नील |
ना ही तुझसे हुई मुहब्बत
ना ही और किसी से होगी
इतना पहले बदल चुकी है
और बता कितना बदलेगी
वक्त - वक्त की बात नहीं ये
इस दिल की गहरी बातें हैं
दिन तो चलो गुज़रते हैं पर
करवट बहुत बदलती रातें
तेरी दशा, तुझे अर्पण है
और भला तू क्या बोलेगी
पहले दिया उजाला तूने
अंधकार अब क्यों देती है
"भूल सको जितना, भूलो तुम "
ये विचार अब क्यों देती है
इतनी गहरी चोट मुझे दी
और अभी क्या - क्या तू देगी
भूल गया मैं सारी बातें
फिर - फिर नहीं कुरेदो तुम
जो तुमसे, जो कुछ भी माँगे
उसको वो सब दे दो तुम
तुझको मेरी फ़िकर नहीं फिर
मेरी ख़ातिर क्यों रोयेगी।
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