अज़ान में

लोगों में जिसे खोजता रहा मैं आज तक 
वो सच सही दिखा मुझे जाकर श्मशान में

डर - डर के जिए जा रही हैं नारियाँँ यहाँ
हिजड़े जनम लिए हैं हिन्दोस्तान में 

22/09/2018

शुभ जन्मदिन तुम्हारा, ये जन्मदिन तुम्हारा


Shraddha
शुभ जन्मदिन तुम्हारा, ये जन्मदिन तुम्हारा
शुभ जन्मदिन तुम्हारा, है जन्मदिन तुम्हारा 

ऐसे प्रगति का परचम लहराओ प्यारा - प्यारा
शुभ जन्मदिन तुम्हारा, ये जन्मदिन तुम्हारा 

डरना नही किसी से , न भयभीत कभी हो 
जिस राह पे बढे़ तू बस जीत तेरी हो 
कठिनाइयों मेंं बढ़ना है कर्मदिन तुम्हारा 

शुभ जन्मदिन तुम्हारा, ये जन्मदिन तुम्हारा 
शुभ जन्मदिन तुम्हारा, है जन्मदिन तुम्हारा 

तुम जो भी हो जैसे भी हो मुझको भले लगे
सब नेक आदमी हों जो भी तुम्हें मिलें
इन्सानियत को पढ़ना है मर्मदिन तुम्हारा 

शुभ जन्मदिन तुम्हारा, ये जन्मदिन तुम्हारा 
शुभ जन्मदिन तुम्हारा, है जन्मदिन तुम्हारा 

खुशियाँ बटोर लो सब , उल्लास मनाओ 
आशीष लो बड़ो से छोटों को सिखाओ 
करना भजन जरा सा है धर्मदिन तुम्हारा 

शुभ जन्मदिन तुम्हारा, ये जन्मदिन तुम्हारा 
शुभ जन्मदिन तुम्हारा, है जन्मदिन तुम्हारा 
ऐसे प्रगति का परचम लहराओ प्यारा - प्यारा
शुभ जन्मदिन तुम्हारा, ये जन्मदिन तुम्हारा 

पंख नहीं कतरो मुझको उड़ जाने दो

Nandiny Y
पंख नहीं कतरो मुझको उड़ जाने दो
भइया मुझको सपनों से जुड़ जाने दो

जितनी कठिनाई आएँगी सह लूंगी मैं
हवा तेज बहनें दो संग - संग बह लूंगी मैं

रोकों मत मुझको सबसे लड़ जाने दो

सबपे वार करूंगी सबको देखूंगी मैं
उठकर - गिरना गिरकर - उठना सीखूंगी मैं

मुझको ऊँँचे पर्वत पर चढ़ जाने दो

जग को दिया दिखाऊँँ जग रौशन कर जाऊँँ
किसी के सपनों का मैं घर - आँँगन बन जाऊँँ

ऐसे ही इन राहों पे बढ़ जाने दो

पंख नहीं कतरो मुझको उड़ जाने दो
भइया मुझको सपनों से जुड़ जाने दो

कुछ खोना पड़ेगा तुम्हें कुछ पाने कि खातिर

Neel
कुछ खोना पड़ेगा तुम्हें कुछ पाने कि खातिर
दुनिया को दिखा सच उन्हें समझाने कि खातिर


इतना नहीं अमीर कि खुशियाँँ तुझे मिले
खुशियाँँ तुझे मिले कि ये दुनिया तुझे मिले

तुमको मैं साथ रखता हूँँ जी पाने कि खातिर

दुख में दिखे हैं लोग न जाने क्यूं इस कदर
मिलना - बिछड़ना सत्य है जीवन है इक सफर

ऐसे न जनम ले यहाँँ मर जाने कि खातिर

ये लोग एक हों करें इक - दूजे का सहयोग
जब तक रहूँँ, जहाँँ रहूँँ, हंसते ही रहें लोग

जीवन मिला है खुशियों को फ़ैलाने कि खातिर

पागल हूँँ मैं मूरख नहीं आता है मुझे कुछ
जादू दिखा कोई के चमक जाऊँँ मैं सचमुच

तुम साथ रहो मन मेरा बहलाने कि खातिर

कुछ खोना पड़ेगा तुम्हें कुछ पाने कि खातिर

दुनिया को दिखा सच उन्हें समझाने कि खातिर
कुछ खोना पड़ेगा तुम्हें कुछ पाने कि खातिर

20/09/2018

मुहब्बत है , किसी के बाप की जागीर थोड़ी है

Neel

जफ़र कोई नहीं ,ग़ालिब यहाँ अब मीर थोड़ी हैं
जो उसनें लिख रखी उतनी मेरी तकदीर थोड़ी है

