नील |
दुःख के आँसू नहीं निकालो
सुख की साँस भरो यारा
अब जब सबकुछ ठीक हो गया
न एहसास भरो यारा
तुम भी रूठी, हम भी रूठे
तुम भी टूटी, हम भी टूटे
पतझड़ का मौसम करके
अब न हमराज़ बनो यारा
कुछ नादानी तुमने भी की
कुछ नादानी मैंने भी
कुछ शैतानी तुमने भी की
कुछ शैतानी मैंने भी
मंजिल तुमको खोज रही
अब उसकी तरफ बढ़ो यारा
कहाँ गई थी बोलो आखिर
जब मैं टूटा, बिखरा था
जीवन की गति उल्टी थी तब
सबकुछ उल्टा दिख रहा था
जो पढ़ना है वही पढ़ो तुम
मुझको नही पढ़ो यारा
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