05/12/2018

दुःख के आँसू नहीं निकालो

नील 
दुःख के आँसू नहीं निकालो 
सुख की साँस भरो यारा 

अब जब सबकुछ ठीक हो गया 
न एहसास भरो यारा 

तुम भी रूठी, हम भी रूठे 
तुम भी टूटी, हम भी टूटे 
पतझड़ का मौसम करके 
अब न हमराज़ बनो यारा 

कुछ नादानी तुमने भी की 
कुछ नादानी मैंने भी 
कुछ शैतानी तुमने भी की 
कुछ शैतानी मैंने भी 

मंजिल तुमको खोज रही 
अब उसकी तरफ बढ़ो यारा 

कहाँ गई थी बोलो आखिर 
जब मैं टूटा, बिखरा था 
जीवन की गति उल्टी थी तब 
सबकुछ उल्टा दिख रहा था 

जो पढ़ना है वही पढ़ो तुम 
मुझको नही पढ़ो यारा 

No comments:

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...