खुले दिल से सभी के सामने भर - भर लुटाऊँगा
मुहब्बत है , किसी के बाप की जागीर थोड़ी है

हुआ है क्या तुम्हें क्यों आजकल दहशत में दिखते हो
उठाया लेखनी हूँ ये कोई शमशीर थोड़ी है

तुम्हें बदला करूँ इसकी कभी नौबत नहीं आती
हमारे दिल में मूरत है ,कोई तस्वीर थोड़ी है

बहुत ही ख़ूबसूरत हैं इन्हें काजल लगा के रख
तेरी आँखें समन्दर हैं ये खञ्जर ,तीर थोड़ी हैं

मेरी बहना बनाकर रेशमी धागा मुझे बोली
बँधा लो ये कवच है कोई ये जंजीर थोड़ी है

भरम को छोड़ दे अपने कयासों को बचाकर रख
महज़ तू " नील " है शहरूख़ या रणवीर थोड़ी है 

किसी माँ बाप के सर बेटियाँ भारी नहीं होती

Daughters Day

मुहब्बत में तुम्हारे गर अदाकारी नहीं होती
सही कहता हूँ हम दोनों में यूँ यारी नहीं होती

इशक के नाम पर बकवास करते लोग अक्सर हैं
मुहब्बत की तनिक उनमें समझदारी नहीं होती

नहीं छेड़ो युँही इन माँओं बहनों प्रेमिकाओं को
हमारे घर की हैं इज्ज़त ये सरकारी नहीं होती

सुनो मारो नहीं इनको जनम लेने से पहले तुम
किसी माँ बाप के सर बेटियाँ भारी नहीं होती

छुपाकर बेटियों को मैं रखूँ कातिल जमाने से
मगर मजबूर हूँ ऐसी भी अलमारी नहीं होती

सुबह उठकर मेरी दादी निकलती फूल चुनने को
अहद !मेरे जमाने में तो फुलवारी नहीं होती 

16/09/2018

छोड़कर तुमको नहीं जाऊँगा मैं उस पार बहना

Stop Rape

छोड़कर तुमको नहीं जाऊँगा मैं उस पार बहना
वहसियों से भर गया है ये भरा संसार बहना

यातनायें जो मिलेंगीं हम सहेंगें साथ में
पर नहीं होंगे अकेले हम जियेंगें साथ में
हों भले दो - चार रोटी उसमें भी सूखी सही
भूख थोड़ी तो मिटेगी एक दिन भूखी सही

भूख में जीना कठिन पर ,छोड़ना दुश्वार बहना

कंपकपांता हूँ ,अकेले भेजकर तुमको सदा
प्रार्थना करता हूँ मैं नित, हों नहीं हम तुम जुदा
क्या कभी डरते नहीं दिखती नहीं मूरत उन्हें
क्या कभी दिखती नहीं मासूम सी सूरत उन्हें

कौन किस पल क्या करेगा किसका क्या आचार बहना

मर मिटूँगा छोड़कर तुम यूँ चली जाओगी तो
जिन्दगी की रौशनी तुम यूँ मिटा जाओगी तो
प्यार से होती लड़ाई पास जब रहता हूँ मैं
ये कलाई सूनी रह जाँएगी सच कहता हूँ मैं

व्यर्थ हो जायेगा ये रक्षा का शुभ त्यौहार बहना

इस धरा रखते कदम ही खा गये वहसी उसे
एक छोटी सी परी थी ले गये रहसि उसे
और फिर क्या - क्या हुआ मैं कह नहीं पाऊँगा सब
खून मेरा खौलता है याद आ जाती है जब

सोंच भी सकता नहीं मैं क्रूर वो व्यापार बहना

शब्द से मैं क्या कहूँगा वो घनी पीड़ा मगर
शून्य हो जाता हूँ  मैं आँसू निकलते फूटकर
सोंचता हूँ कौन से स्वातंत्र्य हैं हमको मिले
पूँछता हूँ कौन से संस्कार में हैं हम पले

ये वही भारत जहाँ पलते बहुत संस्कार बहना

छोड़कर तुमको नहीं जाऊँगा मैं उस पार बहना
वहसियों से भर गया है ये भरा संसार बहना

  

डरना छोड़ो, लड़ना सीखो


Salutations

जीवन की हर विषम परिस्थिति में
प्यारे कुछ करना सीखो ,
डरना छोड़ो, लड़ना सीखो

एक - एक कर ख़त्म हुए सब
जहाँ से जो थे गये वहाँ सब
आग लगे या पत्थर बरसें
तूफानों में बढ़ना सीखो

जीवन की हर ........

मन को सदा जिताकर रखो
इन्द्रिय को समझाकर रखो
जितनी ऊँची रहे चढ़ाई
उस चोटी पे चढ़ना सीखो

जीवन की हर ........

अपनों को समझाते जाओ
ग़ैरों को अपनाते जाओ
अभिमानी आदत छोड़ो अब
ज़रा मुहब्बत करना सीखो

जीवन की हर ........

आओ युवा शक्तियों आओ
जीवन में अनुशासन लाओ
भारत को इक नई दिशा दें
उस साँचे में ढ़लना सीखो

जीवन की हर विषम परिस्थिति में
प्यारे कुछ करना सीखो ,
डरना छोड़ो, लड़ना सीखो






15/09/2018

तुमको आगे आना होगा


जहाँ कहीं मन रोंके तुमको
तुमको उसे मनाना होगा

जीवन की हर कठिनाई में
तुमको आगे आना होगा

जहाँ शराबों और शबाबों में
मदमस्त युवा हो जाएँ
जहाँ गली ,चौराहे नुक्क्ड़ का
हर खेल जुआ हो जाए

ऐसे वर्तमान को स्वामी
दिशा दिखाने आना होगा

जहाँ कहीं मन ........

बढ़ो अकेले ,साथ न हो जब
रुको मनन , चिन्तन के ख़ातिर
अंधेरों में दीप जलाओ
मिटते अन्धकार हैं आख़िर

उठो , बढ़ो इन लोगों से अब
तुमको देश बचाना होगा

जहाँ कहीं मन.........

होगा ये जग रौशन तुमसे
ऐसी सोंच बनाकर रखो
धीरे - धीरे तजो बुराई
अच्छाई अपनाकर रखो

ऐसे ही इस जीवन को कुछ
आत्मबोध सिखलाना होगा

जहाँ कहीं मन रोंके तुमको
तुमको उसे मनाना होगा

जीवन की हर कठिनाई में
तुमको आगे आना होगा

07/09/2018

राग - द्वेष विमुक्त नही हूँ

Neel

नही कोई ज्ञानी - ध्यानी हूँ
राग - द्वेष विमुक्त नही हूँ

जब से मेरा जन्म हुआ है
व्यक्त हूँ मैं, अव्यक्त नही हूँ

मुझे हर जगह भेद दिखे है
सुखद - दुखद परिवेश दिखे है
यथाशक्ति सब देखूँ - समझूँ
किसी का अन्धा भक्त नही हूँ

नही कोई ज्ञानी - ध्यानी हूँ
राग - द्वेष विमुक्त नही हूँ

रक्षक , कृषक , गरीबों का हूँ
इस धरती भारत माँ का हूँ
मरते हुए उन्हीं देवों की
साँस बनूँ मैं रक्त नही हूँ

नहीं कोई ज्ञानी - ध्यानी हूँ
राग - द्वेष विमुक्त नही हूँ

भूत - प्रेत चण्डाल के जैसे
है मन महाकाल के जैसे
मुझसे इतना नही डरो तुम
इतना भी मैं सख़्त नहीं हूँ

नहीं कोई ज्ञानी - ध्यानी हूँ
राग - द्वेष विमुक्त नही हूँ

खुद को मुझ तक लाकर देखो
अपना मुझे बनाकर देखो
जीवन अर्पित कर दूँगा बस
बैठा हूँ मैं , मैं पस्त नही हूँ

नहीं कोई ज्ञानी - ध्यानी हूँ
राग - द्वेष विमुक्त नही हूँ

जब से मेरा जन्म हुआ है
व्यक्त हूँ मैं , अव्यक्त नही हूँ ।

06/09/2018

नज़र कैसे मिलाऊँ मैं

Give Me Right Path...

मेरे अन्दर छुपा है क्या
तुम्हें कैसे दिखाऊँ मैं

नज़र के सामने हो तुम
नज़र कैसे मिलाऊँ मैं

मेरे अन्दर .......

बहुत ही सुर्ख़ - आरिज़ हैं
सुनो इस वक्त बारिश है
नही जाओ युँ ही बाहर
मेरी कुछ और साजिश है

तुझे देखूँ , तुझे सोंचूँ
तुझे खुद में ही पाऊँ मैं

मेरे अन्दर ......

हया अपनी हटाओ तुम
मुझे साक़ी पिलाओ तुम
ज़रा रुख़्सार को अपने
हमारे पास लाओ तुम

गुलाबी - होंठ से तेरे
ये लब कैसे मिलाऊँ मैं

मेरे अन्दर ......

बहुत ही खूबसूरत है  बनाया
तुमको कुदरत नें
हमारे दिल में इक हलचल
मचा रखी है क़ुर्बत नें

मेरा मन हर घड़ी कहता
तुम्हें दुल्हन बनाऊँ मैं

मेरे अन्दर ......

मेरे अन्दर छुपा है क्या
तुम्हें कैसे दिखाऊँ मैं

नज़र के सामने हो तुम
नज़र कैसे मिलाऊँ मैं 

आकाश में उड़ जाने दे

Akash & Neel

उड़ जाने दे उड़ जाने दे
आकाश में, उड़ जाने दे

जुड़ जाने दे जुड़ जाने
मुझको हवा संग जुड़ जाने दे

कुछ स्वप्न हैं कुछ ख्वाब हैं
हर पल यहाँ इक आप हैं
इस राह में बेचैन हूँ
उस राह में मुड़ जाने दे ....

उड़ जाने दे उड़ जाने दे
आकाश में , उड़ जाने दे

कर दे मुझे आजाद तू
न कर मुझे बर्बाद तू
वो मञ्जिलें हैं , मञ्जिलें
मुझको उधर बढ़ जाने दे

उड़ जाने दे उड़ जाने दे
आकाश में, उड़ जाने दे

है लक्ष्य बस मेरा यही
तू साथ दे सब है सही
लम्बा सफर ऊँची डगर
हर हाल में चढ़ जाने दे

उड़ जाने दे उड़ जाने दे
आकाश में उड़ जाने दे

जुड़ जाने दे जुड़ जाने दे
मुझको हवा संग जुड़ जाने दे


03/09/2018

लड़कियाँ जन्नत की कोई हूर थोड़ी हैं


छोड़ दे ऐसे नशे मजबूर थोड़ी है 
आ गई दिल्ली, बहुत अब दूर थोड़ी है 

फूँकना मत ये जवानी इस नशे की आग में 
लड़कियाँ जन्नत की कोई हूर थोड़ी हैं 

हर घड़ी बस तुम विवश हो ये कहाँ की बात है 
इस जमाने में यही दस्तूर थोड़ी है 

उसको गर होगी मुहब्बत आएगी वो दौड़कर 
हैं महज़ नखरे , कोई मजबूर थोड़ी है 

हमको भी उसकी अदाएँ देखकर अच्छी लगी 
पर उसी के दायरे में चूर थोड़ी हैं 

तुम कोई जारा नही न वीर कोई मैं रहा 
छोड़ दे तू इस अहद मशहूर थोड़ी हैं 

भग गये वो राह में हमको अकेले छोड़कर 
ये मेरी शुरुआत थी भरपूर थोड़ी है 

01/09/2018

किसे अपना कहूँ कहूँ किसे पराया मैं


किसे अपना कहूँ कहूँ किसे पराया मैं
दूर वो ही रहे जिनको करीब पाया मैं

उन्हें पसन्द है लोगों से खेलना शायद
यही धोखा हुआ अपनों को ही अपनाया मैं

हृदय - दहक उठा है दिल में शोले फूटे हैं
किसी ने आग लगाई या खुद जलाया मैं

उसे मंजूर ही नही थी मुहब्बत मेरी
मैं ही पागल था जो यारों अलख जगाया मैं

मैंने चाहा कि चलो मार दूँ मैं भी ठोकर
गया शराब पी दौलत सभी लुटाया मैं

नशा कहाँ है उस शराब में जो उसमें है
खुद को भूला नही उसको कहाँ भुलाया मैं

30/08/2018

तू जीत गई मैं हार गया


तू जीत गई मैं हार गया 

अब आजा मेरे आँगन में 
            वर्ना मेरा संसार गया ।  तू जीत ...
      
     दो दिल की बात समझना था 
    मुझको जीवन में भरना था 
मैंने तुमको अपनाया है 
    दिल के अन्दर ही पाया है 
      मैं खुद को भूलना चाहा पर 
     न दिल से तेरा प्यार गया ।

       तू जीत गई मैं हार गया -2 

   दिल के दरवाजों पे है तू 
    मन सपनों, ख्वाबों में है तू 
तेरी बाँहों की जन्नत में 
खुद को पाऊँ मैं मन्नत में 
यारा इक तेरे जाने से 
मेरा प्यारा - परिवार गया ।

तू जीत गई मैं हार गया - 2 

हर माह तुम्हारे होने से 
मुझको सावन से लगते थे 
पलकों पे बैठाकर तुमको 
मेरे दिन पावन लगते थे 
तुम आ जाओ इस जीवन में 
मैंने ये जीवन वार दिया ।

तू जीत गई मैं हार गया - 2 
उड़ के आजा इस आँगन में 
वर्ना मेरा संसार गया ।

तू जीत गई मैं हार गया ।

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...